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फावड़ा चलाकर बहाया पसीना, अब मजदूरी के लाले

प्रतापगढ़ ग्राम पंचायतों में मनरेगा मजदूरों ने फावड़ा चला कर चकरोड तालाब का बंधा निर्माण

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Oct 2021 11:15 PM (IST)Updated: Wed, 20 Oct 2021 11:15 PM (IST)
फावड़ा चलाकर बहाया पसीना, अब मजदूरी के लाले

प्रतापगढ़ : ग्राम पंचायतों में मनरेगा मजदूरों ने फावड़ा चला कर चकरोड, तालाब का बंधा निर्माण, भूमि समतलीकरण, नाले की खोदाई करने में पसीना बहा रहे हैं। दो माह व उससे अधिक समय से मजदूरी न मिलने से उनका परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है।

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जिले भर में तीन लाख से अधिक मनरेगा मजदूर हैं। इसमें से करीब डेढ़ लाख मजदूर सक्रिय हैं, जो मनरेगा के तहत बराबर काम कर रहे हैं। मनरेगा विभाग से मिले आकड़ों पर गौर करें तो आसपुर देवसरा ब्लाक में सात हजार 356, बाबा बेलखरनाथ धाम में आठ हजार 179, बाबागंज में 12 हजार 265, बिहार में 18 हजार 345, गौरा में पांच हजार 87, कालाकांकर में सात हजार 814, कुंडा में 20 हजार 229, लक्ष्मणपुर में आठ हजार 265, लालगंज में छह हजार 389, मंगरौरा में छह हजार 94, पट्टी में छह हजार 94, रामपुर संग्रामगढ़ में आठ हजार 142, सांगीपुर में आठ हजार 378, शिवगढ़ ब्लाक में तीन हजार 993 सहित अन्य ब्लाकों में एक लाख 47 हजार से अधिक मनरेगा मजदूर हैं। करीब एक लाख ऐसे मजदूर हैं, जिनको 28 अगस्त के बाद से मजदूरी नहीं मिली। मजदूरी न मिलने से ग्राम पंचायतों में काम करने में मजदूर रुचि नहीं ले रहे हैं। सीडीओ प्रभाष कुमार के मुताबिक इस बारे में डीसी मनरेगा से जवाब मांगा जाएगा, जो भी रुकावट होगी, उसे दूर किया जाएगा।

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न्यूनतम सात, अधिकतम 15 दिन में होना चाहिए भुगतान

एक तो मनरेगा मजदूरों की मजदूरी कम है, उसी में मजदूर काम करने के बाद उनको समय से मजदूरी नहीं दी जाती। इससे मजदूर काम करने में रुचि नहीं ले रहे हैं। नियम है कि मनरेगा मजदूरों को काम करने के एक सप्ताह व अधिकतम 15 दिन के भीतर मजदूरी का पैसा उनके खाते में भेज दिया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। दो माह व उससे पहले से मजदूरी नहीं मिली।

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204 रुपये है मजदूरी

प्रत्येक मनरेगा मजदूरों को 204 रुपये एक दिन की मजदूरी है। जबकि शहर व गांव में भवन निर्माण सहित अन्य कार्य करने पर मजदूरों को 350 से 450 रुपये मजदूरी मिलती है। मजदूरी कम मिलने के बाद भी मनरेगा मजदूरों को समय से पारिश्रमिक नहीं दिया जा रहा है।

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बोले मजदूर-

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मनरेगा से गांव में कई दिनों तक काम किया। जब प्रधान व सचिव से मांगी तो बताया कि काम करते रहिए, जल्द ही मजदूरी खाते में भेजी जाएगी। माह भर काम करने के बाद भी अभी तक मजदूरी नहीं मिली। इससे परिवार आर्थिक संकट से गुजर रहा है।

- छेदी सरोज, सुजौली।

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फोटो :

मैने सोचा कि जब गांव में ही काम मिल रहा है तो बाहर जाने का कोई मतलब नहीं है। जुलाई माह में काम किया। एक माह तक जब मजदूरी नहीं मिली तो काम करने से मना कर दिया, जिससे मजदूरी न मिलने से परिवार के भरण-पोषण को संकट उत्पन्न हो गया है।

- राम किशोर, पूरे देवजानी।

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फोटो :

एक तरफ मनरेगा से मजदूरी कम मिलती है, वहीं दूसरी ओर काम करने के बाद मजदूरी का भुगतान भी विलंब से होता है। जुलाई माह में किए गए काम का भुगतान अभी तक नहीं हो सका है। ऐसे में अपने परिवार का भरण पोषण कैसे करूं।

- कल्पना, पूरे देवजानी।

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फोटो :

माह भर पहले गांव में मनरेगा के तहत कार्य किया था। जब मजदूरी नहीं मिली तो काम करना बंद कर दिया। मजदूरी के लिए जब प्रधान समेत से बात किए तो उनका कहना रहा कि जब मजदूरी आएगी तो खाते में भेजी जाएगी।

- जगतराम, बिबियाकरनपुर।

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फोटो :

एक माह पहले गांव में मनरेगा के अंतर्गत काम किया। 15 दिन से अधिक का समय बीत गया, लेकिन अभी तक मजदूरी खाते में नहीं आई है।

- अखिलेश पाल, बिबियाकरनपुर।


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