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Noida News: मकान ढहाने के विरोध में पटरी पर लेटे किसान, राजधानी एक्सप्रेस को रोका

Noida News बोड़ाकी गांव के ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि प्राधिकरण व डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर की ओर से कोई नोटिस नहीं दिया गया। 22 मई को हाई कोर्ट में मुआवजे की दरों को लेकर सुनवाई होनी है तब तक का समय देने की मांग की गई।

By Abhishek TiwariEdited By: Updated: Wed, 13 Apr 2022 08:28 AM (IST)
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Noida News: मकान ढहाने के विरोध में पटरी पर लेटे किसान, राजधानी एक्सप्रेस को रोका (file Photo)

ग्रेटर नोएडा, जागरण संवाददाता। बोड़ाकी गांव में मंगलवार को डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर परियोजना के क्षेत्र में आ रहे आठ मकानों को जेसीबी से ढहा दिया गया। इस दौरान महिलाएं और बच्चे रोते बिलखते रहे, वहीं पुरुष पास में ही दिल्ली हावड़ा रेल लाइन पर जा बैठे। काफी मशक्कत कर 10 थानों की पुलिस व दो कंपनी पीएसी के जवानों ने लोगों को ट्रैक से हटाया। इस दौरान राजधानी एक्सप्रेस को रोकना पड़ा, जिसे करीब दो मिनट बाद रवाना किया गया।

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि प्राधिकरण व डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर की ओर से कोई नोटिस नहीं दिया गया। 22 मई को हाई कोर्ट में मुआवजे की दरों को लेकर सुनवाई होनी है, तब तक का समय देने की मांग की गई, लेकिन एक न सुनी गई। वहीं अधिकारियों का कहना है कि किसान मुआवजा नहीं ले रहे हैं। कई बार जमीन खाली कराने को नोटिस दिया गया है।

मंगलवार की सुबह करीब सात बजे पुलिस बल और प्राधिकरण, डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर, प्रशासन व पुलिस के अधिकारी पहुंचे और बोड़ाकी रेलवे स्टेशन से सटी जमीन पर बने आठ मकानों को तोड़ा गया। कार्रवाई से पहले ग्रामीणों के पक्ष में आसपास के निवासी व धरने पर बैठे किसान आ गए और कार्रवाई रोकने को लेकर पुलिस से झड़प भी हुई। इसी दौरान ग्रामीण रेलवे लाइन पर लेट गए। पुलिस उन्हें ट्रैक से हटाने में लग गई, वहीं रेलवे को भी इसकी सूचना दी गई।

डीएमआइसी से किसानों को राहत

किसान नेता सुनील फौजी ने बताया कि दिल्ली मुंबई औद्योगिक कारिडोर से प्रभावित पल्ला गांव के किसानों को राहत मिली है। नौ दिन से आमरण अनशन पर बैठे किसानों ने मंगलवार को एडीएम एलए के कार्यालय का घेराव किया था। अधिकारियों ने इसके बाद बैठक की, जिसमें मुआवजा बढ़ाने का भरोसा दिया है। बोड़ाकी में हुई कार्रवाई से किसानों में रोष है। बुधवार को महापंचायत कर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।

सब कुछ लुट गया

पीड़ित युवा विकास ने बताया कि जिन घरों को तोड़ा गया, वह उसके परिवार के लोगों का है। हर घर में करीब 15 से 20 लोग रहते हैं। पुरखों की निशानी को टूटता देख सभी लोग सदमे हैं। बिना कोई नोटिस व जवाब-तलब किए कार्रवाई कर दी गई। समझ में नहीं आ रहा है कि अब कहां रहा जाए। एक दिन में कैसे मकान बनाया जाए। सब कुछ लुट गया। उधर पूरा गांव परिवार की मदद को आगे आया है।