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    Bharat Name : संविधान सभा के सदस्य हरगोविंद पंत Bharat और India में किस नाम के थे पक्षधर- यह बात आई सामने

    By Jagran NewsEdited By: Mohammed Ammar
    Updated: Wed, 06 Sep 2023 09:28 PM (IST)

    India Vs Bharat Row दुर्भाग्य है कि 75 वर्ष बाद भी आज हम इस पर बहस कर रहे हैं।संविधान सभा के सदस्य रहे स्व. हरगो¨वद पंत की पुत्र वधु लज्जा पंत पौत्र आशुतोष पंत व पौत्रवधु डा. वसुधा पंत अल्मोड़ा स्थित क्रांति सदन में रहते हैं। उनका कहना है कि संविधान सभा में बहस के दौरान पंत जी इंडिया के बजाय भारत या भारतवर्ष के पक्ष में थे।

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    Bharat vs India : संविधान सभा के सदस्य हरगोविंद पंत

    चंद्रशेखर द्विवेदी, अल्मोड़ा : India Vs Bharat Row भारत और इंडिया शब्द को लेकर देश की राजनीति गर्माई हुई है। विपक्षी दल नाम बदलने से बेचैन हैं तो भाजपा संविधान का हवाला दे रही है। संविधान सभा के सदस्य रहे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हरगोविंद पंत भी भारत नाम रखने के प्रबल समर्थक थे। उनके स्वजन भी कहते हैं कि पंत हमेशा ही देश का नाम भारत या भारतवर्ष किए जाने के पक्षधर थे। यह तो आजादी के समय ही हो जाना चाहिए था।

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    पौराणिक काल का दिया था हवाला

    दुर्भाग्य है कि 75 वर्ष बाद भी आज हम इस पर बहस कर रहे हैं।संविधान सभा के सदस्य रहे स्व. हरगो¨वद पंत की पुत्र वधु लज्जा पंत, पौत्र आशुतोष पंत व पौत्रवधु डा. वसुधा पंत अल्मोड़ा स्थित क्रांति सदन में रहते हैं। उनका कहना है कि संविधान सभा में बहस के दौरान पंत जी इंडिया के बजाय भारत या भारतवर्ष के पक्ष में थे।

    उन्होंने संविधान सभा की बैठक में भी कहा था कि मैं देश के नाम को लेकर एक प्रस्ताव रख रहा हूं। हमें इंडिया की जगह नाम भारत या भारतवर्ष किया जाना चाहिए। पंत ने तर्क दिया था कि पौराणिक काल से ही हमारे देश को भारत या भारतवर्ष के नाम से संबोधित किया जाता रहा है। यह शब्द उत्साह और साहस को दर्शाता है। प्राचीन समय से ही यह नाम हमारी पहचान है।

    इंडिया शब्द से गुलामी की आती थी बू 

    वधु लज्जा व पौत्रवधु डा. वसुधा ने कहा कि संविधान सभा में बहस के दौरान हरगोविंद पंत ने कहा था कि जहां तक इंडिया शब्द की बात है तो मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि विदेशियों के दिए नाम से हमें इतना लगाव क्यों है। विदेशियों ने हमारी स्वतंत्रता छीन ली और देश की संपत्ति को हथिया लिया था। अगर इसके बाद भी हम इंडिया शब्द को चुनते हैं तो यह साबित होगा कि हमें जरा भी शर्म नहीं। उन्होंने साफ कर दिया था कि वह केवल भारतवर्ष नाम चाहते हैं। लेकिन लंबी चर्चा के बाद आखिर में इंडिया दैट इज भारत नाम को स्वीकृति दी गई। उन्होंने कहा कि आज 75 वर्ष बाद फिर वहीं चर्चा हो रही है।

    पौत्रवधु डा. वसुधा ने कहा कि हरगोविंद पंत ने संविधान सभा में जिक्र किया था कि जम्बू द्वीपे भारतखंडे आर्याव्रत देशांतर्गते..। अर्थात इस जम्बू द्वीप में भारत खंड अर्थात भारत का क्षेत्र भारतवर्ष स्थित है, जोकि आर्यावर्त कहलाता है। उन्होंने कहा कि यह जिक्र आज का नहीं, विष्णु पुराण सहित कई शिलालेखों में मिलता है।

    आंदोलन का प्रमुख चेहरा थे हरगोविंद

    उनका जन्म 19 मई 1885 को अल्मोड़ा जिले के चितई गांव में हुआ था। उन्होंने 1909 में इलाहबाद के स्कूल आफ ला से एलएलबी की डिग्री हासिल की। रानीखेत से वकालत शुरू की। इसी समय पूरे देश में गोरों से स्वतंत्रता की आग फैलने लगी थी। कुली बेगार आंदोलन में उनकी प्रमुख भूमिका रही। वर्ष 1925-29 तक वह अल्मोड़ा जिला परिषद के अध्यक्ष रहे।

    कुमाऊं क्षेत्र में ब्राह्मणों को हल न चलाने की प्रथा थी। वर्ष 1928 में उन्होंने स्वयं हल चलाकर इस प्रथा को तोड़ा। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अल्मोड़ा जेल में वर्ष 1930 में 16 दिन और वर्ष 1940 में वह 270 दिन रहे। उन्होंने नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। आजादी के बाद संविधान सभा के सदस्य बने। उत्तर प्रदेश की प्रथम विधानसभा में विधायक रहे। उन्होंने रानीखेत विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़ा। वर्ष 1957 में वह लोकसभा के उप सभापति भी बने। इसी वर्ष उनका निधन हो गया।