Pollution Tips: घर से संभलकर निकलें, मेरठ में रेत वाली धूल से हो सकता है फेफड़े का कैंसर, ये सावधानियां बरतें
Pollution Tips मेरठ में चिकित्सकों के अनुसार धूल और धुएं के साथ हजारों हानिकारक बैक्टीरिया ट्रैवल करते हैं। इससे सांस ही नहीं बल्कि स्ट्रोक शुगर एवं आंख की भी बीमारी बढ़ रही है। घर से बाहर मुंह पर रुमाल ढककर ही निकलें।
मेरठ, जागरण संवाददाता। Pollution Tips यदि आप घर से बाहर किसी भी काम से जा रहे हैं तो जरा संभलें। यहां दिल्ली रोड से लेकर शहर में हर ओर रेत और मिट्टी मिश्रित होकर गुबार बनकर दिन-रात उमड़-घुमड़ रहा है। लोग परेशान हैं। सांस फूल रही है।
सेहत का ध्यान
आंखों में यह धूल पड़ने से वाहन चलाने में परेशानी होने लगी है। सबसे अधिक समस्या दिल्ली रोड पर है। यहां पर रैपिड रेल कारिडोर का कार्य हो रहा है। जिसके लिए निर्माण सामग्री लेकर कंटेनर निकलते हैं। लेकिन ऐसे में अपने सेहत का ध्यान रखना भी जरूरी है।
ऐसे रोगों को करना पड़ रहा सामना
मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डा. अरविंद का कहना है कि औद्योगिक क्षेत्रों, कंस्ट्रक्शन कारोबार, ईंट भट्ठों एवं सुलगते कूड़ाघरों के पास रहने वालों में सीओपीडी, अस्थमा, खांसी, दिल के मरीज, लंग्स कैंसर, चर्म रोग एवं गले में खराश की ज्यादा समस्या है। सल्फर एवं नाइट्रोजन डाई आक्साइड की मात्रा बढ़ने से सांस लेने के दौरान नलिका में अम्ल बनने से श्वसन तंत्र और हार्ट में गंभीर विकार आ रहे हैं।
बीपी की बढ़ रहा
शुगर एवं रक्तचाप भी बढ़ रहा है। एलर्जी रोग विशेषज्ञ डा. वीएन त्यागी ने बताया कि धूल और धुएं के साथ हजारों हानिकारक बैक्टीरिया ट्रैवल करते हैं। इससे सांस ही नहीं, बल्कि स्ट्रोक, शुगर एवं आंख की भी बीमारी बढ़ रही है। गल रही हैं सांस की नलियां, जवाब दे रहा दिलधूल और धुआं जिंदगी को निगल रहे हैं।
दिल भी दे रहा जवाब
एनसीआर-मेरठ में प्रदूषित हवा से बड़ी संख्या में मौतें हो रही हैं। वायु प्रदूषण से न सिर्फ सांस की नलियां गल रही हैं बल्कि दिल भी जवाब दे रहा है। इसी साल अप्रैल माह में प्रकाशित हुई ग्लोबल बर्डेन डिसीज की रिपोर्ट में बताया गया था कि 12-15 फीसद मौतें वायु प्रदूषण की वजह से हुई हैं, वहीं मरने वालों में 52 फीसद की उम्र 70 वर्ष से कम थी। अब अगर इस तरह से उड़ती हुई धूल को नहीं रोका गया तो स्थिति भयंकर होती चली जाएगी।
धूल की समस्या रोकने को ये करना चाहिए उपाय
- सफाई कर्मी गलियों की सफाई करने के साथ ही सड़कों की भी सफाई करें।
- धूल एकत्र करने के लिए नगर निगम को सभी प्रमुख सड़कों पर क्लीन स्वीपिंग मशीन प्रतिदिन संचालित करना चाहिए।
- सड़कों पर पानी का छिड़काव प्रतिदिन हो।
- रेत से भरी ट्राली, डंपर व ट्रक को ढक कर ले जाना चाहिए।
- निर्माण सामग्री बेचने वाले लोग यदि खुले में सामग्री बेचते हों तो उन पर कार्रवाई हो क्योंकि निर्माण सामग्री ढकी होनी चाहिए।
- भवन या कोई ढांचा निर्माण होने पर पर्दे की दीवार हो ताकि उसकी धूल आसपास न फैले।
- कूड़ा जलाने पर कार्रवाई होनी चाहिए।
प्रदूषण और धूल से बचने के लिए ये करें
1 - घर से निकलते वक्त मुंह और नाक को रूमाल आदि से जरूर ढककर चलें।
2 - घर के दरवाज़े और खिड़कियां बंद रखें खिड़कियों और दरवाज़ों से ज़हरीले प्रदूषक घर में प्रवेश कर जाते हैं, इसलिए इन्हें बंद रखें। इसके अलावा धूल में या घर ज़्यादा साफ-सफाई का काम करने से भी बचें।
3 - ह्यूमिडिफायर लगाएं : सांस से जुड़ी बीमारियों से परेशान लोगों को डॉक्टर घर में एयर प्यूरीफायर लगाने की सलाह देते हैं। प्यूरीफायर में कई तरह के फ़िल्टर होते हैं, जो अशुद्ध हवा को घर से बाहर निकालने में मदद करते हैं। इसके अलावा यह जीवाणुओं को भी घर से बाहर निकालकर अंदर की हवा को शुद्ध बनाता है।
4 - बाहर कम से कम निकलें : इस दौरान छोटे बच्चों और बुज़ुर्गों को घर से बाहर कम से कम निकलना चाहिए। नवजात बच्चों को बाहर ले जाने से बचें और बड़े बच्चों को बिना मास्क के बाहर न जाने दें।
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