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खतरा टालने को बदलेगा हाईवे का 125 मीटर लंबाई में एलाइनमेंट

अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे पर खतरनाक पाडली की पहाड़ी से खतरा हटाने को जापानी तकनीक से होने वाले सुरक्षात्मक कार्य का रोडमैप तैयार हो गया है। पहले चरण में पाडली क्षेत्र में करीब 125 मीटर लंबाई में हाईवे का एलाइनमेंट बदला जाएगा ताकि आवाजाही सुचारू रहे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Aug 2021 04:16 PM (IST)Updated: Tue, 10 Aug 2021 04:16 PM (IST)
खतरा टालने को बदलेगा हाईवे का 125 मीटर लंबाई में एलाइनमेंट

संवाद सहयोगी, रानीखेत : अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे पर खतरनाक पाडली की पहाड़ी से खतरा हटाने को जापानी तकनीक से होने वाले सुरक्षात्मक कार्य का रोडमैप तैयार हो गया है। पहले चरण में पाडली क्षेत्र में करीब 125 मीटर लंबाई में हाईवे का एलाइनमेंट बदला जाएगा, ताकि आवाजाही सुचारू रहे। इसके लिए इंजीनियरों की टीम में सर्वे भी पूरा कर लिया है। लगभग 21 करोड़ रुपये की लागत से जापानी विशेषज्ञों की निगरानी में कार्य शुरू होगा।

हाईवे पर पाडली की बीमार पहाड़ी के इलाज को जापानी व भारतीय इंजीनियरों तथा एनएच व जायका के अधिकारियों व कार्यदायी संस्था के इंजीनियरों की कई दौर की बैठकों के बाद अब काफी हद तक तस्वीर साफ हो गई है। मंगलवार को कार्यदायी संस्था एमएफ भूमि जिओ टेक प्राइवेट लिमिटेड के इंजीनियरों ने पाडली की पहाड़ी से नीचे निकलने वाले हाईवे को करीब 125 मीटर लंबाई में एलाइनमेंट बदलने समेत कई बिंदुओं पर विस्तार से बातचीत कर प्रस्ताव बनाकर एनएच विभाग को भी भेजा। करीब 21 करोड़ की लागत से खतरा टाल पहाड़ी को नया स्वरूप दिया जाएगा। इसके लिए विभिन्न चरणों में कार्य होगा। निरीक्षण टीम में प्रोजेक्ट इंजीनियर राजेश कुमार, साइट इंजीनियर साहिल कुमार, एसएस खान, मिथुन दास आदि मौजूद रहे। जापानी इंजीनियरों की देखरेख में ही होगा कार्य

जापानी तकनीक वैज्ञानिकों की देखरेख में होने वाले कार्य तीन चरणों में होगा। पहले चरण में पहाड़ी पर सीमेंट की जालनुमा चट्टान तैयार की जाएगी। दूसरे चरण में मजबूत चट्टान तक करीब 40 से 50 मीटर गहराई तक लोहे के एंगल फिट होंगे। अंतिम चरण में सुरक्षा दीवार तथा हाइड्रोस्टेटिक तकनीक से पहाड़ी पर खाद तथा पानी का संयुक्त स्प्रे कर बीज का छिड़काव किया जाएगा। ऐसी घास की पैदावार की जाएगी जो पहाड़ी पर फैलती चली जाए। दो वषरें तक चलेगा खतरा टालने का कार्य

कार्यदायी संस्था की इंजीनियरों के अनुसार खतरा टालने का कार्य करीब दो वषरें तक चलेगा। बताया कि कंपनी ने जापान से एक वैज्ञानिक को अधिकृत किया है, जबकि जायका विभाग की ओर से भी एक जापानी इंजीनियर अधिकृत किया गया है। इंजीनियर ऋषिकेश भी पहुंच गया है।


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