चेतना से किसानों को झकझोरेंगे, पेंटिंग में उकेरेंगे पराली से उपजे प्रदूषण के जख्म
खेतों में फसल के अवशेष यानी पुआल जलाने से हो रहे जबरदस्त वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए कृषि विभाग ने राज्य के किसानों में जागरुकता की कवायद शुरू की है।
वाराणसी [अंकुर त्रिपाठी] : खेतों में फसल अवशेष यानी पुआल जलाने से हो रहे जबरदस्त वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए कृषि विभाग ने राज्य के किसानों में जागरुकता की कवायद शुरू की है। विभाग ने इस विषय पर प्रदेश की सभी तहसीलों में छात्रों के बीच पेटिंग प्रतियोगिता कराने के लिए कहा है जिनके विजेताओं को नगद पुरस्कार दिए जाएंगे। इन विजेता छात्रों को लखनऊ में होने वाले कृषि कुंभ में सम्मानित भी किया जाएगा। प्रमुख सचिव कृषि अमित मोहन प्रसाद ने डीएम को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं कि एक अक्टूबर सभी तहसीलों में कक्षा नौ से 12 तक के विद्यार्थियों के बीच फसल अवशेष नहीं जलाने के विषय पर पेटिंग प्रतियोगिता कराई जाए। मूल्यांकन कर दो अक्टूबर को स्वच्छता अभियान के समारोह में विजेता छात्रों को पुरस्कृत किया जाएगा।
किसे कितना मिलेगा पुरस्कार
प्रथम विजेता : 10 हजार रुपये
द्वितीय विजेता : 75 सौ रुपये
तृतीय स्थान : 5000 रुपये
26 से 28 अक्टूबर के मध्य बुलाए जाएंगे राजधानी : 10 सबसे अच्छी पेटिंग बनाने वाले विद्यार्थियों को 26 से 28 अक्तूबर तक लखनऊ में होने वाले कृषि कुंभ में पुरस्कृत किया जाएगा। चयनित 50 पेटिंग को कृषि कुंभ की थीम गैलरी में प्रदर्शित किया जाएगा। प्रतियोगिता से किसानों में पुआल जलाने से होने वाले नुकसान का संदेश जाएगा। जिला कृषि अधिकारी सुभाष मौर्या ने बताया कि तैयारी शुरू कर दी गई है। एसडीएम को डीआइओएस व कृषि विभाग के सहयोग से तैयारी करने के लिए कहा गया है।
पुआल जलाने से नुकसान: धान और गेहूं की फसल काटने के बाद बचने वाले पुआल यानी पराली को जलाने से वायु प्रदूषण के साथ ही खेत की मिïट्टी से पोषक तत्व नष्ट होते हैं। मिïट्टी की उर्वरकता कम होने से फसल के उत्पादन पर विपरित प्रभाव पड़ रहा है।
काले धुएं से घुट रहा दम : फसल काटने के बाद किसान खेतों में पुआल समेत बाकी अवशेष जलाते हैं जिससे वातावरण में काला धुआं भर जाता है, इससे सांस लेने में भी दिक्कत होने लगती है। दिल्ली और इससे सटे जिलों में पिछले साल पुआल जलाने से हालत बेहद खराब हो गई थी।