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अंडर-19 वर्ल्ड कप: इस युवा की गेंदबाजी की फिरकी में घूमा ऑस्ट्रेलिया

अंडर 19 वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कमलेश नगरकोटी ने बेहतरीन प्रदर्शन दिखाया। उनके इस प्रदर्शन और भारत की जीत से उनके गांव में जश्न का माहौल हैै।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 04 Feb 2018 02:18 PM (IST)Updated: Sun, 04 Feb 2018 08:57 PM (IST)
अंडर-19 वर्ल्ड कप: इस युवा की गेंदबाजी की फिरकी में घूमा ऑस्ट्रेलिया
अंडर-19 वर्ल्ड कप: इस युवा की गेंदबाजी की फिरकी में घूमा ऑस्ट्रेलिया

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v style="text-align: justify;">बागेश्वर, [जेएनएन]: अंडर 19 वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कमलेश नगरकोटी के शानदार प्रदर्शन और फिर टीम की एतिहासिक जीत पर भरसाली गांव में दिवाली जैसा जश्न मना। टीवी पर नजरें लगाए बैठे गांव वाले अपने लाल का कमाल देख जबरदस्त उत्साह में थे। कमलेश ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल में दो विकेट लेकर वर्ल्ड कप भारत के नाम करवाया। कमलेश ने जैसे ही पहला विकेेट झटका, दोस्त और परिजनों के खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दूसरे विकेेट पर तो गांव वाले नाचने लगे। विश्व कप जीतने बाद तो पूरे गांव में दिवाली जैसा जश्न दिखने लगा। आतिशबाजी के साथ मिठाई का वितरण और एक-दूसरे को बधाई देते परिजनों का उल्लास चेहरे पर देखते बन रहा था। 
दुर्गम क्षेत्र में हैं कमलेश का गांव 
क्रिकेट की दुनिया में उभरते कमलेश नगरकोटी उर्फ बिट्टू जिला मुख्यालय से लगभग 41 किमी दूर कुलारंग चौड़ा ग्राम सभा के दुर्गम क्षेत्र भरसाली-जजुराली तोक के रहने वाले हैं। अंडर 19 क्रिकेट वल्र्ड कप से पूर्व कमलेश वीनू माकंड ट्रॉफी, कूच बिहार ट्रॉफी खेल चुके हैं। 
साढ़े तीन करोड़ की लगी थी बोली 
ओपन अंडर 19 में बेहतरीन प्रदर्शन कर कमलेश सबकी नजरों में आए। उन्होंने शताब्दी एक्सप्रेस से भी तेज गेंद फेंकी। और शताब्दी एक्सप्रेस के रुप में चर्चित हो गए। अभी आइपीएल मैचों के लिए केकेआर की टीम का भी वह हिस्सा होंगे। उनकी साढ़े तीन करोड़ की बोली लगी। 
चार साल की उम्र में चले गए जयपुर 
कमलेश के पिता लक्ष्मण नगरकोटी सेना में आरनेरी कैप्टन रहे। कुछ समय पहले ही वह रिटायर हुए। कमलेश की शिक्षा जयपुर सेना के स्कूल में ही हुई। वह राजस्थान की टीम से खेलते है। उन्हें बचपन में बास्केट बाल के खिलाड़ी थे। लेकिन क्रिकेट कोच सुरेंद्र राठौर की नजर जब कमलेश पर क्रिकेट खेलते हुए पड़ी तो उन्होंने इस खेल से उन्हें जुडऩे को कहा। फिर क्या था कमलेश आगे ही बढ़ता चला गया। कमलेश के परिजनों ने बताया कि जब वह चार साल के थे तो वह जयपुर चले गए थे।   
यही तमन्ना है, उसे देखूं और गले से लगा लूं... 
भरसाली-जजुराली में रह रही 85 वर्षीय दादी रमुली देवी को अपने पोते बिट्टू का इंतजार है। जब उनके प्रदर्शन के बाद में उन्हें पता चला तो उन्होंने कहा कि वह जानती थीं बिट्टू जरूर देश का नाम रोशन करेगा। 10 साल पहले वह यहां आया था। उसके पिता पूजा पाठ के सिलसिले में गांव आए थे। यहां भी वह लकड़ी के बल्ले से बस खेलने की कोशिश करता रहता था।
चाचा पूरन से साथ खेलने की काफी जिद करता रहता था। वह काफी खुशमिजाज बेटा है, सबको हंसाता रहता है। आज मेरे पोते ने मेरे गांव का नाम रोशन कर दिया है। बस अब एक ही हसरत है, एक बार बिट्टू को देख लूं और गले से लगा लूं...तो सारी तमन्ना पूरी हो जाएगी। 
