रामपुर में आजम बनाम अखिलेश, मुरादाबाद में भी घमासान; भाजपा को वाकओवर देने के बजाय नए प्रत्याशी की तलाश में जुटी रही सपा
भाजपा से लड़ने की जगह सपा स्वयं के प्रत्याशी चयन में ही बुरी तरह उलझ गई। रामपुर में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और महासचिव आजम खां आमने-सामने आ गए हैं। लगातार बदलते घटनाक्रम के बीच मंगलवार को जब रामपुर में सपा के जिलाध्यक्ष अजय सागर ने रामपुर संसदीय सीट पर चुनाव बहिष्कार की घोषणा की तो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने बुधवार को नए प्रत्याशी की घोषणा कर दी।
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। अपने गढ़ में भाजपा से लड़ने की जगह सपा स्वयं के प्रत्याशी चयन में ही बुरी तरह उलझ गई। रामपुर में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और महासचिव आजम खां आमने-सामने आ गए हैं।
लगातार बदलते घटनाक्रम के बीच मंगलवार को जब रामपुर में सपा के जिलाध्यक्ष अजय सागर ने रामपुर संसदीय सीट पर चुनाव बहिष्कार की घोषणा की तो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने इसे गंभीरता पूर्वक लेते हुए बुधवार को घोषणा कर दी कि रामपुर से मोहिबुल्लाह नदवी पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी होंगे। इससे सपा की स्थानीय इकाई के आजम समर्थकों में बेचैनी फैल गई।
अंतिम दिन इस ओर से भी आजम खां के करीबी आसिम राजा द्वारा नामांकन पत्र दाखिल कर दिया गया। दोनों ने स्वयं को सपा प्रत्याशी बताते हुए रामपुर संसदीय से नामांकन पत्र दाखिल किया है।
इधर, मुरादाबाद में मंगलवार को सांसद डॉ. एसटी हसन के नामांकन पत्र भरने के 24 घंटे के नाटकीय घटनाक्रम के बाद बुधवार को बिजनौर की पूर्व विधायक रुचिवीरा भी मैदान में आ डटीं। उन्होंने डॉ. हसन का सिंबल निरस्त करने संबंधी पार्टी अध्यक्ष के प्रार्थना पत्र के साथ अपना सिंबल भी जमा किया है। घटनाक्रम यहीं नहीं थमा। तीसरे पहर नामांकन की समय सीमा खत्म होने के बाद शाम पौने छह बजे सपा के कुछ नेता रुचिवीरा का सिंबल निरस्त करने संबंधी सपा अध्यक्ष का पत्र लेकर जिला निर्वाचन अधिकारी मानवेंद्र सिंह के कार्यालय पहुंच गए। हालांकि, मानवेंद्र सिंह ने पत्र स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
घटनाक्रम की शुरुआत 22 मार्च को सीतापुर जेल में बंद आजम से पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव की मुलाकात के बाद हुई। आजम ने रामपुर में अखिलेश और मुरादाबाद में रुचिवीरा को अपनी पसंद बताया। पार्टी अध्यक्ष ने रविवार को रामपुर के पार्टी नेताओं को लखनऊ बुलाकर उनकी राय ली। सबने आजम की बात ही दोहरायी।
हालांकि, अखिलेश ने दो दिन में निर्णय लेने का आश्वासन दिया। बताया जाता है कि सपा मुखिया रामपुर से अपने भतीजे तेज प्रताप को उतारने की तैयारी कर रहे थे। इसी बीच अखिलेश के खुद न लड़ने पर मंगलवार शाम रामपुर के सपा नेताओं ने पत्रकार वार्ता कर चुनाव बहिष्कार की घोषणा कर दी।
लिहाजा प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया अधर में लटक गई। भाजपा को वाकओवर देने के बजाय नए प्रत्याशी की तलाश हुई। आनन-फानन में रामपुर के रहने वाले दिल्ली की जामा मस्जिद के इमाम मोहिबुल्लाह नदवी को प्रत्याशी घोषित किया गया।
विशेष विमान से उनका सिंबल भी भेजा गया। इधर, उनके नामांकन से पहले आजम समर्थक आसिम राजा ने भी नामांकन कर दिया। राजा रामपुर शहर विधानसभा सीट और लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी रह चुके हैं।
मुरादाबाद का घटनाक्रम
सपा ने रविवार को सांसद डॉ. एसटी हसन को प्रत्याशी घोषित किया। उनके मंगलवार को नामांकन कराने के साथ टिकट कटने की चर्चा शुरू हो गई। पार्टी नेताओं ने आपसी बातचीत में इसकी पुष्टि की। शाम को रुचिवीरा ने चुनाव लड़ने का एलान कर दिया। वह रात में मुरादाबाद आ भी गईं।
हालांकि, रात में पार्टी जिलाध्यक्ष डीपी यादव ने डॉ. हसन को ही पार्टी प्रत्याशी बताया। रुचिवीरा ने तय कार्यक्रम के मुताबिक नामांकन कर दिया। उन्होंने पार्टी अध्यक्ष की ओर से डॉ. हसन का सिंबल निरस्त करने का भी पत्र दिया। नामांकन का अंतिम दिन था. लिहाजा समय सीमा तीन बजे बीतने पर तय माना गया कि रुचि वीरा ही अधिकृत प्रत्याशी होंगी।
शाम को पार्टी के स्थानीय नेता रुचि वीरा का सिंबल निरस्त करने का पत्र लेकर पहुंच गए। डीएम मानवेंद्र सिंह ने बताया कि डॉ. एसटी हसन की ओर से फार्म एबी (पूर्व के प्रत्याशी का नामांकन निरस्त करने का पत्र) शाम छह बजे आया था। समय निकलने के कारण उसे स्वीकार नहीं किया गया। नियमों के अनुसार रुचिवीरा ही सपा प्रत्याशी होंगी।
सपा का गढ़ रहीं दोनों सीटें
2019 में मोदी लहर के बाद भी मुस्लिम बहुल दोनों सीटों पर सपा काबिज हुई थी। मुरादाबाद में 48 प्रतिशत और रामपुर में 50 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम हैं। मुरादाबाद के सांसद डॉ. एसटी हसन को पार्टी संसदीय दल का नेता भी बनाया गया। यहां सिर्फ 2014 मे ही भाजपा जीत सकी है। रामपुर सीट तत्कालीन सांसद आजम खां के इस्तीफे से रिक्त होने के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा के घनश्याम सिंह लोधी जीते थे।