Sant Kabir Nagar Lok Sabha Seat: यूपी के इस लोकसभा सीट पर विकास के दिखे कई आयाम, बाढ़ रोकने को अभी करना होगा काम
Sant Kabir Nagar Lok Sabha Seat सांसद प्रवीण निषाद ने कहा कि क्षेत्र के विकास के लिए वह सांसद निधि के साथ ही अनेक योजनाओं से धन लाने का प्रयास करते रहे। क्षेत्र की समस्याओं को लेकर संसद में आवाज उठाने के साथ ही केंद्र व प्रदेश सरकार के संबंधित मंत्रियों से वार्ता करके अनेक परियोजनाओं को स्वीकृत करवाया गया।
संतकबीर नगर लोकसभा Sant Kabir Nagar Lok Sabha Seat क्षेत्र तीन मंडलों में फैला है। खलीलाबाद, मेंहदावल व धनघटा संतकबीर नगर जिले में तो खजनी गोरखपुर व आलापुर अंबेडकरनगर जिले में आता है। यह ऐसी लोकसभा है, जिसके अंतर्गत तीन सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र हैं। यहां के सांसद के लिए सभी विधानसभा क्षेत्रों में उपस्थिति बनाए रखना आसान नहीं होता। छोटा जिला होने के कारण विकास के मामले में भी यह क्षेत्र पीछे छूट जाता रहा है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यहां बड़े काम हुए हैं।
बखिरा की प्राकृतिक झील को पर्यटन हब के रूप में विकसित किए जाने की कवायद चल रही है। शहर के नियाोजित विकास की ओर कदम बढ़ा दिए गए हैं। कबीरा-विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (केबी-साडा) के गठन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। परंपरागत उद्योगों को आगे बढ़ाने के लिए काम किए जा रहे हैं। पीतल के बर्तन का उद्योग जल्द ही फिर रफ्तार पकड़ेगा, हैंडलूम के कारोबार को भी बढ़ावा मिल रहा है।
क्षेत्र में सड़कों की दशा में सुधार हुआ है। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी कई काम हुए हैं। जिला अस्पताल की दशा सुधरी है तो मेडिकल कालेज की स्थापना की ओर मजबूत कदम बढ़ चुके हैं। पर, बाढ़ की समस्या से निजात दिलाने की दिशा में कोई ठोस काम नजर नहीं आता। जिले के कई गांव बाढ़ की चपेट में आते हैं, हर बार लोगों को आश्वासन मिलता है लेकिन बाढ़ से गांव न डूबे, इसको लेकर न तो कोई ठोस काम किया गया है और न ही कोई कार्ययोजना नजर आई। लोकसभा क्षेत्र में हुए कार्यों और अधूरे रह गए प्रयासों की पड़ताल करती राज नारायण मिश्र की रिपोर्ट...
जिले में बाढ़ की भयावह स्थिति दक्षिणी क्षेत्र में है। सरयू की कटान से आधा दर्जन गांव अपना अस्तित्व खो चुके हैं। कई गांव कटान की जद में हैं। हर साल बांधों को मजबूत बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। लेकिन अब तक कोई स्थाई समाधान नहीं हो पाया। लोकसभा क्षेत्र में सरयू, आमी, कुआनो व कठिनइया नदी बहती है। धनघटा तहसील क्षेत्र के दोआबा (सरयू और कुआनो के बीच का भाग) को बाढ़ से बचाव के लिए मदरहा बहराडाड़ी (एमबीडी) तटबंध बना है।
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वर्षा के मौसम में नदी उफनाने से बाढ़ की समस्या गंभीर हो जाती है। मजबूर होकर बड़ी संख्या में लोगों को अपना घर छोड़कर पशुओं समेत बांध पर शरण लेनी पड़ती है। फसलों की क्षति भी उठानी पड़ती है। सबसे गंभीर समस्या नदी की कटान से सामने आ रही है। पिछले डेढ़ दशक में आधा दर्जन गांव नदी की धारा में विलीन हो चुके हैं। इस क्षेत्र के लोग स्थाई समाधान की उम्मीद पाले ठोस कार्ययोजना का इंतजार कर रहे हैं।
