इस गांव तक पहुंचने के लिए पैदल तय करना होगा 24 किलोमीटर का सफर, जानिए
चमोली जिले के सीमांत डुमक गांव पहुंचने के लिए 24 किमी का फासला पैदल तय करना पड़ता है। 238 मतदाताओं वाले इस गांव में भी कभी सांसद प्रत्याशी नहीं पहुंचे।
गोपेश्वर, देवेंद्र रावत। पौड़ी गढ़वाल संसदीय क्षेत्र में पड़ने वाले चमोली जिले के सीमांत डुमक गांव पहुंचने के लिए 24 किमी का फासला पैदल तय करना पड़ता है। 238 मतदाताओं वाले इस गांव में भी कभी सांसद प्रत्याशी नहीं पहुंचे। गांव की आबादी 400 से अधिक है, जिसमें 123 पुरुष और 115 महिला मतदाता हैं।
गांव का भूगोल देखें तो जिला मुख्यालय गोपेश्वर के कुंजौ मैकोट और ब्लॉक मुख्यालय जोशीमठ के उर्गम से गांव के लिए पैदल रास्ते जाते हैं। दोनों ही रास्तों से डुमक पहुंचने के लिए घने जंगल से होते हुए 24 किमी का फासला तय करना पड़ता है। गांव के लिए नब्बे के दशक में घिंघराण से सड़क स्वीकृत हुई थी, जो सिर्फ कुंजौ मैकोट तक ही बन पाई। इससे आगे सड़क पर वन भूमि स्थानांतरण का पेंच फंस गया। वर्ष 2002 में इस सड़क पर निर्माण कार्य शुरू हुआ, लेकिन मामला अटक गया।
वर्ष 2007 में उर्गम से भी डुमक तक सड़क स्वीकृत हुई, लेकिन यहां भी निर्माण दो किमी से आगे नहीं बढ़ा। ग्राम प्रधान सरस्वती देवी कहती हैं कि वोट देना उनकी मजबूरी है, क्योंकि वह लोकतंत्र का निरादर नहीं कर सकते। लेकिन, इस बात का मलाल उन्हें हमेशा रहता है कि कोई भी प्रत्याशी किसी भी आम चुनाव में उनसे वोट मांगने नहीं आता। सांसद से मिलने के लिए भी उन्हें गोपेश्वर या जोशीमठ की राह पकड़नी पड़ती है। इसके लिए उन्हें तीन दिन चाहिएं। क्षेत्र पंचायत जोशीमठ के प्रमुख प्रकाश रावत कहते हैं कि इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि जिस प्रतिनिधि को वह चुनते हैं, उससे कभी रूबरू तक नहीं हो पाते।
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