कोरोना से बचाव में कारगर साबित हुआ बच्चों को लगने वाला यह टीका, शोध में सामने आए उत्साहजनक नतीजे
Coronavirus Vaccine Happy News जर्नल में प्रकाशित लेख के मुताबिक एमएस डॉ. रेनू अग्रवाल ने एक मई को 80 कर्मचारियों का समूह बनाया गया। समूह में 30 लोगों को बीसीजी का टीका लगाया जबकि 50 को बिना टीका लगाए ही कोविड अस्पताल में ड्यूटी कराई गई।
नोएडा [आशीष धामा]। Coronavirus Vaccine Happy News: बच्चों को टीबी से बचाने के लिए लगने वाला बीसीजी का टीका अब कोरोना से बचाव के लिए भी कारगर साबित हो रहा है। सेक्टर-39 स्थित कोविड अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक (एमएस) डॉ. रेनू अग्रवाल के शोध में यह नतीजे सामने आए कि बीसीजी का टीका शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को तेजी से मजबूत करता है। एमएस ने चिकित्सकों व पैरा मेडिकल स्टाफ समेत 210 कर्मचारियों पर शोध किया। इनमें 80 कर्मचारियों को टीका लगाया गया, जबकि 130 कर्मचारियों की बिना टीका लगाए निगरानी की गई।
नतीजन, टीका लगने वाले एक भी कर्मचारी में अबतक कोरोना की पुष्टि नहीं हुई, जबकि बिना टीका लगने वालों में अबतक 36 कर्मचारी संक्रमित हो चुके हैं। वहीं, इंडियन जर्नल आफ एप्लाइड रिसर्च ने भी इस शोध को प्रकाशित किया है।
जर्नल में प्रकाशित लेख के मुताबिक, एमएस डॉ. रेनू अग्रवाल ने एक मई को 80 कर्मचारियों का समूह बनाया गया। समूह में 30 लोगों को बीसीजी का टीका लगाया, जबकि 50 को बिना टीका लगाए ही कोविड अस्पताल में ड्यूटी कराई गई। इन सभी कर्मचारियों की हर 15वें दिन आरटी-पीसीआर जांच की गई। करीब एक माह बाद जिन 50 कर्मचारियों को टीका नहीं लगा था, उनमें 16 संक्रमित मिले। इसके बाद 24 अगस्त को 130 कर्मचारियों के दूसरा समूह बनाया गया और 50 को टीका लगाए गए। जबकि 80 कर्मचारियों को निगरानी में रखा। नतीजन, जिन्हें टीका लगा वह अबतक सुरक्षित है, जबकि शेष 80 में से 20 संक्रमित हो चुके हैं। एमएस ने खुद को भी टीका लगवाया था। वह स्वयं भी अभी तक संक्रमित नहीं हुई है।
गंभीर बीमारियों से ग्रसित कर्मचारी किए शामिल
जिन्हें बीसीजी का टीका लगा है, उनमें डायबिटीज, हाइपरटेंशन समेत अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित कर्मचारी की संख्या ज्यादा है, टीका का असर कर्मचारी में एक महीने बाद देखने को मिला। खास बात यह रही कि गंभीर बीमारियों से ग्रसित होने के बावजूद कोई भी कर्मचारी संक्रमित नहीं हुआ। लिहाजा वह अभी भी बिना संक्रमित हुए कोविड अस्पताल में ड्यूटी कर रहे हैं।
लक्षण के आधार पर भी हुआ परीक्षण
समूह में लक्षण व बिना लक्षण वाले कर्मचारियों की कोरोना जांच की गई। समूह-1 में टीका लगने वालों में 51-60 वर्ष की आयु के एक कर्मचारी में लक्षण दिखे, लेकिन उनकी काेरोना रिपोर्ट नेगेटिव मिली। जबकि जिन्हें टीके नहीं लगे थे। उनमें लक्षण वाले 21-30 वर्ष के 1, 31-40 के 4, 41-50 के 1 व 51-60 का एक कर्मचारी संक्रमित मिला। जबकि जिन्हें लक्षण नहीं थे, सभी की रिपोर्ट नेगेटिव आई। इसके अलावा समूह-2 में टीका लगने वालों में 31-40 वर्ष की आयु के 4 कर्मचारी थे, इनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई। और जिन्हें टीके नहीं लगे थे, उनमें 21-30 के लक्षण वाले 4, 31-40 के 7, 41-50 के 2, 51-60 के 6 संक्रमित मिले, जबकि टीका न लगने वालों में 31-40 वर्ष की आयु का एक कर्मचारी संक्रमित मिला था।
अन्य देशों में वैक्सीन के इस्तेमाल होने पर किया अध्ययन
एमएस डॉ. रेनू अग्रवाल ने बताया कि जब भारत में कोरोना के मामले सामने आने शुरू हुए थे, तब अमेरिका, इंग्लैंड, इटली में चिकित्सक स्वास्थ्यकर्मियों को बीसीजी का टीका लगा रहे थे। यहीं से प्रेरणा लेकर उन्होंने भी शासन को अवगत कराने के बाद कोविड अस्पताल के कर्मचारियों को दो समूह में बांटकर शोध शुरू कर दिया। सकारात्मक नतीजे सामने आने के बाद मामला इंडियन जर्नल आफ एप्लाइड रिसर्च को भेजा गया। जिसके बाद उन्होंने इसे पूरी तरह परखने के बाद 4 नवंबर को प्रकाशित किया।
समूह-1
आयु लगा टीका नहीं लगा टीका
21-30 2 4
31-40 4 4
41-50 2 4
51-60 22 38
समूह-2
आयु लगा टीका नहीं लगा टीका
21-30 8 20
31-40 22 44
41-50 12 6
51-60 8 10
समूह-1
जेंडर लगा टीका नहीं लगा टीका
पुरुष 16 22
महिला 14 28
समूह-2
जेंडर लगा टीका नहीं लगा टीका
पुरुष 26 42
महिला 24 38
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