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गलत जानकारी देने पर लिपिक व जन सूचना अधिकारी पर लटकी कार्रवाई की तलवार

मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. दीपक ओहरी ने शासन को भेजे पत्र में स्पष्ट कर दिया है कि आरटीआइ के तहत आवेदक को विभाग से मिली सूचना पूरी तरह गलत थी। जिसके कारण डॉक्टर समेत निर्दोष पिता-पुत्र को जेल हुई।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 06:33 PM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 06:33 PM (IST)
मुख्य चिकित्साधिकारी ने शासन को भेजे पत्र में आरटीआइ में गलत जानकारी देना किया स्पष्ट।

नोएडा, आशीष धामा। सूचना का अधिकार (आरटीआइ) में गलत जानकारी देने के मामले में स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ लिपिक ब्रह्मसिंह व जन सूचना अधिकारी एवं जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. राजेश शर्मा पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. दीपक ओहरी ने शासन को भेजे पत्र में स्पष्ट कर दिया है कि आरटीआइ के तहत आवेदक को विभाग से मिली सूचना पूरी तरह गलत थी। इसके कारण डॉक्टर समेत निर्दोष पिता-पुत्र को जेल हुई। हालांकि, मामला प्रकाश में आने के बाद ही वरिष्ठ लिपिक से अस्पताल के रजिस्ट्रेशन का चार्ज छीना जा चुका है। इस मामले में अब शासन स्तर से कार्रवाई होना तय माना जा रहा है।

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दरअसल, स्वास्थ्य विभाग के जन सूचना अधिकारी राजेश शर्मा ने सेक्टर-41 निवासी एक व्यक्ति को 24 जून 2019 को आरटीआइ के जवाब में बताया था कि 2017-18 में सेक्टर-68 स्थित पावन हास्पिटल के नाम से कोई अस्पताल पंजीकृत नहीं है। जबकि, 11 सितंबर 2020 को सेक्टर-61 निवासी एक महिला को इस संबंध में आरटीआइ के जरिये जानकारी दी गई कि 2017-18 में पावन हास्पिटल पंजीकृत था। सेक्टर-41 निवासी व्यक्ति को त्रुटिवश अस्पताल को अंपजीकृत बताया गया था। मामले में वरिष्ठ लिपिक ब्रह्मसिंह पर गलत जानकारी देने के लिए मानसिक दबाव बनाया और आर्थिक प्रलोभन दिया गया, लेकिन उन्होंने कोई प्रलोभन नहीं लिया। जांच में यह भी सामने आया है कि जन सूचना अधिकारी ने अपने स्तर से लिपिक द्वारा दी गई जानकारी का सत्यापन नहीं किया था।

यह था पूरा मामला

सेक्टर-41 निवासी एक महिला डॉक्टर की सेक्टर-61 निवासी एक रिटायर्ड कर्नल के बेटे से शादी हुई थी। रिटायर्ड कर्नल का बेटा व उसके स्वजन दहेज के लिए महिला डॉक्टर का उत्पीड़न व मारपीट करते थे। मामले में पीड़ित महिला डॉक्टर का सेक्टर-68 स्थित पावन अस्पताल से बना मेडिको लीगल सर्टिफिकेट (एमएलसी) भी है। पुलिस ने रिटायर्ड कर्नल के बेटे को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, लेकिन कर्नल व आरोपित बेटे ने वरिष्ठ लिपिक व अन्य अधिकारियों से मिलीभगत कर अस्पताल को अपंजीकृत घोषित करा दिया। झूठ के आधार पर आरटीआइ के जरिये यह जानकारी भी हासिल कर ली। आरटीआइ को आधार मानकर पुलिस ने महिला डॉक्टर का एमएलसी बनाने वाले डॉक्टर, पिता व भाई काे जेल भेज दिया। जेल से आने के बाद जब पीड़ित पक्ष ने आरटीआइ से जानकारी मांगी तो पूरा खेल पकड़ में आ गया।

क्‍या कहते हैं अधिकारी 

मामले में शासन को पत्र भेजा जा चुका है। कार्रवाई भी शासन स्तर से ही की जानी है, आदेश के अनुसार भी वरिष्ठ लिपिक व जन सूचना अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

डॉ. दीपक ओहरी, मुख्य चिकित्साधिकारी

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