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इन 395 गांवों में बारिश की आहट से थम जाती हैं सांसें, जानिए वजह

आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड में चौमासे (वर्षाकाल) में 395 गांवों में बदरा घिरते ही सांसें थम जाती हैं।

By Edited By: Published: Wed, 17 Jul 2019 03:01 AM (IST)Updated: Wed, 17 Jul 2019 06:38 PM (IST)
इन 395 गांवों में बारिश की आहट से थम जाती हैं सांसें, जानिए वजह
इन 395 गांवों में बारिश की आहट से थम जाती हैं सांसें, जानिए वजह
देहरादून, राज्य ब्यूरो। आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड में चौमासे (वर्षाकाल) में 395 गांवों में बदरा घिरते ही सांसें थम जाती हैं। ये सभी गांव आपदा प्रभावित हैं, लेकिन इनका पुनर्वास बड़ी चुनौती बना हुआ है। आपदा प्रभावित गांवों के पुनर्वास की सरकारी रवायत को इसी से समझा जा सकता है कि अभी तक केवल 23 गांवों व तोक के 609 परिवारों का ही विस्थापन हो पाया है। नतीजतन, आपदा प्रभावित अन्य गांवों व तोक के लोग बरसात में यही दुआ करते हैं कि हे भगवान, बारिश न हो। उधर, लंबे इंतजार के बाद अब राज्य सरकार इन गांवों को श्रेणीबद्ध करने के साथ ही पुनर्वास के मद्देनजर बजट के लिए केंद्र की चौखट पर दस्तक देने जा रही है। 
आपदा प्रभावित गांवों के विस्थापन-पुनर्वास के लिए वर्ष 2011 में पुनर्वास नीति अस्तित्व में आई। इससे उम्मीद जगी कि बड़ी संख्या में आपदा प्रभावित गांवों का पुनर्वास हो सकेगा, मगर इसकी सुस्त रफ्तार का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि अब तक सिर्फ 23 गांव-तोक का ही पुनर्वास हो पाया है।
सरकारी आंकड़ों पर ही गौर करें तो हरिद्वार को छोड़ बाकी 12 जिलों में आपदा प्रभावित गांवों-तोक की संख्या 395 पहुंच चुकी है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक बजट की कमी इसकी राह में सबसे अधिक रोड़ा है। यही नहीं, आपदा प्रभावित गांव-तोक तो चिह्नित तो किए गए, मगर इनका ठीक से अति संवेदनशील और संवेदनशील श्रेणीकरण नहीं हुआ है। ऐसे में पुनर्वास की मुहिम परवान कैसे चढ़ेगी, यह एक बड़ा सवाल है।
आपदा प्रभावित गांव जिला, संख्या
पिथौरागढ़, 129
उत्तरकाशी, 62
चमोली, 61
बागेश्वर, 42
टिहरी, 33
पौड़ी, 26
रुद्रप्रयाग, 14
चंपावत, 10
अल्मोड़ा, 09
नैनीताल, 06
देहरादून, 02
इन गांवों-तोक का हुआ पुनर्वास 
छांतीखाल, सेमीतल्ली, कुणजेठी, जालतल्ला, कविल्ठा, पांजणा (रुद्रप्रयाग), फरकंडे का जागड़ी तोक, कनोल के सीमार फाकी व लोध तोक, छपाली, त्यूला, बीला, भ्याड़ी, सरपाणी (चमोली), दोबाड़, बड़ेत, सेरी, कुंवारी (बागेश्वर), भेलुंता छेरदानू, त्यालनी तोक खलूजा, अगुंडा, इंद्रौला (टिहरी), कनारतोक टोयल (पिथौरागढ़)। 
शासकीय प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि आपदा प्रभावित गांवों के पुनर्वास लिए सरकार प्लानिंग कर रही है। ऐसे गांवों को अति संवेदनशील और संवेदनशील श्रेणी में रखने की कसरत शुरू की गई है। पुनर्वास के लिए बजट की दिक्कतों को देखते हुए राज्य स्तर से व्यवस्था करने के साथ ही केंद्र सरकार से भी मदद का आग्रह किया जा रहा है। धीरे-धीरे सभी आपदा प्रभावित गांवों का सुरक्षित स्थानों पर पुनर्वास किया जाएगा। 

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