UP Lok Sabha Election: यूपी के इस खास लोकसभा में सारी कोशिशें हुई नाकाम, यहां फिर घटा मतदान
वर्ष 2014 में इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र में 53.50 प्रतिशत तो फूलपुर लोकसभा क्षेत्र में 52.20 प्रतिशत मत पड़ा था। वर्ष 2019 में मतदान प्रतिशत इससे कम हो गया। तब इलाहाबाद में 51.77 और फूलपुर में 48.53 प्रतिशत वोटिंग ही हो सकी थी। इस बार इससे भी कम मतदान हुआ। वर्ष 2024 में इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र में 51.75 तो फूलपुर में 48.92 प्रतिशत मतदान हुआ।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। आध्यात्मिक और धार्मिक के साथ शैक्षणिक नगरी प्रयागराज में मतदान प्रतिशत बढ़ाने की सारी कोशिशें धरी की धरी रह गईं। संगम नगरी में एक बार फिर मतदान का प्रतिशत घट गया। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से ही प्रतिशत घटता जा रहा है।
वर्ष 2014 में इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र में 53.50 प्रतिशत तो फूलपुर लोकसभा क्षेत्र में 52.20 प्रतिशत मत पड़ा था। वर्ष 2019 में मतदान प्रतिशत इससे कम हो गया। तब इलाहाबाद में 51.77 और फूलपुर में 48.53 प्रतिशत वोटिंग ही हो सकी थी।
इस बार इससे भी कम मतदान हुआ। वर्ष 2024 में इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र में 51.75 तो फूलपुर में 48.92 प्रतिशत मतदान हुआ। फूलपुर में बेहद मामूली प्रतिशत मतदान 2019 से ज्यादा हुआ है।
इस बार जनपद में 47 लाख 10 हजार मतदाता रहे। जिले में 25 लाख 51 हजार पुरुष वोटर और 21 लाख 58 हजार महिला मतदाता हैं। फूलपुर संसदीय क्षेत्र में 20 लाख 67 हजार तो इलाहाबाद में 18 लाख 25 हजार वोटर हैं। इस बार जिले में लगभग 50 प्रतिशत ही मतदान हो सका।
प्रशासनिक आंकडो़ं के मुताबिक जिले के लगभग 23.60 लाख मतदाता वोट करने के बजाय घर में रहना पसंद किया। इलाहाबाद संसदीय सीट पर 18 लाख 25 हजार वोटर में नौ लाख के करीब मतदाताओं ने वोटिंग नहीं किया।
इसी तरह फूलपुर संसदीय क्षेत्र में 20 लाख 67 हजार मतदाताओं में लगभग 11 लाख वोटर मतदान नहीं किए। जबकि मतदान केंद्रों पर छाया के लिए शेड और पंडाल तक लगाए गए थे। शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की गई थी। वाहनों से बूथ तक जाने की भी मनाही नहीं थी।
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बूथ पर लाइन लगने से लेकर बूथ की लोकेशन तक की जानकारी के लिए एप लांच किए गए थे। लगभग दो माह से मतदान प्रतिशत बढ़ाने की कवायद की जा रही थी। स्वीप टीम ने तमाम कार्यक्रम कराए। जिले में कुल 4712 पोलिंग पार्टियां मतदान केंद्रों पर सुबह छह बजे से तैयार बैठी थीं।
मतदान के लिए कुल 21 हजार कार्मिक लगाए गए थे। वर्ष 2019 के आंकडो़ं के अनुसार लगभग 22 लाख मतदाताओं ने वोट नहीं किया था। इस बार दावा हो रहा था कि इलाहाबाद के साथ ही फूलपुर में भी 60 प्रतिशत से अधिक मतदान कर प्रथम श्रेणी में पास होंगे, लेकिन इलाहाबाद ने तो गत चुनाव के आंकड़ों को भी नहीं छू पाया।
चुनाव की घोषणा के साथ ही पूरी सरकारी मशीनरी और राजनीतिक दल मतदान प्रतिशत को बढ़ाने में लग गए थे। करोड़ों रुपये जागरूकता पर खर्च हुए। वोट करने को निजी वाहनों से आने की भी छूट दी गई, लेकिन मतदाता घरों में आराम करते रहे।
कम वोटिंग की वजह उदासीनता के साथ ही कुछ हद तक मतदाता सूची में खामियां भी हैं। मतदाता सूची में नाम नहीं होने की शिकायतें हर बूथ पर आईं। लोगों का आरोप था कि पिछले चुनाव में वोट डाला था लेकिन इस बार नाम गायब है।