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रबी की फसल को शीतलहर से बचाएं किसान, पाले की वजह से पौधों की पत्तियां और फूल हो जाते हैं खराब

ठंड के मौसम में रबी की फसलों को शीतलहर और पाले से बचाना अति आवश्यक है। पाले की वजह से पौधों की पत्तियां एवं फूल खराब होकर सड़ जाते हैं और अधपके फल सिकुड़ जाते हैं उनमें झुर्रियां पड़ जाती हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 08 Dec 2021 05:28 PM (IST)Updated: Wed, 08 Dec 2021 05:28 PM (IST)
रबी की फसल को शीतलहर से बचाएं किसान

जागरण संवाददाता, गाजीपुर : ठंड के मौसम में रबी की फसलों को शीतलहर और पाले से बचाना अति आवश्यक है। पाले की वजह से पौधों की पत्तियां एवं फूल खराब होकर सड़ जाते हैं और अधपके फल सिकुड़ जाते हैं, उनमें झुर्रियां पड़ जाती हैं। फलियों एवं बालियों में दाना न बनना व सिकुड़ कर पतला हो जाना भी इसका एक कारण है। रबी की फसलों में फूल निकलने एवं बालियां व कलियां आने तथा उनके विकास के समय अत्यधिक सावधान रहने की जरूरत है।

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टमाटर, आलू, मिर्च, बैगन, केला, पपीता, चना और मटर की फसल को पाले से 80 से 50 फीसदी तक का नुकसान हो सकता है तथा गेहूं, जौ और अरहर में क्रमश: 10 से 20 एवं 50 से 70 फीसदी तक का नुकसान हो सकता है। जिला कृषि अधिकारी मृत्युंजय कुमार सिंह ने बताया कि फसल में हल्की सिंचाई करने से तापमान 0.5 से दो डिग्री तक बढ़ जाता है। इसलिए ज्यादा तापमान गिर रहा हो तो शाम के समय हल्की सिंचाई करें। शाम के समय फसल के किनारों पर धुआं करें। कंडे की जली हुई राख पत्तियों पर शाम को छिड़काव करने से पौधों को गर्माहट मिलती है और पाले का असर कम हो जाता है। अत्यधिक पाला पड़ने पर फसलों पर शाम के समय गंधक के तेजाब का 0.1 फीसदी घोल यानि एक लीटर गंधक का तेजाब 100 लीटर पानी में मिलाकर एक हेक्टेयर फसल पर प्रयोग करें। इस प्रयोग से 15 दिनों तक फसलों को पाले से बचाया जा सकता है।

समसामयिक फसल सुरक्षा

गोभी वर्गीय फसल में इल्ली, मटर में फली छेदक और टमाटर में फल छेदक की निगरानी हेतु फीरोमोन प्रंपश तीन से चार प्रति एकड़ लगाएं। आलू एवं टमाटर में झुलसा रोग एवं डाउनी मिल्डियू से बचाने के लिए फेनामिडोन 10 प्रतिशत साथ में मैंकोजेब 50 प्रतिशत की 2.5 ग्राम मात्रा प्रति लीटर प्रयोग करें। टमाटर में जीवाणु धवा रोग से बचाव के लिए स्ट्रेटोमाइसिन सल्फर नौ प्रतिशत साथ में टेट्रासाइम्लिन हाइड्रोक्लोराइड एक प्रतिशत एसपी प्रति लीटर प्रयोग करें। सरसों में सफेद किट एवं पत्ती धब्बा रोग से बचाव के लिए मेटालैम्सिल 18 प्रतिशत साथ में मैकोजेल 64 प्रतिशत की 2.5 ग्राम मात्रा प्रति लीटर प्रयोग करें। प्याज में परपल ब्लाच रोग की निगरानी करते रहें एवं लक्षण पाए जाने पर डाइथेन एम 45 की तीन ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में किसी चिपकने वाले पदार्थ जैसे टीपाल आदि (एक ग्राम प्रति लीटर घोल) मिलाकर छिड़काव करें। गेहूं में पीला रतुआ रोग के लक्षण दिखाई देने पर प्रोपीकोनापोल 25 प्रतिशत ईसी का 0.1 प्रतिशत ईसी का 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें।


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