CJI भूषण राम कृष्ण गवई प्रयागराज में बोले- स्वतंत्रता बाद भारत अपने संविधान के कारण है सुदृढ़
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति भूषण राम कृष्ण गवई ने प्रयागराज में कहा कि भारत अपनी स्वतंत्रता के बाद संविधान के कारण सुदृढ़ है, जिसके निर्माण में डा. भीमराव राम जी आंबेडकर की महत्वपूर्ण भूमिका रही। उन्होंने कहा कि संविधान के कारण ही सभी के मूलभूत अधिकारों की रक्षा हो रही है। देश की सारी समस्याओं का समाधान संविधान में है।

CJI न्यायमूर्ति भूषण राम कृष्ण गवई इलाहाबाद विश्विवद्यालय में आयोजित सेमिनार में लोगों को संबोधित करते।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति भूषण राम कृष्ण गवई ने शनिवार शाम प्रयागराज में कहा कि यदि भारत अपनी स्वतंत्रता के बाद सुदृढ़ है तो इसका श्रेय उस संविधान को जाता है, जिसके निर्माण में डा. भीमराव राम जी आंबेडकर की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वह सच्चे राष्ट्रवादी थे। बाबा साहेब ने देश की एकता, संविधान के माध्यम से सुनिश्चित की है।
संविधान के कारण ही मूलभूत अधिकारों की रक्षा
सीजेआई ने कहा कि पड़ोसी देशों को देख लीजिए। पाकिस्तान तो हमारे साथ ही स्वतंत्रता हुआ है। नेपाल,श्रीलंका व बांग्लादेश देखिए। बीते 75 वर्षों में भारत अपने संविधान के कारण ही हर किसी के मूलभूत अधिकारों की रक्षा करता आ रहा है।
देश की सारी समस्याओं का समाधान संविधान में है
ऐतिहासिक इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के सीनेट परिसर स्थित ईश्वर टोपा आडीटोरियम में कांस्टीट्यूशन एंड कांस्टीट्यूशनलिज्म : द फ्लिासफी आफ डा. बीआर आंबेडकर विषयक सेमिनार में प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि देश की सारी समस्याओं का समाधान संविधान में है। यदि कांस्टीट्यूशन स्ट्रक्चर है तो कांस्टीटयूशनलिज्म को आत्मा माना जाना चाहिए। आत्मा विश्वास करती है कि जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि लोगों के प्रति जवाबदेह होंगे।
जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में सरकार भी होती है
कोलेजियम सिस्टम का उल्लेख करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि कुछ लोग इसकी आलोचना यह कहते हुए करते हैं कि भारत अकेला ऐसा देश है जहां जजों की नियुक्ति जज खुद करते हैं, लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है। इस प्रक्रिया में सरकार भी होती है।
भारत में बाबा साहेब की वजह से एक ही नागरिकता
अमेरिका के संविधान से भारत की तुलना करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वहां दोहरी नागरिकता का प्रावधान है, लेकिन भारत में बाबा साहेब की वजह से एक ही नागरिकता है। यह देश को जोड़ती है। युद्ध तथा आपात स्थिति में संविधान, भारत संघ को शक्तियां देता है। विविधता से भरे भारत में राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक समानता सुनिश्चित करने के लिए संविधान ने हर कदम पर मार्गदर्शन किया है।
संविधानिक मूल्यों के प्रति सभी से संकल्प लेने का आह्वान
प्रधान न्यायाधीश ने केशवानंद भारती मामले में संविधान पीठ के निर्णय का उल्लेख किया तो मेनका गांधी बनाम संघ मामले में दिए गए निर्णय की भी चर्चा की। संविधानिक मूल्यों के प्रति सभी से सदैव सजग रहने का संकल्प लेने का आह्वान करते हुए सीजेआइ ने अपनी बात समाप्त की।
बोले कि वह यहां आकर अभिभूत हैं
शुरुआत में इलाहाबाद की प्राचीनता की चर्चा करते हुए कहा कि वह यहां आकर अभिभूत हैं। यह सामाजिक राजनीतिक व शिक्षा के दृष्टिकोण से भी संगम है। इलाहाबाद व लखनऊ सांस्कृतिक रूप से समृद्ध रहे हैं। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने हर क्षेत्र में बहुत से स्कालर्स दिए हैं।
कोई भी कानून से ऊपर नहीं : न्यायमूर्ति विक्रमनाथ
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायमूर्ति विक्रमनाथ ने प्रधान न्यायाधीश की नागपुर से सुप्रीम कोर्ट तक की यात्रा की चर्चा की। कहा कि हम एक दूसरे को सात साल से जानते हैं। कांस्टीट्यूशनलिज्म का अर्थ उन्होंने यह बताया कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, यहां तक कि इसे बताने वाले भी।
HC के CJ बोले- डा. आंबेडकर कांस्टीट्यूशन के चीफ आर्किटेक्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ने डा. आंबेडकर को कांस्टीट्यूशन का चीफ आर्किटेक्ट बताया। कहा कि इसके माध्यम से उन्होंने रूल आफ ला की मजबूत नींव रखी। देश सभी क्षेत्र में प्रगति कर रहा है।
आज मैं फाइनली ला ग्रेजुएट हुआ : जस्टिस कृष्णमुरारी
आयोजन में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति कृष्णमूर्ति को बैचलर आफ ला की डिग्री दी गई। उन्होंने कहा, आज मैं फाइनली ला ग्रेजुएट हुआ। जस्टिस कृष्णमुरारी ने 1981 में विधि स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी।
कौशांबी में कहा- अपनी मिट्टी से हमेशा रखें जुड़ाव
प्रधान न्यायाधीश ने सुबह कौशांबी में कहा था कि अपनी मिट्टी से हमेशा जुड़ाव रखना चाहिए। जस्टिस विक्रम नाथ के बाबा महेश्वरी प्रसाद के नाम पर वर्ष 1966 में स्थापित इंटर कालेज के वार्षिकोत्सव को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए उन्होंने शिक्षकों का आह्वान किया कि वह बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण में मनोयोग से अपना योगदान दें।

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