स्वामी विवेकानंद को दिया था ज्ञान, सालों बाद फिर हुए जिंदा; जानिए
अल्मोड़ा में जिस पीपल के पेड़ के नीचे स्वामी विवेकानंद ने ज्ञान की प्राप्ति की थी, उस पीपल के पेड़ को पुनर्जीवित किया गया है।
रानीखेत, [दीप सिंह बोरा]: पहाड़ की वादियों में 128 वर्ष पहले जिस पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर युगनायक स्वामी विवेकानंद ने ब्रह्मांड का ज्ञान प्राप्त किया था, वह पेड़ पुनर्जीवित हो चुका है। यह संभव हो पाया प्राचीन पेड़ की कायनिक कोशिकाओं से तैयार क्लोन से। इस पीपल के जीवंत होने से यहां अद्भुत आध्यात्मिक तरंगें लोगों को फिर महसूस होने लगी हैं।
'उतिष्ठ भारत' का संदेश लेकर 1890 में युग पुरुष स्वामी विवेकानंद जब हिमालय यात्रा पर निकले तो तीन नदियों के संगम काकड़ीघाट पर उन्हें अद्भुत खगोलीय तरंगों की अनुभूति हुई थी। स्नान कर पास ही विशाल पीपल वृक्ष की छांव तले बैठे गए। एक घंटे तक ध्यानमग्न रहे।
वह कहते हैं इसी दौरान उन्हें विश्व व अणु ब्रह्मांड एक ही नियम की संरचना का आत्मज्ञान हुआ। वर्ष 2010 की प्रलयंकारी आपदा के बाद यह पीपल का पेड़ सूखने लगा था। वर्ष 2015 में गोविंद बल्लभ पंत कृषि विवि पंतनगर के वैज्ञानिक इस पैतृक वृक्ष के जीवित तनों से कायिक कोशिकाओं को सुरक्षित कर प्रतिरूप(क्लोन) बनाने में जुटे। सफल प्रयोग के बाद क्लोन को उसी जड़ पर लगाया गया, जहां कभी पैतृक वृक्ष था।
क्षेत्रीय पुरातत्व इकाई के प्रभारी चंद्र सिंह चौहान का कहना है कि पुरातत्व इकाई युग पुरुष स्वामी विवेकानंद की स्मृतियों से जुड़े करीब 500 साल पुराने पीपल वृक्ष को नया जीवन देने में बड़ी सफलता मिली है। प्रतिरूप जड़ें जमा चुके हैं। क्लोन को उसी स्थान पर लगाया गया है, जहां पुराना पेड़ था।
मिलेगी एक नई पहचान
युग पुरुष को अलौकिक शक्ति की अनुभूति कराने वाले काकड़ीघाट की तपोस्थली पर्यटन मानचित्र में भी नई पहचान कायम करेगा। विवेकानंद जन्मशताब्दी समारोह समिति से जुड़े पूर्व ब्लॉक प्रमुख धन सिंह रावत ने कहा कि काकड़ीघाट में युवाओं के प्रेरणास्रोत युग नायक की भव्य प्रतिमा लगाने के लिए राज्य सरकार व पर्यटन विभाग को प्रस्ताव भेजा जाएगा।
यह भी पढ़ें: स्वामी विवेकानंद के जन्मदिवस को सेवा दिवस के रूप में मनाया
यह भी पढ़ें: स्वामी विवेकानंद की 156वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई