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Hello Doctor : प्राकृतिक रंगों से खेलें होली, सिंथेटिक रंगों से रंगे शरीर या कपड़े लेकर नदियों-तालाबों में न जाएं

आजकल बाजारों में सिंथेटिक रंगों व गुलालों की भरमार है। ये रंग त्वचा के लिए न सिर्फ नुकसानदेह होते हैं। बल्कि आंख नाक में चले जाते हैं तो और भी समस्याएं खड़ी कर देते हैं। इन रंगों से त्वचा संबंधी अनेक तरह की समस्याएं खड़ी हो जाती हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 24 Mar 2021 06:37 PM (IST)Updated: Wed, 24 Mar 2021 08:13 PM (IST)
शिवप्रसाद गुप्त मंडलीय चिकित्सालय वाराणसी के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. मुकुंद श्रीवास्तव

वाराणसी, जेएनएन। होली रंगों का पर्व है। आजकल बाजारों में  सिंथेटिक रंगों व गुलालों की भरमार है। ये रंग त्वचा के लिए न सिर्फ नुकसानदेह होते हैं। बल्कि आंख, नाक में चले जाते हैं तो और भी समस्याएं खड़ी कर देते हैं। इन रंगों से त्वचा संबंधी अनेक तरह की समस्याएं खड़ी हो जाती हैं। इसलिए होली खेलें मगर इस तरह से रंगों के प्रयोग से बचें। अनेक प्रकार के फूलों से बने प्राकृतिक रंग भी बाजार में मिलते हैं, ये थोड़े महंगे जरूर होते हैं, मगर इनसे किसी तरह का नुकसान नहीं होता। इसलिए किसी भी प्रकार की समस्या से बचने के लिए प्राकृतिक रंग और गुलाल का ही प्रयोग करें। यह सलाह है शिवप्रसाद गुप्त मंडलीय चिकित्सालय वाराणसी के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. मुकुंद श्रीवास्तव की। वह बुधवार को दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित हैलो डाक्टर कार्यक्रम में पाठकों के सवालों का जवाब दे रहे थे।

सवाल : जांघों की जोड़ों पर और बीच में फंगल इन्फेक्शन हो गया है। दवा खाने पर ठीक हो जाता है, फिर छोड़ देने पर पुन: शुरू हो जाता है।   - संजीव कुमार गुप्ता, भीमपुरा नंबर दो, बलिया।

जवाब : इस तरह का फंगल इन्फेक्शन अक्सर गीली त्वचा की वजह से होता है। कोशिश करें कि प्रभावित क्षेत्र हमेशा सूखा रहे। नहाने के बाद तौलिए से खूब अच्छे से शरीर को पोंछें और सूखा लें, तब कपड़े पहनें। अब गर्मी के दिन शुरू हो गए हैं, पसीना भी त्वचा को गीली करते हुए संक्रमण के योग्य बनाता है, इसलिए पंखे के नीचे खूब सुखा लें। कोई भी क्रीम बाजार से अपने मन से लेकर न प्रयोग करें। इनमें स्टेरायड होता है, जो तत्काल तो लाभ देता है, मगर समस्या बढ़ा देता है। इसलिए चिकित्सक को दिखा कर ही दवा लें।

सवाल : मेरी उम्र 65 वर्ष है, चेहरे पर छाहीं हो गई है।

    -दिव्यप्रकाश, पांडेयपुर, भक्तिनगर, वाराणसी।

जवाब : छांहीं कई कारणों से हो सकती है। इसलिए पहले उसे किसी योग्य चिकित्सक से दिखाएं, ताकि कारण का पता चल सके, फिर निर्धारित हो सकेगा कि कौन सी दवा चलेगी।

सवाल : होली पर सिंथेटिक रंगों के प्रभाव से बचने के लिए क्या करें।    -अंशुमान, महमूरगंज, वाराणसी।

जवाब : सिंथेटिक रंगों के प्रभाव से बचने के लिए जरूरी है कि आप सभी प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करें। फूलों से रंग बनाएं और होली खेलें। यदि कहीं से  सिंथेटिक रंग पड़ जाने की संभावना ही हो तो रंग खेलने से पहले घर से शरीर के खुले हिस्से में नारियल का तेल लगाकर निकलें। यह काफी हद तक रंग के प्रभाव को कम कर देता है।

सवाल : अक्सर रंगों से लिपे-पुते लोग गंगाजी में नहाने चले जाते हैं, क्या इससे जल के दूषित हो सकता है।   -विधान श्रीवास्तव, सिगरा, वाराणसी।

जवाब : जरूर,  सिंथेटिक रंग हमारी त्वचा ही नहीं, पानी में जाने पर पानी को भी दूषित करते हैं, इसलिए रंगों से भींगकर या भींगे कपड़े लेकर गंगाजी या अन्य नदियों, तालाबों में न नहाने जाएं, इससे नदी-तालाब का पानी भी दूषित हो जाता है।

सवाल : चेहरे पर छांहीं है। एलोवेरा जेल लगाने का भी कोई फायदा नहीं हो रहा है।   -सत्या तिवारी, बलिया।

