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हॉलैंड के सेब को भाई हिमालयी आबोहवा

उत्तराखंड अब एप्पल स्टेट बनने की ओर अग्रसर है। हॉलैंड की उन्नत सुपरचीफ समेत तमाम अन्य सेब प्रजातियों को पर्वतीय प्रदेश की आबोहवा रास आने लगी है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 27 Jan 2018 04:13 PM (IST)Updated: Sat, 27 Jan 2018 09:19 PM (IST)
हॉलैंड के सेब को भाई हिमालयी आबोहवा
हॉलैंड के सेब को भाई हिमालयी आबोहवा

रानीखेत, [दीप सिंह बोरा]: उत्तराखंड ने 'एपल स्टेट' की ओर तेजी से कदम बढ़ा लिए हैं। जम्मू कश्मीर व हिमाचल की सफलता के बाद 'मिशन एपल' के लिए चयनित हिमालयी राज्य में 'डेमो बागान' का प्रयोग सफल हो गया है। हॉलैंड की उन्नत सुपरचीफ समेत तमाम अन्य सेब प्रजातियों को पर्वतीय प्रदेश की आबोहवा रास आने लगी है। इससे उत्साहित उद्यान विशेषज्ञ कुमाऊं व गढ़वाल में एक-एक एकड़ के पांच और 'डेमो बागान' विकसित करने जा रहे। 

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दरअसल, बीते वर्ष देश में जम्मू व हिमाचल के बाद उत्तराखंड को मिशन एपल के लिए चुना गया था। मकसद था कम क्षेत्रफल में विदेशी प्रजाति के सेब की अधिक पैदावार लेकर पलायन से बेजार हिमालयी राज्य के किसानों को बागवानी से जोडऩा। इसके तहत सेब के लिए माकूल प्रदेश के छह जिले चुने गए। 

चकराता देहरादून, बिल्लेखक ताड़ीखेत (अल्मोड़ा) समेत छह अन्य स्थानों पर पिछले वर्ष की सर्दी में एक-एक एकड़ में डेमो बागान तैयार किए गए। खास बात कि सालभर में ही विदेशी प्रजातियों के पेड़ों पर सेब की ठीकठाक पैदावार हुई। सफल प्रयोग के बाद शहर फाटक (अल्मोड़ा) समेत अब राज्य में पांच और डेमो बागान विकसित किए जा रहे हैं। 

सामान्य स्थानीय प्रजाति की तुलना में कहीं छोटा (अधिकतम पांच फुट) हॉलैंड की उन्नत प्रजाति के पौधे महज डेढ़ वर्ष में फल दे देता है। महत्वाकांक्षी योजना के तहत मिशन एपल से जुड़ने पर किसान को कुल लागत का 20 फीसद ही खर्च करना होगा। शेष 80 प्रतिशत उद्यान निदेशालय सब्सिडी के तौर पर देगा। 

इन जिलों में डेमो बागान प्रयोग सफल 

= बिल्लेख ताड़ीखेत ब्लॉक (अल्मोड़ा), तूणी व चकराता (देहरादून), चमोली, चंपावत, पिथौरागढ़ व नैनीताल 

अब यहां विकसित होंगे बागान 

= शहरफाटक लमगड़ा ब्लॉक (अल्मोड़ा), देहरादून में दो, उत्तरकाशी, नैनीताल 

महकेंगी ये उन्नत प्रजातियां 

= सुपर चीफ, ऑर्गन, रेड स्पर, रेड फ्यूजी, ग्रीमी स्मिथ, गाला फिएगो, मिर्च गैला, रेड कॉर्न, एवरेस्ट एम, गेलगाला (सभी हॉलैंड की) 

हिमालयी चमक भी दिखेगी 

हाइटेक तकनीक से विकसित सेब बागान में प्लास्टिक मल्चिंग का बड़ा रोल है। बगीचे पर बिछने वाली सफेद चादर पानी बचाएगा। इस पर सूर्य की रोशनी परावर्तित होकर सेब पर पड़ेगी, जो उसका रंग और चटक व रसीला बनाएगी। 

पूरा प्राजेक्ट 12 लाख का 

डेमो बागान तैयार करने में कुल 12 लाख रुपये की लागत आएगी। उद्यान निदेशालय की तकनीकी टीम एक एकड़ में विकसित बगीचे पर 150 पोल लगाकर देगी। इन पोलों की मदद से नेट (जाल) के जरिये घेराबंदी होगी। सिंचाई के लिए ड्रिप लाइन व सोलर फैंसिंग भी विभाग ही कराएगा। 

उद्यान निदेशक बीर सिंह नेगी का कहना है कि मिशन एपल पर्वतीय किसानों की आर्थिक रीढ़ साबित होगा। हॉलैंड की ये उन्नत प्रजातियां डेढ़ वर्ष में प्रति एकड़ 10 से 15 किलो की करीब सौ पेटी दे देगा। जबकि उत्तराखंडी सेब की सामान्य प्रजातियां पांच साल में फल देती हैं। प्रयोग सफल रहने के बाद अब अल्मोड़ा में शहरफाट के साथ ही उत्तराखंड में पांच नए डेमो बागान विकसित कर विदेशी प्रजाति के पौधे जल्द लगा लिए जाएंगे। 

वहीं जिला उद्यान अधिकारी चौधरी हितपाल सिंह का कहना है कि एक एकड़ में विदेशी प्रजाति के 1100 पौधे लगाए जा रहे। जबकि पर्वतीय सेब के सौ पेड़ ही लग पाते हैं। जनपद के बिल्लेख (ताड़ीखेत ब्लॉक) में बीते वर्ष तैयार डेमो बागान का परिणाम बेहतर निकला है। पहले साल ही नए पेड़ों पर खूब फल आए। शहरफाटक की तैयारी जोरों पर है। 

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