Move to Jagran APP

कितनी और मौतों का इंतजार है सरकार, ये खूनी फ्लाईओवर अबतक लील चुका है 15 की जिंदगी

बल्लीवाला फ्लाईओवर पर सरकार को कितनी और मौतों का इंतजार है? करीब साढ़े तीन साल में इस खूनी फ्लाईओवर पर अब तक 15 युवाओं की मौत हो चुकी है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 21 Mar 2020 03:25 PM (IST)Updated: Sat, 21 Mar 2020 09:24 PM (IST)
कितनी और मौतों का इंतजार है सरकार, ये खूनी फ्लाईओवर अबतक लील चुका है 15 की जिंदगी

देहरादून, जेएनएन। बल्लीवाला फ्लाईओवर पर सरकार को कितनी और मौतों का इंतजार है? करीब साढ़े तीन साल में इस खूनी फ्लाईओवर पर अब तक 15 युवाओं की मौत हो चुकी है और सिस्टम अब भी इंतजार की मुद्रा में है। हाईकोर्ट के आदेश पर लोनिवि ने फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार कर यहां पर एक और डबल लेन फ्लाईओवर की संभावना जरूर तलाशी, मगर इसके निर्माण पर शासन ने यह कहकर हाथ खींच दिए हैं कि उनके पास बजट ही नहीं है। यही वजह है कि एक के बाद एक लोग इस पर जान गंवा रहे हैं और सरकार लोगों की सुरक्षा की खातिर 110 करोड़ रुपये का बजट जुटाने में असहाय नजर आ रही है। 

loksabha election banner

अगस्त 2016 में जब यह फ्लाईओवर बनकर शुरू हुआ, तभी इस बात की आशंका भी तेज हो गई थी कि यह यातायात के लिए सुरक्षित नहीं है। क्योंकि फोरलेन में पास किए गए फ्लाईओवर का जबरन दो लेन में निर्माण करा दिया गया। अधिकारियों ने यह जानते हुए भी इसमें सुधार नहीं किया कि फ्लाईओवर पर तीव्र मोड़ भी है और इसका संकरापन हादसों का सबब बनेगा। जब फ्लाईओवर पर हादसे बढ़ने लगे तो राजमार्ग खंड के अधिकारियों ने सेफ्टी ऑडिट भी कराया।

इसकी कुछ संस्तुतियों के आधार पर फ्लाईओवर को फाइबर डिवाइडर लगाकर दो भागों में भी बांटा गया। हालांकि, फ्लाईओवर के संकरेपन को दूर न करने के चलते इसके बाद भी हादसे होने से हाईकोर्ट ने मई 2018 में फ्लाईओवर को फोर लेन करने या बगल में एक और फ्लाईओवर निर्माण पर फिजिबिलिटी रिपोर्ट तलब की थी। यह रिपोर्ट भी बनाई गई और तय किया गया कि बल्लूपुर चौक से बल्लीवाला की तरफ आते हुए दायीं तरफ एक और डबल लेन फ्लाईओवर बनाया जा सकता है। 

इसकी लागत जमीन अधिग्रहण को मिलाकर करीब 110 करोड़ रुपये बैठ रही है। यह रिपोर्ट पिछले साल शासन को भेजी जा चुकी थी और हाईकोर्ट को भी इसकी प्रति भेजकर अधिकारियों ने खानापूर्ति कर दी। क्योंकि जब बात उठी कि एक और डबल लेन फ्लाईओवर के निर्माण को स्वीकृति कब मिलेगी, तब शासन ने टका सा जवाब दे दिया कि इसके लिए बजट ही नहीं है। अफसोस कि दिसंबर तक फ्लाईओवर पर 15 जान गंवाने के बाद भी शासन यही कह रहा है कि यहां पर एक और डबल लेन फ्लाईओवर बनाया जाना किसी भी सूरत में संभव नहीं है। 

इसलिए जरूरी है एक और फ्लाईओवर 

महज डबल लेन फ्लाईओवर पर दोनों तरफ के वाहन गुजरते हैं। ऐसे में एक तरफ महज सिंगल लेन होने के चलते मोड़ वाले हिस्से पर वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। यदि यहां पर एक और फ्लाईओवर बन जाए तो एक फ्लाईओवर से एक ही दिशा वाले वाहन गुजरेंगे और यातायात सुगम हो पाएगा। 

सरकार को 110 करोड़ की चिंता 

बल्लीवाला का खूनी फ्लाईओवर महज तीन साल में 15 युवाओं की जिंदगी लील चुका है और शासन को सिर्फ 110 करोड़ रुपये की चिंता सता रही है। बेढ़ंगे और संकरे फ्लाईओवर के बगल में एक और डबल लेन फ्लाईओवर के निर्माण के लिए शासन ने 110 करोड़ रुपये का इंतजाम करने से हाथ खड़े कर दिए थे। मई 2018 हाईकोर्ट के आदेश पर ही लोनिवि ने एक और डबल लेन फ्लाईओवर निर्माण की संभावना टटोलते हुए शासन को रिपोर्ट सौंपी थी, जिसे अपर मुख्य सचिव (लोनिवि) ओम प्रकाश नकार चुके हैं। 

