मुरादाबाद में प्रशासकों से हिसाब लेंगे नए ग्राम प्रधान, सरकारी धनराशि के दुरुपयोग में हो सकती है कार्रवाई
मुरादाबाद के आठों ब्लाकों में सहायक विकास अधिकारियों को पूरे ब्लाकों के गांवों का प्रशासक बनाया गया था। प्रशासकों ने पिछले चार महीने में अनाप-शनाप सरकारी धनराशि खर्च किया है। एक-एक दिन में कई-कई करोड़ का भुगतान कर दिया गया।
मुरादाबाद, जेएनएन। शपथ ग्रहण के बाद नए ग्राम प्रधानों को बस्ता मिलने लगा है। इसके बाद कई नए प्रधान प्रशासकों से हिसाब लेने के लिए तैयार बैठे हैं। मुरादाबाद के आठों ब्लाकों में सहायक विकास अधिकारियों को पूरे ब्लाकों के गांवों का प्रशासक बनाया गया था। प्रशासकों ने पिछले चार महीने में अनाप-शनाप सरकारी धनराशि खर्च किया है। एक-एक दिन में कई-कई करोड़ का भुगतान कर दिया गया। इसे लेकर सवाल भी खड़े हो रहे हैं। कई प्रशासकों के खिलाफ जांच होना तय माना जा रहा है।
25 दिसंबर की रात को प्रधानों का कार्यकाल खत्म हो गया था। पिछली बार 584 ग्राम पंचायतें थीं। लेकिन, इस दफा ग्राम पंचायतों की संख्या बढ़कर 643 हो गई है। प्रधानों का कार्यकाल खत्म होने के बाद पिछले पांच महीने से ग्राम पंचायतों की बागडोर प्रशासकों के पास थी। प्रशासकों ने इस दौरान अनाप-शनाप धनराशि खर्च की है। पुराने प्रधानों पर मेहरबानी दिखाते हुए उनके भुगतान भी कर डाले। कमीशन के चक्कर में कोई ऐसा ब्लाक नहीं था, जिसमें नियमों की धज्जियां नहीं उड़ाई गईं। इसमें कई अधिकारी भी शामिल रहे। खंड विकास अधिकारी से लेकर जिला पंचायत राज अधिकारी के दफ्तर के बाबुओं तक को हिस्सा मिला है। पंचायतों के करोड़ों के बंदरबांट में किसी के हाथ खाली नहीं रहे। कोरोना संक्रमण के बीच ग्राम पंचायत निधि के खातों को खाली कर दिया गया। वित्तीय वर्ष के अंतिम दिनों में तो सारे बिलों को हरी झंडी देकर धनराशि निकाल ली गई। कुंदरकी, डिलारी, ठाकुरद्वारा, मूंढापांडे ब्लाकों में -एक-एक दिन में करोड़ों का भुगतान होना दिखा दिया। जिला पंचायत राज अधिकारी राजेश कुमार सिंह ने बताया कि ग्राम प्रधानों की शिकायतें मिलने पर ऐसे मामलों की जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। प्रशासक भी जांच के दायरे में हैं। किसी को बख्शा नहीं जाएगा।
17 लाख मिले, अधूरा रह गया पंचायत घर
कुंदरकी विकास खंड के फत्तेहपुर खास गांव की पूर्व प्रधान के रिश्तदारों ने पांच साल तक प्रधानी की है। ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व प्रधान ने शौचालय अपने घर के दरवाजे के बाहर बना लिया। 17 लाख रुपये मिलने के बावजूद पंचायत घर बन नहीं सका। दूसरी मदों में धनराशि खर्च कर दी। कागजों में रास्ते बनाकर भुगतान भी करा लिया गया है। इसी तरह का हाल जिले की और भी कई ग्राम पंचायतों का है। आडिट में ऐसी सभी ग्राम पंचायतों के पूर्व प्रधानों को हिसाब देना होगा।
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