कमलेश की शानदार गेंदबाजी की बदौलत भारत वर्ल्ड कप जीतने में सफल रहा। शहर से लेकर गांव तक में खेल प्रेमियों ने जश्न मनाया। सभी ने मिठाइयां बांटकर उसके उच्च्वल भविष्य की कामना की। ताई मंजू देवी, बचुली देवी, हंसी देवी, बचुली देवी, कमला, बिमला आदि ने अपने भतीजे की सफलता की कामना करते हुए उसकी लंबी उम्र की कामना की। 
अगले महीने गांव आएंगे बिट्टू 
कमलेश के पिता लक्ष्मण सिंह नगरकोटी अपने सात भाइयों में चौथे नंबर के है। सेना में होने के कारण उन्होंने पहले ही गांव छोड़ दिया था। वह नौकरी के दौरान इधर-उधर ही रहे। उनके तीन बड़े भाई  केदार सिंह, गोविंद सिंह, दरबान सिंह व तीन छोटे भाई पूरन सिंह, बहादुर सिंह, प्रयाग सिंह है। उनके भाइयों का कहना था कि वह अगले महीने गांव आने वाला है। शायद उनके साथ बिट्टू के के भी आने की उम्मीद है। 
कमलेश के घर पहुंचने को चलना पड़ता है 10 किमी पैदल 
जहां एक और कमलेश के बेहतरीन प्रदर्शन से खुशी की लहर है वहीं गांव वालों को अब सड़क की आस जगने लगी है। उनका कहना है कि कमलेश की बदौलत ही सही शायद अब सड़क मिल जाए। 
जिला मुख्यालय से 41 किमी दूर कुलारंग चौड़ा ग्राम सभा का तोक है जजुराली-भरसाली। यह गांव आलराउंडर कमलेश नगरकोटी का पैतृक गांव है। जिला मुख्यालय से यहां पहुंचने के लिए 21 किमी धारगुना तक गाड़ी से जाना पड़ता है। वहां से कच्ची सड़क बनी हुई है। अधिकतर लोग 20 किमी पैदल चलकर गांव पहुंचते है। पैदल जाने वाले लोग अक्सर कांडा पड़ाव से आते है।
यहां से गांव की पैदल दूरी 10 किमी होती है। कांड़ा पड़ाव गांव का मुख्य बाजार भी है। बरसात में तो हमेशा ही यहां मार्ग बंद रहता है। जिससे यहां रहने वालों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कमलेश के ताऊ केदार सिंह, गोविंद सिंह, चंद्र सिंह, चाचा पूरन सिंह, बहादुर सिंहह, प्रयाग सिंह ने कहा कि 2016 में प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत यह कच्ची सड़क काटी गई। लेकिन अब इसमें काम बंद हो गया है। उन्हें उम्मीद है कि कमलेश के प्रदर्शन के बाद शासन-प्रशासन की नजर गांव में पड़ेगी और सड़क का कार्य जल्द किया जाएगा। 
पीएमजीएसवार्इ के अधिशाषी अभियंता राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि गांवों तक सड़क पहुंचाना सरकार की प्राथमिकता में है। सड़क काट दी गई है। जल्द ही गांव तक डामरीकरण का कार्य किया जाएगा। 
परिचय 
क्रिकेटर कमलेश नगरकोटी 
जन्म- 28 दिसंबर 1999 
स्थान- बाड़मेर, राजस्थान 
बैटिंग- दांए हाथ के बल्लेबाज 
गेंदबाज- दाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज 
- राजस्थान की ओर से विजय हजारे ट्राफी 
- अंडर 19 वर्ल्ड कप में 11 विकेट लिए 3.51 की औसत से। फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 41 रन पर दो विकेट चटकाए 
- आइपीएल-2018 में केकेआर की टीम से करेंगे प्रतिनिधित्व   
इसी मैदान में तपकर बना कुंदन 
भरसाली-जजुराली के इसी उबड़ खाबड़ खेल मैदान में कभी क्रिकेट का उभरता सितारा गांव के अन्य बच्चों के साथ खेला करता था। वह तब क्रिकेट के साथ दौड़ व अन्य खेल भी खेला करता था। जैसा बच्चे करते है। उसके साथियों व परिजनों को पता भी नही था कि बिट्टू एक दिन इस मुकाम में पहुंचेगा। आज भी चाचा पूरन सिंह इस खेल मैदान को याद करते हुए बिट्टू के साथ बीते पल लोगों को बताते है। उनका कहना था कि कभी वह बैटिंग करता था मैं गेंदबाजी। कभी वह गेंदबाजी तो मैं बैटिंग...। अब भी जो बच्चे यहां पर खेलने आते है उन्हे देखकर कमलेश की याद आती है। लगता है कि अगर मौका मिले तो यहां से भी कई कमलेश और निकलकर देश का नाम रोशन कर सकते है।    

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