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वाराणसी: प्रवेश परीक्षाएं सरल बनाकर उड़ाया जा रहा उच्च शिक्षा का मजाक

प्रशासन को चाहिए कि अगर कट-पेस्ट की शिकायत मिले तो उस पर कार्रवाई करें।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Fri, 27 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 27 Jul 2018 11:38 AM (IST)
वाराणसी: प्रवेश परीक्षाएं सरल बनाकर उड़ाया जा रहा उच्च शिक्षा का मजाक

आज शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है, चाहे वह प्राथमिक शिक्षा हो या उच्च शिक्षा। इससे देश और समाज दोनों को खतरा है। भावी पीढ़ी के भविष्य को गर्त में तो डाल ही रहे हैं। इसके लिए मूलभूत ढांचा तो मामूली जिम्मेदार है, इसके जिम्मेदार अयोग्य शिक्षक हैं। जो धन, बल, सोर्स और अन्य माध्यमों को आधार बनाकर नौकरी पा लेते हैं। एक अयोग्य शिक्षक अपने संस्थान को 20 साल से अधिक पीछे ढकेल देता है। वह छात्र-छात्राओं के भविष्य के लिए भी घातक हो जाता है। ऐसे में हर हाल में सिर्फ और सिर्फ योग्य और गुणवत्ता वाले ही शिक्षक नियुक्त किए जाने चाहिए। वहीं प्रवेश परीक्षाओं को भी उच्च कोटि की बनाने की जरूरत है। सिर्फ भीड़ दिखा कर हम उच्च शिक्षा का मजाक ही उड़ा रहे हैं। प्रवेश परीक्षाएं सरल नहीं बल्कि गुणवत्ता परक बने।

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इंटरव्यू की हो वीडियोग्राफी

शिक्षा की व्यवस्था को दुरूस्त करना है तो सबसे पहले जरूरी है टीचरों का फेयर सलेक्शन। इंटरव्यू की वीडियोग्राफी कराने से पारदर्शिता बढ़ेगी, ताकि उसपर प्रश्न चिन्ह नहीं लग सके। आगे चलकर कोई सवाल उठें तो कमेटी के पास उचित और न्यायपूर्वक जवाब देने का तर्क रहे। हर सलेक्शन और कमेटी भी राष्ट्रीय स्तर की हो। सिर्फ कुलपति की चाह पर आधारित यह व्यवस्था पूरे सिस्टम को खराब कर देती है।

बंद हो पैसे लेकर शोध प्रकाशित करने वाले जर्नल

यूजीसी ने सभी फर्जी जर्नल को ब्लैक लिस्टेड कर एक बेहतर कदम उठाया है। सभी गलत और पैसे लेकर शोध प्रकाशित करने वाले जर्नल को हर हाल में बंद कर देना चाहिए। वरना लोग आर्टिकल की संख्या गिनाकर नौकरी पा जाते हैं।

छात्र की क्षमता का आंकलन वैकल्पिक प्रश्न से नहीं
अब टिक प्रणाली धड़ल्ले से बढ़ रही है, इससे छात्रों की शैक्षणिक और लेखन क्षमता का आंकलन नहीं हो रहा है। जरूरी है कि यह व्यवस्था हर विषय पर लागू नहीं की जाए। सामाजिक विज्ञान और कला वर्ग में तो बिल्कुल ही नहीं, इसमें शामिल किए जाए। सिलेबस को बेहतर बनाने की जरूरत है।

शिक्षक उठाएं जिम्मेदारी
अक्सर देखा जा रहा है कि शिक्षक अपने शोध छात्रों से कापियां जांचवा रहे हैं, इससे योग्य छात्रों के साथ अन्याय होता है। जरूरी है कि कॉपी जांचने के मामले में शिक्षक खुद ही यह जिम्मेदारी उठाए। पेपर तैयार करने में भी ईमानदारी बरती जाएं।

बताएं जाएं पढ़ाने के तरीके
शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने को टीचर्स की ट्रेनिंग भी जरूरी है। शिक्षकों को पढ़ाने के तरीके बताने पढ़े ताकि वह जो पढ़ाए विद्यार्थी को समझ में आए। पढ़ाई ऐसी हो, जिससे विद्यार्थी नेट या आईएएस की प्रवेश परीक्षा निकालने में भी सक्षम हो सके।

राजनीति से दूर रहे शिक्षक संस्थान
इन दिनों पीएचडी का स्तर भी नीचे गिरते जा रहा है।

शिक्षा संस्थानों को राजनीति से दूर रखना चाहिए। ऐसा करके छात्र अपना भविष्य खुद खराब कर रहे हैं। साथ ही कॉलेजों को मान्यता देने में भी राजनीतिक दबाव को दरकिनार करना चाहिए। नैक के तहत नए संस्थान, विश्वविद्यालय या कॉलेज खोलने के लिए भी मापदंड बनाने की जरूरत है। शर्तों को पूरा किए बिना कॉलेज खोलने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।

साथ ही सेल्फ फाइनेंस कॉलेज और कोर्स पर भी रोक लगाने की जरूरत है। योग्य संस्थान, योग्य शिक्षक आएंगे तो देश और समाज का भला होगा। इसके लिए आम लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा। एक साथ आवाज उठाई जाए तो शिक्षा व्यवस्था सुधर सकती है।

- प्रो. चंद्रकला पांडिया, महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर की पूर्व कुलपति और सामाजिक विज्ञान संकाय बीएचयू की पूर्व डीन हैं।

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