College Admission: छात्रावास और पीजी की चिंता ने उड़ाई अभिभावकों की नींद
तकनीकी कॉलेजों में प्रवेश दिलाने के लिए पहुंचे अभिभावकों के लिए कोविड-19 से बच्चे का बचाव करना तो चिंता का विषय है ही इसके अलावा कोरोना के कारण आर्थिक मंदी झेल रहे अभिभावक इस बात से भी परेशान है कि छात्रावास में एक कमरे का खर्च कैसे उठाएं।
नोएडा, सुनाक्षी गुप्ता। शिक्षा का हब कहे जाने वाले गौतमबुद्धनगर को दिल्ली-एनसीआर ही नहीं बल्कि प्रदेशभर में उच्च शिक्षा के लिए जाना जाता है। यही कारण है कि यहां पढ़ने वाले ज्यादातर विद्यार्थी दूसरे शहरों और राज्यों से आकर रहते हैं। इस वर्ष कोरोना के कारण बदले शैक्षणिक कैलेंडर के चलते सभी विश्वविद्यालयों में दाखिले की प्रक्रिया अभी भी जारी है। एकेटीयू के अंतर्गत आने वाले कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच गई हैं। छात्र-छात्राएं अभिभावकों के साथ अपनी सीट सुनिश्चित करने के लिए कॉलेजों में पहुंचकर उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।
वहीं, दिसंबर के पहले सप्ताह से सभी कॉलेजों में प्रथम सेमेस्टर के छात्रों के लिए कक्षाएं शुरू की जानी है। इस बीच अभिभावकों के लिए अभी भी सबसे बड़ी समस्या यह बनी हुई है कि वह कोरोना काल में छात्रावास और पीजी में पंजीकरण कर बच्चों को छोड़कर जाए या फिलहाल आनलाइन कक्षा के सहारे ही पढ़ाई जारी रखें।
इस बार छात्रावास में एक कमरे में रहेगा एक विद्यार्थी
इस वर्ष छात्रों की आनलाइन के साथ ऑफलाइन कक्षा शुरू करने के लिए कॉलेज खुद को तैयार कर रहे हैं। सेक्टर- 62 स्थित जेएसएस कॉलेज में बने छात्रावास में इस वर्ष इस तरह तैयार किया जा रहा है, कि छात्रों का कोरोना संक्रमण से बचाव किया जा सके। छात्रावास में एक कमरे में एक विद्यार्थी के रहने की व्यवस्था की गई है तो वहीं सैनिटाइजर आदि का इंतजाम भी रखा गया है।
वहीं, भारतीय पाक कला संस्थान में एक दिसंबर से प्रथम वर्ष के छात्रों की कक्षाएं शुरू की जा रही है, इसके साथ ही जो विद्यार्थी छात्रावास में रहकर पढ़ाई करना चाहते हैं उनके लिए अलग कमरे की व्यवस्था की गई है, जिसमें कोरोना से पहले दो से तीन छात्र रहते थे। शहर के निजी छात्रावास को देखा जाए तो वहां भी फिलहाल विद्यार्थी दाखिला लेने नहीं पहुंच रहे हैं। सेक्टर-36 में निजी पीजी संचालिका रंजू ने बताया कि पीजी में कामकाजी महिलाएं तो रह रही हैं, लेकिन अभी तक छात्राएं नहीं पहुंची हैं। जबकि हर वर्ष कॉलेज में दाखिला होने के साथ ही विद्यार्थी अभिभावकों के साथ पंजीकरण कराने आ जाते थे।
कोरोना महामारी के साथ सता रहा बढ़ती फीस का डर
तकनीकी कॉलेजों में प्रवेश दिलाने के लिए पहुंचे अभिभावकों के लिए कोविड-19 से बच्चे का बचाव करना तो चिंता का विषय है ही, इसके अलावा कोरोना के कारण आर्थिक मंदी झेल रहे अभिभावक इस बात से भी परेशान है कि छात्रावास में एक कमरे का खर्च कैसे उठाएं। निजी कॉलेज में बेटे का दाखिला कराने पहुंचे अभिभावक संजय सिंह ने बताया कि वह उनका परिवार बुलंदशहर में रहता है, बेटे का कॉलेज में दाखिला तो करा दिया है, लेकिन छात्रावास अभी भी उनके लिए बड़ी मुसीबत बना हुआ है। वह बताते हैं कि एक कमरे का सालभर का खर्चा एक लाख रुपये तक पहुंच रहा है। मौजूदा स्थिति में वह इतने पैसे नहीं दे सकते, दूसरे बच्चे के साथ कमरा साझा करने में कोरोना का खतरा है। ऐसे में बच्चे को ऑनलाइन कक्षा कराने पर विचार कर रहे हैं।
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