हालांकि बाढ़ को लेकर तात्कालिक राहत देने के लिए समय-समय पर उपाय भी किए जाते हैं। बाढ़ के समय सांसद की क्षेत्र में उपस्थिति नजर आती है। उनके खाते में कई उपलब्धियां दर्ज हैं। खलीलाबाद रेलवे स्टेशन के उच्चीकरण व शहर को सेफ सिटी बनाने के उपाय किए गए। जिले में केंद्रीय विद्यालय की स्थापना की दिशा में काफी प्रगति हो चुकी है। कबीर स्थली का विकास कर पर्यटन की दिशा में भी महत्वपूर्ण काम किया गया। लोकसभा क्षेत्र में खलीलाबाद-बांसी रेल लाइन का काम शुरू कराने के लिए भी लगातार प्रयास किए गए।
ईको व एग्रो टूरिज्म का हब बनकर विकसित हो रही बखिरा झील
करीब 29 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली बखिरा झील के विकास की दिशा में काम शुरू हुआ है। यहां हर वर्ष आने वाली प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा के साथ ही यहां की जैव विविधता के संरक्षण के लिए झील क्षेत्र को ईको व एग्रो टूरिज्म केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां सोलर पावर प्लांट स्थापित किए जाने के साथ ही पर्यटन रोजगार को बढ़ावा देने का कार्य हो रहा है। झील रामसर साइट में दर्ज होने के साथ ही सारस अभयारण्य भी घोषित हो चुका है।
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परियोजनाओं पर 98 प्रतिशत खर्च हुई सांसद निधि
सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के तहत वित्तीय सत्र 2019-20 में प्राप्त पांच करोड़ रुपयों में से 51 परियोजनाओं पर चार करोड़ 90 लाख रुपये स्वीकृत किए गए, इसमें 49 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। 2022-23 में मिले दो करोड़ रुपयों में से 18 परियोजनाओं पर एक करोड़ 92 लाख 85 हजार की 18 परियोजनाएं स्वीकृत हुईं।
साकार हो रहा सेफ सिटी का सपना
खलीलाबाद को सेफ सिटी के रूप में विकसित किया जा रहा है। जिलाधिकारी द्वारा प्रस्ताव रखने पर सांसद ने अपनी निधि से 50 लाख रुपये अवमुक्त करके कार्य आरंभ करवाने के लिए समर्थन दिया था। वह लगातार अधिकारियों का हौसला बढ़ाकर शासन स्तर से सहयोग दिलाने का प्रयास करते रहे। शहर में समन्वित निगरानी व नियंत्रण तंत्र सक्रिय हो गया है। यहां युद्ध स्तर पर कार्य पूरे किए जा रहे हैं।
काम जो बाकी रह गए
- दोआबा क्षेत्र को बाढ़ की समस्या से निजात दिलाने के लिए स्थाई समाधान।
- मेडिकल कालेज का निर्माण।
- बखिरा के बर्तन कारोबारियों के लिए ब्रास वेयर कलस्टर स्थापित करवाना।
- कताई मिल का संचालन।
- औद्योगिक विकास।
सांसद की उपलब्धियां
- तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा संत कबीर शोध अकादमी का उद्घाटन।
- मेडिकल कालेज निर्माण के लिए जंगल ऊन में भूमि का चिह्नांकन।
- जनपद में बस स्टेशन निर्माण के लिए ठोस पहल।
- बखिरा झील क्षेत्र के ईको व एग्रो टूरिज्म की दिशा में प्रयास।
- खलीलाबाद-बांसी-उतरौला-बहराइच रेल लाइन के लिए बजट जारी कराना।
- मेंहदावल-खलीलाबाद मार्ग पर बालूशासन में नए पुल का निर्माण।
- खलीलाबाद रेलवे स्टेशन का उच्चीकरण कराना।
- जिला अस्पताल में किडनी रोगियों के लिए डायलिसिस केंद्र स्थापित कराना।
- कबिरा-बखिरा विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (केबी-साडा) को नगर और ग्राम्य नियोजन विभाग से मंजूरी।
- समय माता मंदिर पोखरे का सुंदरीकरण।
