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126 करोड़ के जमीन घोटाले में पूर्व प्रमुख सचिव की पत्नी पर कसेगा CBI का शिकंजा Noida News

जमीन घोटाले मामले में आरोपित पीसी गुप्ता संजीव कुमार सतेंद्र चौहान सतेंद्र सिंह व रमेश बंसल सेवानिवृत्त पीसीएस सतीश कुमार को गिरफ्तार किया जा चुका है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 26 Dec 2019 12:22 PM (IST)Updated: Thu, 26 Dec 2019 12:22 PM (IST)
126 करोड़ के जमीन घोटाले में पूर्व प्रमुख सचिव की पत्नी पर कसेगा CBI का शिकंजा Noida News
126 करोड़ के जमीन घोटाले में पूर्व प्रमुख सचिव की पत्नी पर कसेगा CBI का शिकंजा Noida News

ग्रेटर नोएडा [प्रवीण विक्रम सिंह]। यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में हुए 126 करोड़ के जमीन घोटाले मामले में पूर्व प्रमुख सचिव की पत्नी पर सीबीआइ का शिकंजा कस सकता है। सूत्रों ने दावा किया है कि पुलिस की अब तक की जांच में पूर्व प्रमुख सचिव की पत्नी के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं। जिस कंपनी के नाम घोटाले की रकम ट्रांसफर की गई थी। उस कंपनी में पूर्व प्रमुख सचिव की पत्नी प्रमोटर हैं। पुलिस जांच में 36 आरोपितों के खिलाफ साक्ष्य मिल चुके है, जो कि घोटाले में शामिल हैं। आरोपितों में 12 सरकारी कर्मचारी शामिल हैं, जबकि अन्य आरोपितों में कुछ अधिकारियों के रिश्तेदार हैं। पूर्व प्रमुख सचिव का साला भी घोटाले में आरोपित है। इसके अलावा एक सेवानिवृत्त आइएएस का बेटा भी सीबीआइ की रिपोर्ट में आरोपित बना है।

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घोटाले की शुरुआती जांच के दौरान बीटा दो कोतवाली पुलिस पूर्व प्रमुख सचिव के घर छापेमारी करने पहुंची थी, लेकिन सेवानिवृत्त अधिकारी के रूतबे के सामने पुलिस बौनी साबित हुई थी और पुलिस को उल्टे पैर वापस आना पड़ा था। सूत्रों ने दावा किया है कि पुलिस के पास पर्याप्त साक्ष्य होते हुए भी पूर्व प्रमुख सचिव की पत्नी को आरोपित नहीं बनाया जा सका था। इसके पीछे प्रशासनिक अमले में ऊंची पहुंच और रूतबा था। हालांकि, अब सीबीआइ के पास घोटाले की जांच पहुंचते ही इन सभी की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं।

सीबीआइ जांच में ये 21 हैं आरोपित

सेवानिवृत्त आइएएस पीसी गुप्ता, सुरेश चंद्र शर्मा, संजीव कुमार, संजीव, सतेंद्र चौहान, विवेक जैन, सतेंद्र, सुरेंद्र सिंह, मदन पाल सिंह, अजीत कुमार, जुगेश कुमार, धीरेंद्र सिंह चौहान, निदरेष चौधरी, गौरव कुमार, मनोज कुमार, अनिल कुमार, स्वातिदीप शर्मा, स्वदेश गुप्ता, सोनाली, प्रमोद यादव, निधि चतुर्वेदी।

ऐसे सीबीआइ के पास पहुंचा मामला

केस में सरकारी रकम के गबन का होने से प्राधिकरण के तत्कालीन चेयरमैन डा. प्रभात कुमार ने एफआइआर दर्ज कराने के साथ ही इसकी सीबीआइ जांच कराने की संस्तुति करते हुए शासन को रिपोर्ट भेजी थी। सरकार ने भी सीबीआइ जांच के लिए सिफारिश की। लंबे वक्त तक सीबीआइ ने मामला अपने हाथ में नहीं लिया तो गौतमबुद्ध नगर पुलिस की तरफ से शासन को रिमांइडर भेजा गया।

उधर सीबीआइ केस को अपने हाथ में लेने से पहले प्राथमिक पड़ताल कर रही थी। इसी दौरान गाजियाबाद में आरोपितों को मदद पहुंचाने के एवज में रिश्वत लेने के आरोप में सीबीआइ इंस्पेक्टर व प्राधिकरण में तैनात रहा एक तहसीलदार पकड़ा गया था। इस मामले में सीबीआइ के एएसआइ की भी गिरफ्तारी हुई थी। आरोपित इंस्पेक्टर व एएसआइ ने आरोपित तहसीलदार रणवीर से रिश्वत लेकर मदद का आश्वासन दिया था। रिश्वत की एक अलग एफआइआर पहले से सीबीआइ के पास दर्ज है। अब यह दूसरी एफआइआर दर्ज की गई है जिसमें रणवीर भी आरोपित है।

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