हालांकि, खूनी फ्लाईओवर पर लगातार हो रही दुर्घटनाओं पर अप्रैल 2018 में जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्वयं बल्लीवाला फ्लाईओवर का निरीक्षण किया तो उन्होंने सुरक्षा के लिए हरसंभव विकल्प अपनाने के निर्देश लोनिवि अधिकारियों को दिए थे। इसमें एक और डबल लेन फ्लाईओवर के निर्माण व मौजूदा फ्लाईओवर के डिजाइन में बदलाव जैसे विकल्प भी थे। यह बात और है कि अधिकारियों ने मुखिया के निर्देशों को सुनकर भी अनसुना कर दिया। 

फिजिबिलिटी रिपोर्ट में इस तरह बनाया गया खाका 

-जमीन अधिग्रहण पर करीब 90 करोड़ रुपये का खर्च आएगा और लगभग 7000 वर्गमीटर जमीन का अधिग्रहण करना होगा। इसमें यूटिलिटी शिफ्टिंग का खर्च भी शामिल है। 

-दूसरी तरफ फ्लाईओवर के निर्माण में महज 20 करोड़ रुपये का ही खर्च आंका गया है। 

हाईकोर्ट में झूठ बोलकर जनता पर थोपा संकरा फ्लाईओवर 

बल्लीवाला फ्लाईओवर पर हो रहे हादसों को लेकर एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी। जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि नियमों के विपरीत इस फ्लाईओवर को फोरलेन की जगह डबल लेन बनाया गया है। कोर्ट ने जब इस पर जवाब तलब किया तो अधिकारियों ने सफेद झूठ बोल दिया कि जमीन अधिग्रहण के पेच के चलते डबल लेन निर्माण किया गया। बताया गया कि 125 भवन इसकी जद में आ रहे थे और ऐसा करना संभव नहीं था। सच्चाई जबकि यह है कि अधिग्रहण को लेकर अधिकारियों और स्थानीय कारोबारियों और अन्य लोगों के बीच कई दौर की वार्ता हुई। हर बार यह बात सामने आई कि फ्लाईओवर फोर लेन में ही बनना चाहिए। 

फ्लाईओवर पर इस तरह किए गए नियम दरकिनार 

-मार्च 2013 में अन्य फ्लाईओवर के साथ बल्लीवाला फ्लाईओवर का भी शिलान्यास किया गया। 

-इसके करीब डेढ़ साल बाद मई 2014 में निर्माण की एनओसी केंद्र से ली गई, जबकि निर्माण से पहले राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 के तहत एनओसी लेनी जरूरी थी। 

-फिर एनओसी के विपरीत फोर लेन की जगह दो लेन में निर्माण किया गया। 

-जब भी मानकों के विपरीत काम करने की बात आई तो नोडल एजेंसी लोनिवि और निर्माण कंपनी ईपीआइएल के अधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी टालते रहे। 

सेफ्टी ऑडिट में समझौता 

दिसंबर 2017 में एडीबी और राजमार्ग अफसरों की संयुक्त टीम ने इसका सेफ्टी ऑडिट किया था। तब भी फ्लाईओवर की कम चौड़ाई और इसके मोड़ पर सवाल खड़े किए गए थे। हालांकि, तब फोर लेन के विकल्प को दरकिनार कर दो लेन फ्लाईओवर को भी दो हिस्सों में बांटने के निर्णय को अमलीजामा पहनाया गया। 

फ्लाईओवर बना तो यह होगा स्वरूप 

-लंबाई: करीब 800 मीटर 

-एप्रोच रोड: दोनों तरफ करीब 100-100 मीटर 

-चौड़ाई: 8.50 मीटर (डबल लेन) 

यह भी पढ़ें: पहाड़ दरकने से सात घंटे बंद रहा त्यूणी-पुरोला हाईवे, दर्जनों वाहन रहे फंसे

दून फ्लाई ओवर पर चार सप्ताह में मांगा जवाब 

हाई कोर्ट ने गलत डिजाइन के आधार पर बनाए गए बल्लीवाला फ्लाई ओवर देहरादून में तीन वर्ष में 12 हादसे होने और इन घटनाओं में 15 लोगों की मौत होने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की, जिसमें हाई कोर्ट ने सरकार को चार हफ्ते में जबाव दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में देहरादून के मीडिया कर्मी की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। मीडिया कर्मी द्वारा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर बताया कि देहरादून के बल्लीवाला में बनाए गए फ्लाई ओवर का डिजाइन गलत बनाया गया है। 

यह भी पढ़ें: Chardham Yatra: इस बार की यात्रा में प्रशासन की बड़ी परीक्षा, बर्फबारी और भूस्खलन जोन बने चुनौती


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.