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गाजीपुर का लाल जिसने अमेरिकी टैंकों को तबाह कर पाकिस्‍तान को चटाई थी धूल

एक जुलाई के दिन उस शहीद का जन्‍म हुआ था जिसने पूर्वांचल की बलिदानी धरती की बलिदानी परंपरा का निर्वाह करते हुए देश के लिए अपना सर्वोच्‍च बलिदान दिया था।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 01 Jul 2019 10:07 AM (IST)Updated: Mon, 01 Jul 2019 04:51 PM (IST)
गाजीपुर का लाल जिसने अमेरिकी टैंकों को तबाह कर पाकिस्‍तान को चटाई थी धूल

गाजीपुर, जेएनएन। एक जुलाई के दिन बलिदानियों की धरती गाजीपुर में उस शहीद का जन्‍म हुआ था जिसने पूर्वांचल की बलिदानी धरती की बलिदानी परंपरा का निर्वाह करते हुए देश के लिए अपना सर्वोच्‍च बलिदान देकर देश की रक्षा की और दुश्‍मनों को खदेड़ दिया। जी हां, बात हो रही है गाजीपुर जिले के वीर योद्धा अब्‍दुल हमीद की। कम्पनी क्वार्टर मास्टर हवलदार वीर अब्दुल हमीद का जन्‍म आज ही के दिन सन 1933 में उत्‍तर प्रदेश के गाजीपुर जनपद में हुआ था।

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सर्वोच्‍च शहादत को सम्‍मान : अब्‍दुल हमीद भारतीय सेना की फोर ग्रेनेडियर में बतौर सिपाही तैनात थे जिन्होंने 1965 के भारत-पाक युद्ध के समय बुलावा आते ही घर छोड रण की ओर कूच कर दिया। युद्ध में खेमकरण सेक्टर के आसल उत्ताड़ में लड़े गए युद्ध में उन्‍होंने अद्भुत वीरता का प्रदर्शन करते हुए 10 सितंबर 1965 को पाकिस्‍तानी सैनिकों को खत्‍म करते हुए वीरगति प्राप्त की। जिसके लिए भारत सरकार की ओर से उन्हें मरणोपरान्त भारत का सर्वोच्च सेना पुरस्कार 'परमवीर चक्र' प्रदान किया गया था। 

पलट दिया था युद्ध का नक्‍शा : युद्ध की शुरुआत होते ही अपने घर आए अब्‍दुल हमीद को युद्ध की जानकारी होने की सूचना मिलते ही रण क्षेत्र की ओर रवाना हो गए। मोर्चा संभालते ही पता चला कि पाकिस्‍तान की ओर से अजेय माना जाने वाला अमेरिका से हासिल पैटन टैंक युद्ध में भीषण तबाही मचाने आ रहा है। लिहाजा मोर्चे पर अब्‍दुल हमीद ने उस समय अपनी गन माउन्टेड जीप लेकर मोर्चा संभाला और उस समय अजेय समझे जाने वाले पाकिस्तान के पैटन टैंकों को तबाह कर दिया। अपने कीमती पैटन टैंकों को तबाह होते देखकर पाकिस्‍तानी सेना के पांव उखड़ने लगे और पाकिस्‍तान को आखिरकार जंग में मुंह की खानी पड़ी। वहीं अंतिम सांस तक जंग लड़ने वाले गाजीपुर के इस लाल को मरणोपरांत सर्वोच्च सेना पुरस्कार 'परमवीर चक्र' दिया गया। 

सैनिकाें की धरती गाजीपुर : आज भी गाजीपुर जिले के सर्वाधिक सैनिक सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। कई गांव तो ऐसे भी हैं जहां हर दूसरे घर का युवा सेना में किसी न किसी पद पर कार्यरत है। गाजीपुर जिले में एशिया का सबसे बड़ा गांव गहमर भी है जहां पर सेना में अमूमन हर दूसरे घर से युवा सेना में शामिल होकर देश की सेवा कर रहे हैं। गाजीपुर जिले की माटी में पैदा हुए वीर अब्‍दुल हमीद के बाद सेना में भर्ती होने के लिए युवाओं की आज तक पूरी खेप तैयारियों में वर्ष भर लगी रहती है। सेना भर्ती की तैयारी करने वाले सभी युवाओं की प्रेरणा वीर अब्‍दुल हमीद ही होते हैं। 


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