जिला पंचायत की कमान कल से प्रशासक के हाथ
पंचायत चुनाव की बिसात अब धीरे-धीरे बिछने लगी है। इस बीच जिले के सबसे बड़े सदन जिला पंचायत के अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल भी पूरे होने के करीब है। 13 जनवरी को यह पूरा होते ही प्रशासक के हाथ में इसकी कमान चली जाएगी।
जागरण संवाददाता, प्रतापगढ़ : पंचायत चुनाव की बिसात अब धीरे-धीरे बिछने लगी है। इस बीच जिले के सबसे बड़े सदन जिला पंचायत के अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल भी पूरे होने के करीब है। 13 जनवरी को यह पूरा होते ही प्रशासक के हाथ में इसकी कमान चली जाएगी।
जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में उमा शंकर यादव व सदस्यों ने पांच साल पहले 14 जनवरी 2016 को शपथ ली थी। इसी दिन सदन की पहली बैठक भी हुई थी। इसके अनुसार 13 जनवरी 2021 को इनका कार्यकाल पूरा हो जाएगा। इस बारे में शासन को पत्रावली भेजी जा चुकी है। चुनाव होने व नए अध्यक्ष के चुने जाने तक पंचायत की बागडोर प्रशासन के हाथ में होगी। अब तक यह तो तय नहीं है कि कौन होगा, पर आमतौर पर डीएम ही प्रशासक होते रहे हैं। ऐसे में उम्मीद है कि यहां भी डीएम को ही शासन जिला पंचायत का प्रशासक बनाएगा। साल 2016 के चुनाव में इस सदन के लिए 61 सदस्य चुने गए थे। इस बार परिसीमन हो जाने पर पंचायत के चार वार्ड नव सृजित नगर पंचायतों में में शामिल हो गए। इसके चलते अब जिला पंचायत सदस्यों के 57 सीटें ही रह गई हैं। इसके लिए अब से गोटें बिछनी शुरू हो गई हैं। पुराने लोग अपने अनुभव का लाभ ले रहे हैं।
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हंगामेदार रहीं कई बैठकें
पूरे पांच साल तक करीब 10 सदस्यों की मौजूदगी सदन में जोरदार ढंग से रही। तीन-चार सदस्यों ने तो विकास में कमी होने पर सदन में हंगामा भी बराबर किया। पिछली बैठक में तो कई अफसरों को सदन से बाहर तक कर दिया गया। सदस्यों के सवालों के आगे अफसरों को जवाब नहीं सूझता था।
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मुंह मोड़े रहे जनप्रतिनिधि
विकास की रूपरेखा तय करने वाले जिले के सबसे बड़े सदन में आने की फुर्सत माननीयों को बहुत कम मिली। अधिकांश बैठकों में सांसदों, विधायकों के दर्शन नहीं हो सके। उनके प्रतिनिधि ही नजर आए। जबकि इसी सदन से पास प्रस्ताव को शासन में अनुमोदन के लिए भेजा जाता है, जो अरबों का होता है।
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16 के बाद साफ होगी तस्वीर
पंचायत चुनाव के लिए परिसीमन का कार्य अंतिम चरण में है। इस पर दावे व आपत्ति मांगने का समय बीत चुका है। अब इनका निस्तारण 13 व 14 जनवरी को किया जाएगा। इसके बाद तस्वीर और साफ हो जाएगी, कि कितनी सीटों पर इस बार असर पड़ा सकता है। वैसे चार सीटों का कम होना तय ही है।