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सोनभद्र में खुलेगा सीजीएसटी का रेंज दफ्तर, जिलों में रेंज कार्यालय नहीं खुलने से व्यापारियों को हो रही है परेशानी

केंद्रीय वस्तु एवं सेवाकर (सीजीएसटी) विभाग के कमिश्नरेट में वाराणसी से गोरखपुर मंडलों तक के जिले आते हैं। मऊ सोनभद्र सहित कई जिलों में रेंज कार्यालय नहीं है। कर संबंधी समस्याओं के निस्तारण के लिए उन्हें वाराणसी स्थित कमिश्नरेट या मंडलों में स्थित डिवीजन कार्यालय में आना पड़ता है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 10:02 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 10:02 PM (IST)
केंद्रीय वस्तु एवं सेवाकर (सीजीएसटी) विभाग के कमिश्नरेट में वाराणसी से गोरखपुर मंडलों तक के जिले आते हैं।

वाराणसी, जेएनएन। केंद्रीय वस्तु एवं सेवाकर (सीजीएसटी) विभाग के कमिश्नरेट में वाराणसी से गोरखपुर मंडलों तक के जिले आते हैं। मऊ, सोनभद्र सहित कई जिलों में रेंज कार्यालय नहीं है। इसके कारण करदाताओं को परेशानी झेलनी पड़ती है। कर संबंधी समस्याओं के निस्तारण के लिए उन्हें वाराणसी स्थित कमिश्नरेट या मंडलों में स्थित डिवीजन कार्यालय में आना पड़ता है। हालांकि विभाग की ओर से अन्य जिलों में भी रेंज कार्यालय खोलने की तैयारी चल रही है। सोनभद्र में करीब एक साल पहले भी कार्यालय खोलने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। हालांकि, स्थान नहीं मिलने से योजना रुक गयी। विभाग ने अब फिर से पहल शुरू की है। इसके लिए स्थान भी देखा जा रहा है। जल्द ही इसके लिए टेंडर भी जारी करने की तैयारी हो रही है। इस संबंध में सीजीएसटी के आयुक्त लल्लन कुमार ने बताया अभी कोरोना के कारण कई कार्य नहीं हो पा रहे है। स्थिति सामान्य होने के बाद रेंज कार्यालय खोलने की प्रक्रिया तेज हो जाएगी।

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21 खंड में 63 अधिकारियों को करना है सुनवाई

वाणिज्य कर विभाग के 21 खंड के 63 अधिकारियों को 42 हजार मामलों के कर निर्धारण की सुनवाई करनी है। इसके लिए व्यापारी को स्वयं या अधिवक्ता के माध्यम से विभाग में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होती है। व्यापारी के अनुपस्थित रहने की दशा में कर निर्धारण अधिकारी एक पक्षीय सुनवाई कर देता है। इसके बाद व्यापारी को दोबारा सुनवाई करवाना पड़ता है। वाणिज्य कर विभाग इस बार वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) के नियमित दावों की अंतिम बार सुनवाई कर रहा है। इसकी तारीख 30 जून तय की गई है। ऐसे में 15 दिन में लगभग 42 हजार मामलों का कर निर्धारण करना विभाग के लिए चुनौती बना है। व्यापारियों को संभावना है कि कहीं पिछली बार की तरह इस बार भी एक पक्षीय सुनवाई न हो जाए। नियमानुसार वाणिज्य कर विभाग हर तीन वर्ष बाद कर निर्धारण के नियमित दावों की सुनवाई करता है।


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