बदला गाड़ियों का नाम, महंगा हुआ सफर
लाकडाउन के बाद धीरे-धीरे रेलगाड़ियां पटरी पर दौड़ने लगी हैं। इससे यात्रियों को सहूलियत तो हो रही है लेकिन किराया दो से तीन गुना देना पड़ रहा है।
जासं, प्रतापगढ़ : लाकडाउन के बाद धीरे-धीरे रेलगाड़ियां पटरी पर दौड़ने लगी हैं। इससे यात्रियों को सहूलियत तो हो रही है, लेकिन किराया दो से तीन गुना देना पड़ रहा है।
रेलवे ने अधिकांश ट्रेनों को बहाल किया तो उनको स्पेशल के तौर पर चलाया। उनका नंबर व नाम बदलने से किराया भी अधिक हो गया है। इससे आम यात्रियों पर बोझ पड़ रहा है। किराया बढ़ाने का निर्णय मंडल स्तर का होने से स्थानीय रेलवे अधिकारी यात्रियों के बातों का जवाब नहीं दे पा रहे हैं। अब तक प्रतापगढ़ से वाराणसी के बीच चल रही पैसेंजर ट्रेन में ही जनरल टिकट मान्य है। इसे भी एक्सप्रेस के नाम से चलाया गया है। बाकी गाड़ियों में सीट आरक्षित कराने पर ही यात्रा की जा पा रही है। इसमें प्रतापगढ़-कानपुर इंटरसिटी भी शामिल है। पहले इसमें आरक्षण नहीं होता था। प्रतापगढ़ से प्रयागराज जाने के लिए अब 15 की जगह 40 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। इसी तरह प्रतापगढ़ से रानीगंज, पिरथीगंज, विश्वनाथगंज, मऊआइमा, दूसरी तरफ अंतू, अमेठी के लिए यात्रा करने पर अब हर यात्री को 30 रुपये देना पड़ रहा है। पहले यह किराया 10 रुपये हुआ करता था। दरअसल रेलवे ने एक मानक तय कर दिया कि अब किराया कहीं का भी तीस रुपये से कम नहीं होगा, भले ही दूरी पांच-दस किमी ही क्यों न हो। इससे आम यात्री, मरीज व विद्यार्थियों को मुश्किलें हो रही हैं। यह किराया प्राइवेट वाहनों से भी अधिक हो गया है। ऐसे में जरूरतमंद लोग ट्रेन से सफर कम ही कर रहे हैं। स्टेशन अधीक्षक त्रिभुवन मिश्रा का कहना है कि ट्रेन चलाने व किराया तय करने का कार्य डिवीजन से होता है। इस बारे में वह कुछ कह नहीं सकते।