सांसद प्रवीण निषाद ने कहा कि क्षेत्र के विकास के लिए वह सांसद निधि के साथ ही अनेक योजनाओं से धन लाने का प्रयास करते रहे। क्षेत्र की समस्याओं को लेकर संसद में आवाज उठाने के साथ ही केंद्र व प्रदेश सरकार के संबंधित मंत्रियों से वार्ता करके अनेक परियोजनाओं को स्वीकृत करवाया गया। शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क सुविधाओं को बढ़ावा देने के साथ ही पर्यटन से रोजगार बढ़ाने के लिए गंभीरता से प्रयास चल रहा है। दोआबा क्षेत्र को बाढ़ मुक्त बनाने के साथ ही मेडिकल कालेज के साथ ही इंजीनियरिंग कालेज को बनवाने के लिए ठोस प्रयास किया। कोरोना के कारण लंबे समय तक कार्य ठप रहने से कई परियोजनाएं पूरी नहीं हो पाईं। अगले कार्यकाल के लिए प्राथमिकता तय कर लिया हूं, इसे पूरा करवाकर क्षेत्र को विकास का माडल बनाउंगा।
किसान नेता कृष्ण मोहन त्रिपाठी ने कहा कि केंद्र सरकार की योजनाओं का लोगों को लाभ तो मिला, परंतु जनपद की विशेष समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया। सांसद की क्षेत्र में अनुपस्थिति भी विकास न होने का कारण रही। कागज में ही विकास दिख रहा है। धरातल पर कुछ भी नहीं है। बखिरा झील के विकास को लेकर बड़े-बड़े दावे किए गए, लेकिन कोई कार्य नहीं हुआ। बुनकर अपना पेशा छोड़कर दूसरे प्रदेश में मजदूरी कर रहे हैं। किसानों की हालत भी ठीक नहीं है। चीनी मिल की भूमि तक बिक गई। जनपद में एक भी बड़ा उद्योग नहीं है।
युवा कारोबारी दानिश खान ने कहा कि जनपद विकास की दौड़ में पिछड़ा है। मुख्यमंत्री के शहर से सटा होने के बाद भी जनपद में विकास की योजनाएं अभी धरातल पर नहीं आ सकी हैं। बाढ़ से जनपद की लाखों की आबादी प्रभावित होती है। हर वर्ष बाढ़ से निजात का दावा भी होता है, लेकिन बाद में मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है। औद्योगिक विकास के नाम पर जिला शून्य है। चीनी मिल की भूमि तक बिक गई। मुख्य सड़कों को छोड़ दें तो जनपद के संपर्क मार्गों की हालत ठीक नहीं है। बस डिपो के साथ ही मेडिकल कालेज की स्थापना का दावा पिछले पांच वर्षों से हो रहा है, लेकिन अभी धरातल पर नहीं आ सका है।
महुली छीतही निवासी फहीम खान ने कहा कि क्षेत्र की खराब सड़कों का नए सिरे से निर्माण होने से लोगों को आवागमन आसान हुआ है। बखिरा के बर्तन कारीगरों को प्रशिक्षण के साथ ही सस्ते दर पर कर्ज की सुविधा उपलब्ध होने से बर्तन कारोबार एक बार फिर से पटरी पर आने की आस जगी है। होजरी के कपड़ों के क्षेत्र में मुखलिसपुर और मगहर कस्बे प्रदेश स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं। पांच वर्षों में कार्य सराहनीय हुए परंतु अभी जनपद में औद्योगिक विकास के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है। सांसद सबके सुख दुख में शामिल होते रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप सिंह सिसौदिया ने कहा कि सांसद के प्रयासों से नई रेल लाइन पर तेजी से कार्य आरंभ हुआ है। सड़कों के निर्माण के साथ ही जनपद में पर्यटन कारोबार को बढ़ावा देने के लिए अच्छे कार्य हुए हैं। सेफ सिटी के रूप में शहर को विकसित किया जा है। इसके साथ ही खलीलाबाद रेलवे स्टेशन का प्लेटफार्म और यात्री शेड आदि नए सिरे से बन जाने के साथ ही यात्री सुविधाओं का विस्तार हुआ है। शहर और इसके आसपास स्वीकृत नए ओवरब्रिज बन जाने से जाम की समस्या से निजात मिलेगी।