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मुख्तार अंसारी के खिलाफ साक्ष्य एकत्र कर रही गाजीपुर पुलिस, बांदा जेल में की थी पूछताछ

मऊ के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी द्वारा लाइसेंस निरस्त करने के बाद भी असलहा जमा नहीं करने के मामले में मुहम्मदाबाद पुलिस पूछताछ के बाद अब साक्ष्य एकत्र करने में जुट गई है। पुलिस ने अपना काम भी लगभग पूरा कर लिया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 09 Jul 2021 08:10 AM (IST)Updated: Fri, 09 Jul 2021 08:10 AM (IST)
मुहम्मदाबाद पुलिस मुखतार अंसारी से पूछताछ के बाद अब साक्ष्य एकत्र करने में जुट गई है।

जागरण संवाददाता, गाजीपुर। मऊ के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी द्वारा लाइसेंस निरस्त करने के बाद भी असलहा जमा नहीं करने के मामले में मुहम्मदाबाद पुलिस पूछताछ के बाद अब साक्ष्य एकत्र करने में जुट गई है। सभी साक्ष्यों को एकत्र करने व अभियोजन की स्वीकृति मिलने के बाद पुलिस द्वारा कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया जाएगा। इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी। जिले में मुख्तार, उसके सहयोगी व रिश्तेदारों के खिलाफ हो रहे चौतरफा कार्रवाई से संबंधिताें में खलबली मची हुई है।

मुख्तार अंसारी की अपराधिक गतिविधियों को देखते हुए तत्कालीन जिलाधिकारी ने राइफल के लाइसेंस को 23 फरवरी 2017 व डीबीबीएल गन के लाइसेंस को 29 मार्च 1996 को निरस्त कर दिया था। इसके बाद शस्त्र जमा करने के लिए नोटिस जारी हुई है, लेकिन उसने जमा नहीं किया। इस मामले में बीते नौ अप्रैल को मुहम्मदाबाद कोतवाली में एफआइआर दर्ज हुई। इसी मामले में 24 जून को 14 दिनों का रिमांड लेने के बाद चार जुलाई को मुख्तार का बयान दर्ज करने पुलिस बांदा जेल पहुंची थी। बयान दर्ज करने के बाद मुहम्मदाबाद पुलिस असलहा जमा नहीं करने के साक्ष्य को एकत्र कर रही है। पुलिस ने अपना काम भी लगभग पूरा कर लिया है।

अब अभियोजन स्वीकृति मिलने के बाद शीघ्र ही चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी चल रही है, ताकि आगे की कार्रवाई शीघ्र हो सके। माफियाओं के खिलाफ प्रदेश सरकार द्वारा अभियान से हलचल है। विदित हो कि मुख्तार अंसारी द्वारा 1996 में डीडीबीएल गन और साल 2017 में लिए गए राइफल के लाइसेंस को तत्कालीन जिलाधिकारी ने निरस्त कर दिया था। बावजूद इसके उसने शस्त्रों और लाइसेंस को सरेंडर नहीं किया। इस मामले में बीते 10 अप्रैल को मुहम्मदाबाद कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया था। बीते 24 जून को मुहम्मदाबाद न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम के न्यायालय में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पुलिस ने 14 दिन की रिमांड मांगी, जिसपर न्यायालय ने मंजूरी दे दी। ऐसे में सात जुलाई को एमपी-एमएलए कोर्ट में पेशी से पहले उसका बयान दर्ज करना था। वहां जेल के अंदर करीब 40 मिनट तक मुख्तार से पूछताछ के बाद लौटी पुलिस आगे की कार्रवाई में जुट गई।


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