दलितों के दिग्गज नेता घूरा राम का लखनऊ में निधन, जांच में उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव निकली
बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम के विश्वस्त सहयोगी रहे दलितों के दिग्गज नेता तथा पूर्व मंत्री घूरा राम का गुरुवार को तड़के लखनऊ में निधन हो गया। उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।
बलिया, जेएनएन। बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम के विश्वस्त सहयोगी रहे दलितों के दिग्गज नेता तथा पूर्व मंत्री घूरा राम का गुरुवार को तड़के लखनऊ में निधन हो गया। जांच में उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आईं है। इनके निधन की सूचना मिलते ही जिले में शोक की लहर दौड़ गई। लंबे समय तक बसपा में रहने के बाद स्व.घूरा राम समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे। उनके पुत्र संतोष कुमार ने बताया कि आज तड़के 4 बजे पिताजी का लखनऊ स्थित केजीएमसी में निधन हो गया। वह 63 वर्ष के थे। 14 जुलाई की देर रात कफ व सांस लेने में दिक्कत होने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मेडिकल जांच में वे कोविड -19 से संक्रमित मिले।
1991 में बसपा के टिकट पर पहला चुनाव लड़ा था, रसड़ा से 1993 में पहली बार जीते
पूर्वी उत्तर प्रदेश की दलित राजनीति पर मजबूत पकड़ रखने वाले घूरा राम ने जिले के बिल्थरारोड विधानसभा क्षेत्र से बसपा के टिकट पर वर्ष 1991 में पहला चुनाव लड़ा था तथा भाजपा के हरिनारायण राजभर से वह पराजित हो गए थे। इसके बाद उन्होंने रसड़ा को अपनी कर्म भूमि बना ली। वह रसड़ा सुरक्षित सीट से पहली बार वर्ष 1993 में चुनाव जीते। इसके बाद वर्ष 2002 व 2007 से विधायक रहे। वह मायावती सरकार में स्वास्थ्य राज्यमंत्री रहे। बसपा सुप्रीमो मायावती के कभी अत्यंत नजदीकी माने जाने वाले घूरा राम को वर्ष- 2012 में मायावती ने टिकट से वंचित कर उमाशंकर सिंह को रसड़ा से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था। इसके बाद घूरा राम ने बगावती तेवर अख्तियार करते हुए रसड़ा से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा। हालांकि वह चुनाव हार गए थे तथा बसपा के उमाशंकर सिंह चुनाव जीत गए थे।
टिकट नहीं मिलने पर ग्रहण कर ली थी सपा की सदस्यता
बगावत करने के कारण इनको कुछ समय के लिए बसपा से बाहर कर दिया गया था। बसपा ने वर्ष 2017 में घूरा राम को बिल्थरारोड सुरक्षित सीट से फिर अपना उम्मीदवार बनाया लेकिन वह तीसरे स्थान पर रहकर पराजित हो गए थे। लोकसभा के पिछले चुनाव से पूर्व घूरा राम को बसपा ने आजमगढ़ जिले के लालगंज सुरक्षित सीट पर प्रभारी बनाकर चुनाव लड़ाने का संकेत दिया लेकिन चुनाव के एेन वक्त पर इन्हें टिकट नहीं मिला। इसके बाद घूरा राम ने सपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी।