Move to Jagran APP

उत्‍तराखंड में सिंचाई व्यवस्था है बदहाल, योजनाओं की भरमार; पढ़िए पूरी खबर

उत्‍तराखंड में पर्वतीय क्षेत्रों में जहां सिर्फ 43 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा है और यह आंकड़ा पिछले 18 सालों में इससे आगे नहीं बढ़ पाया है।

By Edited By: Published: Thu, 18 Jul 2019 03:01 AM (IST)Updated: Thu, 18 Jul 2019 12:46 PM (IST)
उत्‍तराखंड में सिंचाई व्यवस्था है बदहाल, योजनाओं की भरमार; पढ़िए पूरी खबर
उत्‍तराखंड में सिंचाई व्यवस्था है बदहाल, योजनाओं की भरमार; पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, केदार दत्त। 16330 गांव और लघु सिंचाई की 26211 योजनाएं, बावजूद इसके सिंचाई व्यवस्था बदहाल। यह है उत्तराखंड में खेतों को सिंचाई पानी मुहैया कराने की तस्वीर। लघु सिंचाई योजनाओं के लिहाज से देखें तो हर गांव में करीब दो योजनाएं आ रही हैं। ऐसे में हर गांव के हर खेत तक गूलों से पानी पहुंचना चाहिए था, मगर ऐसा है नहीं। सरकारी आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। खासकर, पर्वतीय क्षेत्रों में, जहां सिर्फ  43 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा है और यह आंकड़ा पिछले 18 सालों में इससे आगे नहीं बढ़ पाया है।

loksabha election banner

केंद्र और राज्य सरकारें खेती-किसानी पर जोर दे रही हैं, मगर खेतों तक सिंचाई के लिए पानी पहुंचाने के मोर्चे पर तस्वीर बहुत अच्छी नहीं है। प्रदेश में कुल कृषि क्षेत्रफल 6.90 लाख हेक्टेयर के सापेक्ष 3.29 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है। इसमें पर्वतीय क्षेत्र में 0.43 लाख हेक्टेयर और मैदानी क्षेत्र में 2.86 लाख हेक्टेयर क्षेत्र ही सिंचित है। साफ है कि फसलोत्पादन में बढ़ोतरी और किसानों की आय दोगुना करने की दिशा में खेतों तक सिंचाई पानी मुहैया कराना सबसे बड़ी जरूरत है।

ऐसा नहीं है कि सिंचाई साधनों में वृद्धि को प्रयास न हुए हों। सिंचाई विभाग से लेकर लघु सिंचाई विभाग तक ने करोड़ों रुपये खर्च कर तमाम योजनाओं को धरातल पर उतारा। लघु सिंचाई विभाग की ही बात करें तो वह राज्यभर में अब तक 1812 करोड़ की लागत से 26211 लघु सिंचाई योजनाएं बना चुका है। इनमें गूलों, नहरों के साथ ही पपिंग स्कीम शामिल हैं। विभागीय आंकड़ों को देखें तो प्रदेश में 30951.35 किलोमीटर लंबी गूलों का जाल बिछा हुआ है।

लघु सिंचाई की योजनाओं की ही भरमार के हिसाब से देखें तो लगभग हर गांव के हर खेत तक गूलों से पानी पहुंचना चाहिए था, मगर वास्तव में ऐसा है नहीं। गूलों के निर्माण में अनियमितताएं, कहीं सूखे स्रोत से योजना बनाने, एक ही गूल का कई-कई बार निर्माण समेत अन्य मामले सुर्खियां बनते आए हैं। साफ है कि नीति और नीयत में कहीं न कहीं खोट है। हालांकि, अब सरकार इस दिशा में गंभीर हुई है और इस कड़ी में राज्यभर में लघु सिंचाई की योजनाओं का सर्वेक्षण कराने की तैयारी है।

सामने आएगी सही तस्वीर

प्रदेशभर में लघु सिंचाई योजनाओं की वास्तविक स्थिति क्या है, जल्द ही इसकी तस्वीर सामने आएगी। इस सिलसिले में लघु सिंचाई योजनाओं का सर्वेक्षण कराया जाएगा। मुख्य अभियंता लघु सिंचाई मुहम्मद उमर बताते हैं कि संगणना (सर्वेक्षण) के लिए ट्रेनिंग हो चुकी है। इसके तहत लघु सिंचाई की गूलों, पंपिंग सेट, जलस्रोत आदि का स्थलीय निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। यह सर्वेक्षण जिला स्तर पर गठित कमेटियों के मार्गदर्शन में होगा।

यह भी पढ़ें: यहां हर साल मर जाते हैं रोपे गए 50 फीसद पौधे, जानिए

यह भी पढ़ें: प्लॉटिंग के नियम हुए आसान, अवैध पर कसेगा शिकंजा; पढ़िए पूरी खबर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.