पूर्व 108कर्मियों पर पुलिस ने लाठियां फटकारी, चकमा दे सचिवालय तक पहुंचे बेरोजगार Dehradun News
सचिवालय के समक्ष प्रदर्शन कर रहे 108 सेवा में तैनात रहे कर्मचारियों पर पुलिस ने लाठियां फटकारी। इस दौरान कर्मचारियों के साथ ही एक महिला पुलिस कर्मी को चोट लगी।
देहरादून, जेएनएन। 108 सेवा में तैनात रहे 717 कर्मचारियों से राज्य सरकार ने आखें मूंद ली हैं। यही वजह है कि कर्मचारी अब उग्र होने लगे हैं। सचिवालय के समक्ष प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों पर पुलिस ने लाठियां फटकारी। इस दौरान कर्मचारियों के साथ ही एक महिला पुलिस कर्मी को चोट लगी। आंदोलन कर्मियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
समायोजन की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे कर्मचारी पुलिस को चकमा देकर सचिवालय तक पहुंच गए। इनके पास रैली की अनुमति नहीं थी। यहां बैरिकेडिंग पर इनकी पुलिस से जमकर धक्का-मुक्की और नोकझोंक हुई। इस दौरान दो महिला प्रदर्शनकारी बेहोश हो गई, तो कई के कपड़े तक फट गए। कुछ को हल्की चोटें भी आई हैं। वहीं एक महिला पुलिसकर्मी भी धक्का-मुक्की में चोटिल हो गई।
बैरिकेडिंग लांघने की कोशिश कर रहे कर्मचारियों को रोकने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ नारेबाजी कर गिरफ्तारी दी। उन्हें गिरफ्तार कर पुलिस सुद्धोवाला जेल ले गई, उन्होंने जेल में ही धरना शुरू कर दिया।
ये है पूरा मामला
कर्मचारी करीब पाच माह पहले तक 108 सेवा का संचालन कर रही जीवीके कंपनी के लिए काम कर रहे थे, लेकिन इस बीच सरकार ने यह जिम्मा कैंप कंपनी को दे दिया। नई कंपनी ने इन्हें पहले जैसी तनख्वाह पर रखने से इन्कार कर दिया। नतीजा, इन कर्मचारियों ने वहा ज्वाइन नहीं किया। बीते 73 दिनों से यह कर्मचारी परेड मैदान स्थित धरनास्थल पर आदोलन व क्रमिक अनशन कर रहे हैं।
जमकर हो रही राजनीति
इन कर्मचारियों को लेकर राजनीति भी चरम पर है। स्थिति यह कि एक बारगी आदोलन राजनीतिक दलों ने हाईजैक कर लिया था। पूर्व में भाजपा नेताओं ने इन्हें सरकार तक बात पहुंचाने का भरोसा दिया, पर आंदोलन में कांग्रेस की मौजूदगी देख उन्होंने कदम पीछे खींच लिए। नतीजा, जो सरकार पहले तक कर्मचारियों की मागों पर कार्रवाई का भरोसा दे रही थी, एकाएक उनसे मुंह फेर लिया। आज कर्मचारी दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। इनके लिए परिवार पालना तक मुश्किल हो रहा है।
बेरोजगारों ने दिया पुलिस को चकमा
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के आश्वासन के बाद भी रिक्त पदों को लेकर ठोस कार्रवाई नहीं होने से नाराज बेरोजगार पुलिस को चकमा देकर सचिवालय मुख्य द्वार तक पहुंच गए। इससे पुलिस के हाथ-पांव फूल गए। मौके पर पहुंची पुलिस ने बाद में उन्हें गिरफ्तार कर पुलिस लाइन भेज दिया। जहां बाद में उन्हें निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया।
उत्तराखंड बेरोजगार संघ के बैनर तले दर्जनों बेरोजगार परेड ग्राउंड में एकत्रित हुए। पुलिस की उन्हें वहीं रोकने की योजना थी, लेकिन बेरोजगार पुलिस को चकमा देकर सचिवालय के बाहर पहुंच गए। यहां पर प्रदर्शनकारी बेरोजगारों का कार्यक्रम कार्मिक विभाग की ओर से रिक्त पदों का अधियाचन आयोगों को नहीं भेजे जाने की एवज में सत्याग्रह शुरू करना था। मौके पर पहुंची पुलिस बेरोजगारों को गिरफ्तार कर पुलिस लाइन ले गई जहां पर उन्हें दोपहर बाद निजी मुचकले में रिहा कर दिया गया।
इससे पूर्व परेड ग्राउंड धरना स्थल पर बेरोजगारों को संबोधित करते हुए बेरोजगार महासंघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने कहा कि उत्तराखंड सरकार को बेरोजगारों और बेरोजगारी की कोई परवाह नहीं है। दो हजार पदों की नियुक्यिोंं को लटकाया जा रहा है। बेरोजगारों के पास रोजगार नहीं है।
सरकार इस मामले में लापरवाही बरत रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि बेरोजगार शांतिपूर्ण ढंग से अपना सत्याग्रह करना चाहते थे। सरकार बेरोजगारों के आवाज को दबा रही है। उन्होंने कहा कि बेरोजगारों की लड़ाई जारी रहेगी। सचिवालय कूच करने वालों में कमलकांत, भजन सिंह, संदीप नेगी, पिंटू राणा, हरेंद्र प्रसाद, मनीष रावत, प्रदीप शाह, बादर चौहान, सत्यम रांटा, पंकज प्रसाद सेमवाल, निरंजन चौहान, हेमंत कुमार, लक्ष्मण सिंह, गितिका रावत, गीता, पूजा नेगी आदि शामिल थे।
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