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Amroha Bawankhedi Massacre : बच्‍चे के कत्ल का हवाला देकर सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई थी शबनम की दया याचिका

भतीजे को भी मौत के घाट उतारने वाली शबनम अपने बेटे की परवरिश के नाम पर फांसी से बचने की दी थी दुहाई। हत्‍या के बाद खूब रोई थी शबनम। तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री ने पांच लाख रुपये देने का एलान कर द‍िया था।

By Narendra KumarEdited By: Published: Thu, 18 Feb 2021 11:30 AM (IST)Updated: Thu, 18 Feb 2021 11:30 AM (IST)
Amroha Bawankhedi Massacre : बच्‍चे के कत्ल का हवाला देकर सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई थी शबनम की दया याचिका
दस माह के बच्चे के कत्ल का हवाला देकर ही उसकी याचिका ठुकरा दी थी।

मुरादाबाद, जेएनएन। प्रेमी सलीम के लिए अपने माता-पिता समेत सात स्वजनों के कत्ल में शबनम के हाथ दुधमुंहे का कत्ल करते वक्त भी नहीं कांपे। वहीं फांसी की सजा के बाद अपने बेटे व जेल में अच्छे आचरण का हवाला देकर वह सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा टालने की मांग कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने दस माह के बच्चे के कत्ल का हवाला देकर ही उसकी याचिका ठुकरा दी थी।

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अपनों के कत्ल के लिए देश भर में चर्चित अमरोहा का बावनखेड़ी नरसंहार सुनियोजित साजिश के बाद अंजाम दिया गया था। ग्रेजुएशन के बाद शबनम शिक्षामित्र बनी थी। उसके साथ सलीम के संबंध स्थापित होने की जानकारी मिलने पर उसके माता-पिता उसका विरोध कर रहे थे। उसे भलीभांति पता था कि रजामंदी से उसकी सलीम के साथ शादी नहीं हो सकती। सलीम की आर्थिक स्थति ठीक नहीं थी। साथ ही वह पढ़ा-लिखा भी नहीं था। ऐसे में अगर शबनम उसके साथ भागकर शादी करती तो उनके सामने रहने खाने की समस्या आड़े आती। जबकि शबनम के पिता के पास के पास करोड़ों की कीमत के खेत व बाग थे। इसलिए शबनम ने सलीम के साथ पूरे परिवार को एक साथ मौत की नींद सुलाने की साजिश रची। वारदात को अंजाम देने के बाद उसकी योजना थी कि वह पुलिस को डकैती की कहानी बताकर वह साफ बच जाएगी। जब परिवार में कोई नहीं होगा तो सारी संपत्ति भी उसकी होगी। इसके बाद वह स्वेच्छा से सलीम से शादी कर संपत्ति की मालकिन बन जाएगी। यही सोचकर उसने अपने दस माह के भतीजे का भी कुल्हाड़ी से गला काट दिया। फांसी की सजा निरस्त करने की याचिका में शबनम के वकील ने शबनम के अलावा उसके बच्चे का कोई वारिस न होने व जेल में उसके अच्छे आचरण का हवाला दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान साफ कहा कि शबनम पढ़ी लिखी व शिक्षामित्र है। उसने अपनों का कत्ल करने के दौरान दुधमुंहे बच्चे को भी नहीं छोड़ा, ऐसे में उसके अच्छे आचरण के आधार पर उसकी फांसी की सजा कैसे निरस्त की जा सकती है।

मुख्यमंत्री भी हो गईंं थीं भावुक

बावनखेड़ी में मासूम समेत सात लोगों की हत्या से शासन तक हिल गया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती खुद बावनखेड़ी पहुंच गई थीं। सामने शबनम को फफकते देख वह भी भावुक हो गई थीं। उन्होंने शबनम को तत्काल पांच लाख रुपये की आर्थिक मदद देने का एलान कर दिया था। मगर तत्कालीन पुलिस अधीक्षक बीना भूकेश का माथा ठनक रहा था। उन्होंने मुख्यमंत्री से आर्थिक मदद से पहले दो दिन जांच का समय मांग लिया था। इसके बाद पुलिस ने तीसरे दिन ही हत्याकांड का पर्दाफाश कर शबनम को गिरफ्तार कर लिया था। 

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