Waqf Properties : वक्फ संपत्तियों का किया जाएगा डिजिटल पंजीकरण, होगी एक विशिष्ट पहचान, प्रयागराज में फीडिंग की गति धीमी
Waqf Properties उत्तर प्रदेश वक्फ बोर्ड ने मस्जिदों, मजारों और कब्रिस्तानों जैसी वक्फ संपत्तियों का डिजिटल पंजीकरण अनिवार्य कर दिया है। उम्मीद पोर्टल पर पंजीकरण के बाद, प्रत्येक संपत्ति को एक विशिष्ट पहचान संख्या मिलेगी। प्रयागराज में फीडिंग की गति धीमी है। गलत जानकारी देने पर मुतवल्ली के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस पहल से वक्फ संपत्तियों की खरीद-फरोख्त पर निगरानी आसान होगी।(x)

Waqf Properties उत्तर प्रदेश वक्फ बोर्ड ने वक्फ संपत्तियों का डिजिटल पंजीकरण अनिवार्य कर दिया है।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। Waqf Properties उत्तर प्रदेश वक्फ बोर्ड ने मस्जिदों, मजारों, कब्रिस्तानों और अन्य औकाफ संपत्तियों का डिजिटल पंजीकरण अनिवार्य कर दिया है। इसके लिए उम्मीद पोर्टल पर इन संपत्तियों की फीडिंग कराई जा रही है।
5 दिसंबर तक पोर्टल पर सभी वक्फ संपत्तियां होंगी फीड
Waqf Properties पांच दिसंबर तक पोर्टल पर सभी वक्फ संपत्तियों को फीड करने के निर्देश दिए गए हैं। जनपद में बहुत धीमी गति से फीडिंग का काम कर रहा है। मस्जिद, मजार व कब्रिस्तान का विवरण भी फीड करने से लोग बच रहे हैं। वहीं तकनीकी खामी के चलते भी पोर्टल कई बार नहीं चल पाता है जिससे फीडिंग में दिक्कत हो रही है।
उम्मीद पोर्टल पर मस्जिद-मजार, कब्रिस्तान का विवरण
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने सभी जिलों को मस्जिद-मजार और कब्रिस्तान का विवरण उम्मीद पोर्टल पर कराने के निर्देश जारी किए हैं। इसके अलावा अन्य वक्फ संपत्तियों को भी पोर्टल पर फीड करना है। उम्मीद पोर्टल पर पंजीकरण के बाद हर वक्फ संपत्ति को एक विशिष्ट पहचान संख्या दी जाएगी। आइडी से संबंधित संपत्ति की स्थिति, सीमाएं, उपयोग, आय-व्यय, लीज और किराया विवरण आनलाइन ट्रैक किया जा सकेगा।
पहली बार वक्फ संपत्तियों की डिजिटल ट्रैकिंग व्यवस्था
Waqf Properties यह पहली बार है, जब देश में वक्फ संपत्तियों की डिजिटल ट्रैकिंग व्यवस्था लागू की जा रही है। इससे किसी भी वक्फ संपत्ति की खरीद-फरोख्त या गलत पंजीकरण पर निगरानी आसान होगी।
करीब 450 करोड़ की वक्फ संपत्तियों पर वर्षों से कब्जा
प्रयागराज जिले में लगभग 2,060 करोड़ रुपये की 3,000 संपत्तियां वक्फ बोर्ड की हैं, जिनमें 450 करोड़ रुपये से ज्यादा की वक्फ संपत्तियों पर वर्षों से कब्जा है, जबकि लगभग 175 करोड़ रुपये की वक्फ संपत्तियों को अवैध रूप से दूसरों को बेच दी गई है। इससे किसी भी वक्फ संपत्ति की खरीद-फरोख्त या गलत पंजीकरण पर निगरानी आसानी से हो सकेगी।
क्या कहते हैं अल्पसंख्यक अधिकारी?
जिला अल्पसंख्यक अधिकारी कृष्णमुरारी ने बताया कि वक्फ संपत्तियों के डिजिटल पंजीकरण के बाद उन्हें विशिष्ट पहचान संख्या दी जाएगी, जिससे ट्रैक करना आसान होगा। उम्मीद पोर्टल पर तेजी से फीडिंग न होने की सूचना मुख्यालय में दे दी गई है।
पोर्टल पर गलत विवरण पर मुतवल्ली पर होगी कार्रवाई
वक्फ संपत्ति की जानकारी अपलोड करते समय वक्फ का नाम, रजिस्टर नंबर और नोटिफिकेशन संख्या के साथ मुतवल्ली का नाम, मोबाइल नंबर, ईमेल भरना होगा। साथ ही पहचान पत्र अटैच करना होगा। संपत्ति का क्षेत्रफल, खसरा-खतौनी नंबर, सीमाएं (पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण), संपत्ति का उपयोग, मस्जिद, मजार, कब्रिस्तान या धर्मार्थ संस्था जो भी दर्ज करना है। बैंक खाता और वार्षिक आय-व्यय का विवरण भी देना है। संपत्ति से मिलने वाला किराया या लीज की राशि भी बतानी है। फोटो, लोकेशन मैप और निर्माण वर्ष का विवरण दिया जाएगा। अगर किसी मुतवल्ली ने गलत जानकारी अपलोड की तो उस पर वक्फ अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा सकती है।

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