यूपी के छात्र का कमाल, बना डाली पानी की बर्बादी रोकने की डिवाइस; कीमत व खूबी जानकर हो जाएंगे हैरान
Why Waste Program यह इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस (Electronic Device) घरों व पार्कों में पानी की बर्बादी को रोकता है।
नोएडा [पारुल रांझा]। Why Waste Program: आवश्यकता आविष्कार की जननी है, तो जुनून है पिता। इन दोनों के मिलन से नोएडा के रहने वाले 12वीं के छात्र विक्रमादित्य ने एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस (Electronic Device) बनाया है, जिसकी मदद से घरों व पार्कों में पानी की बर्बादी को रोका जा सकता है। यह डिवाइस वातावरण के तापमान और मिट्टी की नमी को भाप कर स्वयं ही उचित मात्रा में सिंचाई करता है। इस डिवाइस की खूबियों की तुलना में इसकी कीमत कुछ भी नहीं हैं। छात्र विक्रमादित्य के मुताबिक, इस डिवाइस की कीमत 1000 रुपये के आसपास ही आएगी। इतनी कम कीमत में घरों और सार्वजनिक स्थलों पर पानी की बर्बादी रोकने वाला यह डिवाइस क्रांतिकारी साबित हो सकता है।
नोएडा शहर के श्रीराम मिलेनियम स्कूल में 12वीं कक्षा के छात्र विक्रमादित्य का कहना है कि उन्हें यह डिवाइस बनाने का ख्याल घर में लगी आरओ मशीन से बर्बाद हो रहे पानी को देखकर आया। इसके बाद उन्होंने पानी की बर्बादी रोकने के लिए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बनाने की ठान ली। इसमें इस्तेमाल किए गए सेंसर और पंपों के बारे में शोध करने के बाद कोड और डिजाइन को बेहतर ढंग से विकसित करने के लिए काफी मेहनत की।
देश 184 शहरों में करोड़ों लीटर पानी की हो रही बचत
17 वर्षीय विक्रमादित्य ने जागरण संवाददाता से बातचीत में कहा कि उन्होंने 2018 में जल बर्बादी रोकने के लिए ने वाई वेस्ट प्रोग्राम के जरिए लोगों को जागरूक करना शुरू किया। सबसे पहले अपने ही स्कूल में आरओ प्लांट के बेकार पानी को ग्राउंड वाटर रिचार्जिंग और फायर होज टैंक फिटिंग में दोबारा इस्तेमाल किया। स्कूल का हर वर्ष का तीन लाख लीटर पानी बर्बाद होने से बचने लगा। इसके बाद ऐसे यंत्रो पर काम करना शुरू किया, जिससे हाथ धोते वक्त 90 प्रतिशत तक पानी बचे।
वहीं, सफल परिणामों को देखते हुए दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, पुणे, बेंगलुरु के कई मल्टीनेशनल कार्यालयों और स्कूलों में प्रस्तुति देकर इन यंत्रों की उपयोगिता और जल संरक्षण के तरीके के बारे में जानकारी दी। फिलहाल देश के 184 शहरों में इनका वाई वेस्ट प्रोग्राम करोड़ों लीटर पानी की बर्बादी रोकने में जुटा है और इसमें सफलता भी मिल रही है।
तीन माह में तैयार किया डिवाइस
विक्रमादित्य के मुताबिक, वाई वेस्ट प्रोग्राम (Why Waste Program) के सफल नतीजों के बाद यह मुहिम देश के तकरीबन 5000 स्कूलों में शुरू कर दी गई है। नीति आयोग से भी इस पहल को समर्थन मिला है। इसके बाद बड़े-बड़े पार्कों में पौधों की सिंचाई के दौरान पानी की बर्बादी रोकने के लिए प्लॉट वॉटरिंग सिस्टम नामक डिवाइस बनाया। सोल्डरिंग टूल न होने के चलते उन्होंने डिवाइस के कुछ हार्डवेयर के लिए इन्फोलिंक्स सॉल्युशंस से संपर्क किया। बिना किसी की मदद से मात्र एक हजार रुपये में डिवाइस तैयार कर दिया। इससे बनाने में करीब तीन माह लगे। यह विभिन्न पौधों की प्रजातियों में अलग-अलग मिट्टी की नमी की आवश्यकता और पानी की जरूरतों के हिसाब से काम करता है।
कैसे काम करता है डिवाइस
डिवाइस बनाने के लिए DHT22 सेंसर का उपयोग किया गया है, जो तापमान, आर्द्रता और नमी को जांचता है। यह सभी डेटा इलेक्ट्रॉनिक रूप से आर्डयूनो माइक्रोकंट्रोलर को प्रेषित किया जाता है, जहां कोड यह निर्धारित करता है कि पौधे को पानी की आवश्यकता, मिट्टी की नमी का स्तर और तापमान क्या है। इसके बाद आर्डयूनो माइक्रोकंट्रोलर इसके साथ कनेक्टेड वॉटर पंप को संदेश भेजता है कि पानी को सीमित समय के लिए पहुंचाया जाए। एक मिनट पानी उपलब्ध कराने के बाद डिवाइस दोबारा रीडिंग लेना शुरू कर देता है और जरूरत पूरी होने पर यह पानी की बचत भी करता है।
जागरण संवाददाता से बातचीत में विक्रमादित्य ने बताया कि इस डिवाइस को वह देश के बड़े पार्कों में लगवाना चाहते हैं, जिससे बहुमूल्य पानी की बचत हो। उन्होंने बताया कि इसके सफल परीक्षण के बाद जल्द ही यह मार्केट में लोगों के लिए उपलब्ध होगा। इसकी कीमत मात्र 1000 रुपये तक होगी।
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