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यूपी की इस हाई प्रोफाइल सीट पर पूरी ताकत झोंकेगी कांग्रेस-सपा; ममता-केजरीवाल और स्टालिन से भी मांगा समय

सातवें चरण के चुनाव में सर्वाधिक हाई प्रोफाइल वाराणसी सीट से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं। उनके सामने गठबंधन के साझा प्रत्याशी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय हैं। दो दिन पहले तक सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजों की भविष्यवाणी करते समय कहते रहे हैं कि विपक्ष 80 में से 79 सीटें जीत रहा है।

By Manoj Kumar Tripathi Edited By: Aysha Sheikh Published: Sun, 26 May 2024 09:51 AM (IST)Updated: Sun, 26 May 2024 09:51 AM (IST)
यूपी की इस हाई प्रोफाइल सीट पर पूरी ताकत झोंकेगी कांग्रेस-सपा; ममता-केजरीवाल और स्टालिन से भी मांगा समय

मनोज त्रिपाठी, लखनऊ। आइएनडीआइए अपनी एकजुटता दिखाने के लिए काशी में गठबंधन के बड़े नेताओं को प्रचार के मैदान में उतारने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन सहित अन्य बड़े नेताओं से कांग्रेस ने समय मांगा है। 28 मई को प्रस्तावित राहुल गांधी व अखिलेश यादव की संयुक्त रैली में इन नेताओं को भी एक मंच पर एकत्र किया जा सकता है।

सातवें चरण के चुनाव में सर्वाधिक हाई प्रोफाइल वाराणसी सीट से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं। उनके सामने गठबंधन के साझा प्रत्याशी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय हैं। दो दिन पहले तक सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजों की भविष्यवाणी करते समय कहते रहे हैं कि विपक्ष 80 में से 79 सीटें जीत रहा है।

यानी, वह मानकर चल रहे हैं कि वाराणसी में पीएम मोदी को दूर-दूर तक चुनौती नहीं है। हालांकि, पहली बार गुरुवार को उन्होंने अपनी जनसभा में कहा था कि क्योटो (व्यंग्य में वह वाराणसी को अपनी सभाओं में इसी नाम से पुकारते हैं) में लड़ाई है। ऐसे में माना जा रहा है कि गठबंधन के अन्य बड़े नेताओं को वाराणसी बुलाने के पीछे उद्देश्य विपक्षी गठबंधन की एकजुटता प्रदर्शित करना है।

संजय सिंह ने कांग्रेस के साथ साझा नहीं किया मंच

विशेष बात यह है कि उत्तर प्रदेश में अभी तक जितनी भी चुनावी सभाएं हुई हैं उनमें कांग्रेस के कोटे वाली किसी भी सीट पर अखिलेश व डिंपल के अलावा सपा का भी अन्य कोई बड़ा नेता शामिल नहीं रहा है। गठबंधन के अन्य घटकों का कोई बड़ा नेता भी शामिल नहीं हुआ। न ही दिल्ली, महाराष्ट्र, झारखंड की तरह गठबंधन की कोई संयुक्त रैली ही हुई है।

आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह अखिलेश की सीट कन्नौज में जरूर राहुल गांधी के साथ दिखे थे, लेकिन अन्य किसी सीट पर उन्होंने कांग्रेस के साथ मंच साझा नहीं किया। केजरीवाल भी जेल से छूटने के बाद लखनऊ आए तो उनकी प्रेस कान्फ्रेंस में केवल अखिलेश थे, कांग्रेस का कोई नेता नहीं था।

भाजपा नेता व गृह मंत्री अमित शाह अपनी हर सभा में जरूर यह मुद्दा उठाते हैं कि गठबंधन के नेता हर साल बारी-बारी प्रधानमंत्री बनाने की बात कर रहे हैं। यह कहते हुए वह चेतावनी भी देते हैं कि देश कोई चूरन बेचने की दुकान नहीं है। उनकी ऐसे व्यंग्योक्तियां भीड़ का उत्साह बढ़ाती रही हैं। अंतिम चरण में अब इसकी काट के लिए भी विपक्षी गठबंधन को जुटाने की कोशिश हो रही है।

इस बारे में कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता डा.सीपी राय का कहना है कि सभी नेताओं से समय मांगा गया है। यह कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा है कि सभी को काशी में एकजुट करके बदलाव का संदेश दिया जाए। पहले छह चरणों में गठबंधन के नेता अपने-अपने राज्यों में प्रचार में व्यस्त थे, इसलिए इन्हें उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार में नहीं उतारा जा सका।


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