Lok Sabha Election 2024: सीतापुर लोकसभा सीट का रोमांचक रहा चुनावी सफर, सिर्फ एक बार संसद तक दौड़ी साइकिल
Lok Sabha Election 2024 1992 में समाजवादी पार्टी को गठन के बाद 1996 में हुए चुनाव में सीतापुर संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं ने नई नवेली दुल्हन की तरह स्वागत किया था। पार्टी के प्रत्याशी मुख्तार अनीस को सांसद चुनकर दिल्ली भेजने का काम किया लेकिन इसके बाद मतदाताओं का मन ऐसा बदला कि दोबारा साइकिल पर भरोसा नहीं जताया।
जगदीप शुक्ल, सीतापुर। 1992 में समाजवादी पार्टी को गठन के बाद 1996 में हुए चुनाव में सीतापुर संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं ने नई नवेली दुल्हन की तरह स्वागत किया था। पहले ही चुनाव में जनता ने पार्टी के प्रत्याशी मुख्तार अनीस को सांसद चुनकर दिल्ली भेजने का काम किया, लेकिन इसके बाद मतदाताओं का मन ऐसा बदला कि दोबारा साइकिल पर भरोसा नहीं जताया।
पार्टी ने अब तक छह चुनाव में सहभागिता की, जिसमें 2004 और 2009 में ही मुख्य मुकाबले में आ सकी है। बाकी 1998, 1999 और 2014 में पार्टी के उम्मीदवारों को तीसरे स्थान रहना पड़ा। शायद यही वजह रही कि 2019 में जब बसपा से गठबंधन कर चुनाव लड़ा तो यह सीट सपा ने अपने पास नहीं रखी। इस चुनाव में बसपा प्रत्याशी को भाजपा से शिकस्त मिली। अब आईएनडीआईए से गठबंधन में भी यह सीट कांग्रेस को बंटवारे में दी है। जिले में समाजवादी पार्टी के राजनीतिक सफर पर प्रकाश डालती जगदीप शुक्ल की रिपोर्ट...
पहली जीत के बाद हर बार मिली निराशा
गठन के बाद 1996 में हुए चुनाव में समाजवादी पार्टी को जीत मिली। इस चुनाव में पार्टी प्रत्याशी मुख्तार अनीस ने भाजपा के जनार्दन मिश्र को शिकस्त दी। मुख्तार को 148252 और जनार्दन मिश्र को 138206 मत मिले। इसके बाद 1998 में हुए चुनाव में जनार्दन मिश्र सांसद चुने गए। इस चुनाव में सपा को न सिर्फ हार का सामना करना पड़ा बल्कि मुख्य मुकाबले से दूर तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। इस चुनाव में जनार्दन मिश्र को 216876, बसपा के प्रेमनाथ वर्मा को 188954 और सपा के मुख्तार अनीस को 168055 मत मिले।
1999 में बसपा के राजेश वर्मा ने भाजपा के जनार्दन मिश्र को हराया। राजेश को 211120 व जनार्दन को 174759 मत मिले। 131650 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे। वर्ष 2014 में भाजपा के राजेश वर्मा को जीत मिली। राजेश को 417546 और बसपा की कैसर जहां को 366519 मत मिले। सपा के भरत त्रिपाठी 156170 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे।
प्रदर्शन सुधरा पर जीत नहीं मिली
2004 से सपा के प्रदर्शन में तो सुधार दिखने के साथ ही मतों में भी बढ़ोतरी हुई, लेकिन जीत नहीं मिल सकी। इस चुनाव में पार्टी मुख्यम मुकाबले में रही। बसपा के राजेश वर्मा 171733 मत पाकर सांसद बने और सपा के मुख्तार अनीस को 166499 मत मिले। वर्ष 2009 में भी मुख्य मुकाबले सपा ही रही। बसपा की कैसर जहां ने सपा के महेंद्र सिंह वर्मा को शिकस्त दी। कैसर जहां को 2411106 व महेंद्र को 221474 मत मिले।
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लगातार हार से सपा ने छोड़ा मैदान
1998 से लगातार हार का सामना कर रही सपा के प्रदर्शन में 2004 व 2009 में सुधार तो दिखा, लेकिन 2014 के चुनाव में पार्टी एक बार फिर दूसरे से तीसरे स्थान पर खिसक गई। इतना ही मत भी घट गए। वर्ष 2009 में सपा प्रत्याशी महें सिंह वर्मा को 221474 मत मिले थे। 2014 में पार्टी प्रत्याशी भरत त्रिपाठी को 156170 मत ही मिले। इसके बाद 2019 में सपा-बसपा का गठबंधन हुआ तो पार्टी ने मैदान में उतरने से किनारा कर लिया। बंटवारे में यह सीट बसपा को दे दी। इस बार भी गठबंधन में यह सीट कांग्रेस को मिली है। माना जा रहा है कि सपा नेतृत्व ने यह निर्णय चुनावों में मिली शिकस्त के बाद लिया है।