संस, अल्मोड़ा : साल बदल गया, लेकिन अल्मोड़ा मेडिकल कालेज की स्वास्थ्य सेवाओं की तस्वीर नही बदल सकी। आलम यह है कि करोड़ों की लागत से बने मेडिकल कालेज के पास अपना रेडियोलाजिस्ट तक नही है, स्वास्थ्य विभाग की मेहरबानी से मेडिकल कालेज में मरीजों को अल्ट्रासाउंड की सुविधा मिल रही है।
ऐसे में उधार का रेडियोलाजिस्ट अवकाश पर चले जाए तो मरीजों को उपचार अधर में लटक जाता है।
लंबे इंतजार के बाद दो साल पूर्व जनवरी माह में मेडिकल कालेज को एनएमसी की मान्यता मिल सकी। जिसके बाद अल्मोड़ा समेत बागेश्वर और पिथौरागढ़ के लोगों को बेहतर उपचार की उम्मीद जगी। लगा की अब मैदानी क्षेत्रों की दौड़ लगाने से निजात मिलेगी। लेकिन करोड़ों रुपये खर्च कर मेडिकल कालेज स्थापित करने के बाद, जब नियुक्तियों की बात आई तो सरकारी सच ने दावों का मुखौटा पहन लिया।
स्थिति यह है कि एक अदद स्थाई रेडियोलाजिस्ट तक मेडिकल कालेज में तैनात नही हो सका। जिससे मरीजों को भारी दिक्कतें झेलनी पड़ रही है। वहीं कई बार मेडिकल कालेज में विशेषज्ञ डाक्टरों और संसाधनों के अभाव में अब भी मरीजों को हायर सेंटर की दौड़ लगानी पड़ रही है।
चार माह पूर्व छोड़ी थी रेडियोलाजिस्ट
ने नौकरी
एक मात्र रेडियोलाजिस्ट ने चार माह पूर्व बांड पूरा होने के बाद नौकरी छोड़ दी। जिसके बाद मेडिकल कालेज रेडियोलाजिस्ट विहीन हो गया। दो माह तक मरीजों को अल्ट्रासाउंड की सुविधा नही मिल सकी। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने यहां अस्थाई तौर पर रेडियोलाजिस्ट को तैनात किया है। जिससे कुछ हद तक मरीजों को राहत मिल रही है।
रेडियोलाजिस्ट के लिए लगातार पत्राचार किया जा रहा है। अब जल्द ही आउटसोर्स के माध्यम से रेडियोलाजिस्ट की तैनाती की उम्मीद है। फिलहाल स्वास्थ्य विभाग की ओर से तैनात रेडियोलाजिस्ट मरीजों का अल्ट्रासाउंड कर रहे हैं।
प्रो. सीपी भैसोड़ा, प्राचार्य मेडिकल कालेज अल्मोड़ा।