आक्सीजन की कमी ने कमजोर कर दी सांसें
आक्सीजन व बेड को लेकर मची मारा-मारी को प्रशासन दूर नहीं करवा पा रहा है। राजकीय मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार रात भी तमाम मरीज बेड के लिए जमीन पर लेटकर इंतजार कर रहे थे। इसके अलावा आक्सीजन के लिए भी उन्हें एक से दो घंटे तक का इंतजार करने के बाद सिफारिश कराने पर मिल पा रही है। ऐसे में लोगों की सांसे भी या तो टूट रही है या फिर उनकी जान बचाने के लिए डॉक्टर व स्वजन को परेशान होना पड़ रहा है।
- प्राइवेट अस्पतालों से लेकर राजकीय मेडिकल कॉलेज तक आक्सीजन को लेकर मची है मारा-मारी - प्लांट में भी नहीं पहुंच पा रही आक्सीजन की पर्याप्त खेप, मंत्री से तक करानी पड़ रही सिफारिश
फोटो : 30एसएचएन 25, 26 व 27 जेएनएन, शाहजहांपुर : आक्सीजन व बेड को लेकर मची मारा-मारी को प्रशासन दूर नहीं करवा पा रहा है। राजकीय मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार रात भी तमाम मरीज बेड के लिए जमीन पर लेटकर इंतजार कर रहे थे। इसके अलावा आक्सीजन के लिए भी उन्हें एक से दो घंटे तक का इंतजार करने के बाद सिफारिश कराने पर मिल पा रही है। ऐसे में लोगों की सांसे भी या तो टूट रही है या फिर उनकी जान बचाने के लिए डॉक्टर व स्वजन को परेशान होना पड़ रहा है।
राजकीय मेडिकल कॉलेज के ट्रामा सेंटर में हर दिन 150 से अधिक मरीज पहुंच रहे है। जिसमें ज्यादातर ऐसे मरीज है जिन्हें आक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। लेकिन ट्रामा सेंटर में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी नौ बेड से ज्यादा की व्यवस्था नहीं करवा पा रहे है। शुक्रवार शाम को हरदोई जिले के शहाबाद से आए साजिद नाम के युवक को जब ट्रामा सेंटर में भर्ती करने के लिए बेड की व्यवस्था नहीं हो सकी तो वह अस्पताल पुलिस चौकी के बाहर ही जमीन पर लेट गए। उनके पास जो सिलिडर था उसमे भी पर्याप्त आक्सीजन नहीं थी। जिस वजह से उनके स्वजन बार-बार चिकित्सकों के पास जाकर गुहार लगा रहे थे। इसी तरह कई अन्य मरीजों की स्थिति अस्पताल में देखने को मिल रही है। डॉक्टर को भी करानी पड़ रही सिफारिश
प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टरों को भी अस्पताल में गंभीर मरीजों के लिए आक्सीजन न मिलने पर मंत्री तक की सिफारिश करानी पड़ रही है। इसके अलावा विधायक व अधिकारियों को भी अपने जानने के लिए आक्सीजन के लिए सिफारिश करानी पड़ रही है।
आइएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सोमशेखर दीक्षित भी समय से आक्सीजन की सप्लाई प्लांट से न मिलने पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि जब समय से आक्सीजन मरीजों के लिए उपलब्ध नहीं हो पाएगी तो उनका जीवन बचाना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने बताया कि 27 अप्रैल से आक्सीजन की सप्लाई नहीं मिली है। हर दिन 20 से 25 सिलिडर आक्सीजन की जरूरत पड़ रही है।
जो भी गंभीर मरीज हैं उन्हें आक्सीजन तत्काल दी जा रही है। बेड डालने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। फिर भी हर संभव व्यवस्थाएं कराने का प्रयास किया जा रहा है।
डॉ. एयूपी सिन्हा, सीएमएस राजकीय मेडिकल कॉलेज