उत्तराखंड में चीन सीमा पर सतर्कता बढ़ी, चीन के प्रति लोगों में भी गुस्सा
भारत व चीन सीमा के बीच बढ़ती तनातनी को लेकर उत्तराखंड में भी सेना और भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल (आइटीबीपी) अलर्ट मोड में हैं।
चमोली, जेएनएन। भारत व चीन सीमा के बीच बढ़ती तनातनी को लेकर उत्तराखंड में भी सेना और भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल (आइटीबीपी) अलर्ट मोड में हैं। सुरक्षा एजेंसियां भी खासी सतर्क हैं। राज्य की 345 किलोमीटर लंबी सीमा चीन से सटी हुई है। सूरतेहाल, उत्तरकाशी में 122 और चमोली जनपद में 88 किलोमीटर लंबी सीमा पर सेना और आइटीबीपी का मूवमेंट बढ़ा है।
चमोली जनपद की नीती घाटी में लगातार सेना व आइटीबीपी का मूवमेंट बढ़ रहा है। स्थानीय लोगों की मानें तो ग्रीष्मकाल में इस घाटी में सेना की आवाजाही होती थी। लेकिन इस बार पूर्वी लद्दाख की गलवन घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद सेना और आइटीबीपी का मूवमेंट सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक है। जोशीमठ से 66 किमी दूर मलारी के निकट बुरांश आर्मी चैक पोस्ट पर नीती घाटी जाने वाले वाहनों की पड़ताल कर लोगों को पूछताछ के बाद आगे बढ़ने दिया जा रहा है। आमतौर पर नीती घाटी में जाने के लिए स्थानीय लोगों को कोई जांच की जरूरत नहीं होती थी। किंतु नीती गमशाली से आगे जाने के लिए इनर लाइन परमिट की जरूरत होती है। पर्यटन व पर्वतारोहण के लिए सीमा क्षेत्र में जाने की किसी को इजाजत नहीं है। सिर्फ स्थानीय लोग ही अपने गांवों को आवाजाही कर रहे हैं।
बुधवार की रात्रि को सीमा क्षेत्र में सेना के वाहनों की आवाजाही जारी रही। मलारी के ग्राम प्रधान मंगल सिंह का कहना है कि वैसे तो गर्मियों में सेना का मूवमेंट इस घाटी में प्रत्येक वर्ष होता था। लेकिन इस बार सेना की सतर्कता व मूवमेंट ज्यादा बढ़ गई है। वे कहते हैं कि लद्दाख के गलवन घाटी में चीनी सेना की नापाक हरकत से सीमांत गांववासी भी खासे आक्रोशित हैं। उत्तरकाशी में भी चीन सीमा पर आइटीबीपी और सेना पूरी तरह से मुस्तैद है। यहां हर्षिल घाटी में ग्रामीणों व पर्यटकों की आवाजाही पर किसी तरह की रोक नहीं है।
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सीमांत क्षेत्र के सजग प्रहरियों को मिला इनर लाइन परमिट
भारत-चीन सीमा पर अलर्ट के बीच उत्तरकाशी और चमोली में भेड़ पालक परिवारों को इनर लाइन (आंतरिक सुरक्षा रेखा) परमिट दिया गया है। हर वर्ष परमिट लेकर ये भेड़पालक परिवार मवेशियों को लेकर बॉर्डर क्षेत्र में विचरण कर सजग प्रहरी की भूमिका निभाते हैं। जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने बताया कि भेड़पालकों को एसडीएम स्तर से इनर लाइन की अनुमति दी गई है। 7 जून से लेकर अभी तक 16 भेड़ पालक परिवारों को अनुमति दी गई हैं। ये सभी भेड़पालक बगोरी गांव के निवासी है।