पर्यावरण संरक्षण के लिए आगे आया वन विभाग
औषधि वाले पौधों के तना पर लगाए गए जागरूकता स्लोगन पौधों को बचाने व लगाने से ही पर्यावरण होगा
औषधि वाले पौधों के तना पर लगाए गए जागरूकता स्लोगन
पौधों को बचाने व लगाने से ही पर्यावरण होगा संरक्षित जागरण संवाददाता, मीरजापुर : वृक्षों की कटान रोकने और पर्यावरण संरक्षण के लिए वन विभाग के जिम्मेदारों ने अब नई पहल शुरू करने का निर्णय लिया है। औषधीय वृक्षों में पोस्टर लगाकर उन्हें बचाने की मुहिम चलाई गई है। भीड़-भाड़ वाले इलाकों में लगे इन पेड़ों पर पोस्टर लगाए जाने वाले हैं।
जिले में पेड़ों की कटान आए दिन हो रही है। लकड़ी माफिया एक पेड़ के परमिशन पर कई वृक्षों को गिरा रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा फलदार वृक्ष काटे जा रहे हैं। तमाम शिकायतें अफसरों के यहां आती है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर अनदेखी की जाती है। पेड़ों के काटे जाने से कहीं न कहीं पर्यावरण पर बुरा असर पड़ रहा है, जो मानव जीवन को भी प्रभावित कर रहा है। पर्यावरण संरक्षण के लिए जहां एक तरफ जिला प्रशासन ने लाखों पौधे रोपित किए हैं। वहीं वन विभाग ने अब इनके संरक्षण के लिए नई पहल शुरू की है। जिला मुख्यालय सहित विभिन्न कस्बों, बाजारों व सार्वजनिक स्थानों पर जहां भीड़ अधिक रहती है, वहां लगे वृक्षों पर पोस्टर लगवा रहे हैं। औषधीय पेड़ पीपल, नीम, आंवला आदि के संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। यही नहीं औषधीय पौधों के गुण भी बताएं जा रहे है । जागरुकता वाले स्लोगन लिखे पोस्टर पौधों पर चिपकाए जाएंगे
वन विभाग के जिम्मेदारों का मानना है कि इस तरह की जागरूकता वाली पहल से कम से कम औषधीय वृक्षों को बचाया जा सकता है। डीएफओ संजीव कुमार ने बताया कि औषधीय पौधों के प्रति लोगों को जागरूक करने और पर्यावरण संरक्षण लिए पेड़ों के तना में पोस्टर लगाए जा रहे हैं। यह पोस्टर ऐसे पेड़ों पर लगाए जाने की मुहिम शुरू की जाएगी जिन स्थानों से लोग ज्यादा गुजरते हैं। पर्यावरण बचाने के 10 आसान उपाय
-आरो की जगह यूएफ या यूए वॉटर प्यूरिफायर घर ले आएं। आरो का पानी से जरूरी मिनरल हटा देता है और एक तिहाई पानी बर्बाद होता है।
-प्लास्टिक की बोतलों या कंटेनरों में बिकने वाले प्रॉडक्ट्स को न खरीदें। इनकी जगह ग्लास या मेटल कंटेनर में मिलने वाले प्रॉडक्ट्स खरीदें।
-किचन के सामान के साथ बार-बार पेपर नैपकिन न खरीदें। इसके बदले कपड़े के रुमाल का प्रयोग करें।
-घर में सोलर वॉटर हीटर इन्सटॉल करवा लें। बर्तन धोने के लिए इसी गर्म पानी का इस्तेमाल करें।
-अगर आपको कोई सामान कुछ समय के लिए ही चाहिए तो उसे खरीदने की बजाय दोस्तों से मांग लें। किताब, मूवी और कपड़े भी अगर आपको एक ही बार पहनने के लिए चाहिए, तो उन्हें दोस्तों से मांगना ही ठीक रहेगा।
-घर के सामान और सब्जियां बल्क में खरीद लें जिससे बार-बार पैकेजिग न करनी पड़े।
-अपनी गाड़ी में कपड़े का थैला हमेशा रखें और बाजार से सामान लेने पर हर बार सामान पॉलिथिन में लाने की बजाय इस थैले में ही लाएं।
-घर पर किसी सेलिब्रेशन के लिए डिस्पोजेबल प्लेट्स की जगह घर के बर्तन का या फिर पत्तलों का इस्तेमाल करें।
-बोतल के पानी का कम से कम इस्तेमाल करें। होटलों में अगर पानी साफ और फिल्टर्ड है तो वही इस्तेमाल करें। वह उस बोतल के पानी जैसा ही होगा जिसे हम शुद्ध समझकर पैसा खर्च करके खरीदते हैं।
-अगर आप तरह-तरह के रूम फ्रेशनर्स और एयर प्यूरिफायर पर पैसा खर्च करते हैं तो रुकिए, आपके पास इसका रिप्लेसमेंट है जो बिल्कुल मुफ्त है। बार-बार रूम फ्रेशनर डालने से अच्छा है कि कुछ देर कमरे के दरवाजे और खिड़कियां खोल दें। पर्यावरण संरक्षण के लिए चलायी जा रही आधा दर्जन योजना
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : पर्यावरण संरक्षण करने के लिए वन विभाग की ओर से अनेकों योजनाए चलायी जा रही है। इसमें पौधरोपण कराने व करने से लेकर प्लांटेशन लगाने तक का कार्य शामिल है। यहीं कारण हैं कि पिछले एक साल के अंदर जिले में एक करोड़ से अधिक का पौधरोपण कराया जा चुका है। जिससे पर्यावरण संरक्षित रहे।
वन विभाग की ओर से नमामि गंगे योजना के तहत गंगा किनारे पौधों का प्लाटेंशन किया जाता है। इससे गंगा कटान को रोकने के साथ ही पर्यावरण को संरक्षण करने में भी मदद मिलती है। पौधशाला प्रबंधन योजना के तहत वन विभाग की ओर से जगह -जगह प्लांटेशन करके नई प्रजातियों के पौध उगाकर खुद पौधरोपण कराने के साथ ही दूसरे को भी पौधरोपण करने के लिए पौधे उपलब्ध होता है। तीसरी योजना सामाजिक वानकी सामान्य योजना पौधरोपण है। इसमें समय-समय पर जिलेभर में पौधरोपण करके पर्यावरण को संरक्षण करने का कार्य किया जाता है। वर्जन
पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए हर इंसान को आगे आना चाहिए। इससे उनके साथ साथ पूरे समाज का फायदा होगा। पर्यावरण संरक्षित रहेगा तो हर इंसान संरक्षित होगा।
संजीव कुमार प्रभागीय वनाधिकारी