जवाब : एलोवेरा जेल त्वचा की नमी बनाए रखने में सहायक होता है। इससे माश्चुराइजेशन बना रहता है। छांहीं इससे अलग बीमारी है। यह देखने के बाद ही निश्चित हो सकेगा कि किस तरह के दाग हैं और कौन सी दवा चलानी होगी। इसके लिए आपको चिकित्सक को दिखाना होगा।

जवाब : अधिक ठंड या गर्मी लगने पर पूरे शरीर में लाल चकत्ते निकल आते हैं, उनमें खुजली होती है।

   -अक्षयवर पांडेय, रानीपुर, वाराणसी।

जवाब : यह एक प्रकार की एलर्जी है। वातावरण में बदले हुए तापमान के प्रति आपकी त्वचा संवेदनशील है। इसके लिए आपको खुद तेज गर्मी या तेज ठंड के मौसम में बाहर निकलने से बचना होगा। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण भी ऐसी स्थिति आती है। इसलिए शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए हेल्दी फूड लें। तली-भुनी व बाहर की चीजें खाने से परहेज करें। भारतीय भोजन करें। भोजन में आंवला और अन्य मौसमी फलों को शामिल करें। योगाभ्यास, प्राणायाम करें। फिर भी लाभ न हो तो चिकित्सक से संपर्क करें।

सवाल : पूरे शरीर में खुजली होती है, खुजलाने पर पानी जैसा स्राव होने लगता है। जब भी मौसम बदलता है, यह समस्या उत्पन्न हो जाती है।    -श्रवण कुमार, देवगांव, आजममगढ़।

जवाब : खुजली की कई वजहें हो सकती हैं। खुजली के समय दाने कैसे हैं या फिर चकत्ते हैं, देखना पड़ता है। ज्यादा खुजली हो तो कोई दवा ले लीजिए लेकिन किसी चिकित्सक को दिखा लेना बेहतर होगा।

सवाल : हाथ-पैर में लाल चकत्ता निकल रहा है, खुजली हो रही है।   -पिंकी चौबे, रेवती चौबेपुर, बलिया।

जवाब : किसी चर्म रोग विशेषज्ञ को दिखा लें, तब तक खुजली के लिए कोई दवा ले लें।

सवाल : हाथ की हथेली और पैरों के तालू में खुजली बहुत होती है और दर्द भी करता है।  -त्रिभुवन सिंह, जौनपुर।

जवाब  : यह एक तरह की बीमारी है।  इसमें खुजली बहुत होती है। डाक्टर को दिखाकर ही दवा लें।

सवाल : गर्मी आते ही पूरे शरीर में खुजली होने लगती है, छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं। जाड़े में कम हो जाते हैं।   -अजय कुमार पांडेय, सरायमीर, आजमगढ़।

जवाब : धूप व गर्मी से बचें। बाहर निकलते समय पूरी बांह के कपड़े पहनें, तौलिए या गमछे से शरीर को ढक कर रखें। ढीले-ढाले कपड़े पहनें, ताकि पसीना सूख जाया करे। टाइट कपड़े समस्या को और बढ़ा देते हैं। गर्मी रोकने के लिए खूब पानी पीएं। धूप में लगातार न रहें। रहना पड़े तो कुछ देर अंतराल में छाया में रहें, फिर काम करें।

सवाल : गोलगप्पे का काम है, धूप में रहने पर चेहरा काला हो जाता है।    -राजू, वाराणसी।

जवाब : शरीर के धूप, गर्मी या ठंड सहने की एक क्षमता होती है। तेज धूप से बचें, अच्छी सनस्क्रीन का प्रयोग करें। पानी खूब पीएं। हेल्दी भोजन व एक्सरसाइज करें।

सवाल : पैरों में फाइलेरिया है, सूजन बनी रहती है, दवा बहुत किया, कोई फायदा नहीं है।  -मुकुंद वर्मा, जहानागंज, आजमगढ़।

जवाब : फाइलेरिया बहुत पुराना हो जाता है तो जल्दी ठीक नहीं होता है। उसका आपरेशन करना होता है। माडर्न ट्रीटमेंट में इसे सर्जरी से ठीक किया जा रहा है। अच्छा होगा कि बीएचयू के सर्जरी डिपोर्टमेंट में दिखा लें।

सवाल : चेहरे पर दाने-मुहासे निकल आते हैं, बाजार में मिलने वाली क्रीम से फायदा होगा क्या।

   -चंदन कुमार जायसवाल, जौनपुर।

जवाब : कतई नहीं। बाजार की क्रीम स्टेरायड युक्त हैं। इनसे तत्काल फायदा तो दिखेगा लेकिन समस्या बढ़ सकती है। इसलिए डाक्टर को दिखाकर ही दवा लें।

इन्होंने भी पूछे सवाल :-

अजय पांडेय गाजीपुर, अरविंद सोनकर परशुरामपुर आजमगढ़, राजू गोलगप्पे वाला वाराणसी, राजनारायण श्रीवास्तव सिकंदरपुर बलिया, अच्छेलाल यादव बरबसपुर जौनपुर, सत्यप्रकाश घोसी मऊ, सृष्टि अग्रवाल फूलपुर वाराणसी, दयाशंकर चौबे गोविंदपुर मरदह गाजीपुर, अरुण कुमार सिंह चंदौली।


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