फायर सीजन से पहले ही धधक उठे जंगल, कर्इ हेक्टेयर वन क्षेत्र राख
अराजक तत्वों ने कटारमल का मिश्रित जंगल भी जला डाला। वहां हाईवे से लगा कई हेक्टेयर वन क्षेत्र खाक हो गया है।
रानीखेत, जेएनएन। इसबार शीतकाल में बारिश के धोखा देने के दुष्परिणाम साफ दिखने लगे हैं। स्रोत तो बेपानी हो ही चले हैं, सूखे से बेजार जंगल फायर सीजन से पहले ही आग की चपेट में आने लगे हैं। हालिया कुंवाली का जंगल तबाह होने के बाद कटारमल का वन क्षेत्र भी धधक उठा। उधर, तलाड़ गांव के एक खेत से उठी विकराल लपटें लगभग दो सौ मीटर ऊपर मजखाली अल्मोड़ा हाईवे तक पहुंच गई। डीएफओ ने तत्काल टीम दौड़ाई। हालांकि गांव की महिलाएं भी हालात पर काबू पाने में जुटी रही।
बारिश न होने से इस बार वनाग्नि की आशंका बढ़ गई है। आलम यह है कि सर्दी में ही जंगलात धधकने लगे हैं। बीते दिनों सोमेश्वर रेंज का कुवाली वन क्षेत्र जल कर खाक हो गया था। वहीं बीते रोज अराजक तत्वों ने कटारमल का मिश्रित जंगल भी जला डाला। वहां हाईवे से लगा कई हेक्टेयर वन क्षेत्र खाक हो गया है। इधर मंगलवार को तलाड़ गांव (हवालबाग ब्लॉक) के ग्रामीणों की चूक भारी पड़ गई। बताते हैं कि खरपतवार जलाकर छोड़ दिया गया था।
शाम को हवा तेज चलने के कारण लपटों ने विकराल रूप ले लिया। रही सही कसर सूखी घास व कुर्री (लैंटाना) की झाड़ियों ने पूरी कर डाली। इससे बेकाबू लपटें करीब दो सौ मीटर की खड़ी पहाड़ी को जलाती हुई मजखाली अल्मोड़ा हाईवे तक पहुंच गई।
वन पंचायत या वन विभाग का जंगल
आग से जंगल में रखा गया केबिल का ढेर भी तबाह हो गया। हालात बिगड़ने पर गांव में हड़कंप मच गया। महिलाओं ने आग बुझाने की कोशिश तेज की। डीएफओ प्रवीण कुमार ने भी टीम दौड़ाई। अलबत्ता दो घंटे की मशक्कत के बाद आग पर नियंत्रण पाया जा सका। ग्रामीणों ने बताया कि चपेट में जंगलात विद्युत विभाग के अधीन है। राहगीरों ने बताया कि इसमें तलाड़ का वन पंचायत भी शामिल है।
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