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मेरठ: सिविल और सैन्य क्षेत्र को मिलाकर 8242 एकड़ में फैली है मेरठ छावनी, ड्रोन सर्वे से होगी तस्‍वीर साफ

मेरठ सहित देश के सभी छावनियों में ड्रोन सर्वे शुरू होने जा रहा है। मेरठ छावनी में इसके लिए जगह भी चिन्हित हो गई है। ड्रोन सर्वे से देखा जाएगा कि छावनी में सिविल आबादी की बसावट कितनी हो चुकी है। इससे छावनी की पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी।

By Taruna TayalEdited By: Published: Mon, 30 May 2022 07:30 AM (IST)Updated: Mon, 30 May 2022 07:30 AM (IST)
सभी छावनियों में ड्रोन सर्वे शुरू होने जा रहा है।

मेरठ, जागरण संवाददाता। मेरठ सहित देश के सभी छावनियों में ड्रोन सर्वे शुरू होने जा रहा है। मेरठ छावनी में इसके लिए जगह भी चिन्हित हो गई है। ड्रोन सर्वे से देखा जाएगा कि छावनी में सिविल आबादी की बसावट कितनी हो चुकी है। इससे छावनी की पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर रक्षा और खाली भूमि पर हुए अतिक्रमण को भी हटाया जाएगा।

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मेरठ छावनी का गठन 1803 में हुआ था। अपने गठन से लेकर अब तक छावनी का क्षेत्रफल नहीं बढ़ा, लेकिन आबादी बढ़ती रही है। वर्ष 2011 की आबादी के अनुसार एक लाख से अधिक आबादी निवास करती है। मेरठ छावनी करीब 8242 एकड़ में फैली हुई है, लेकिन इसमें केवल 2.91 फीसद जमीन ही सिविल आबादी के लिए है। इस तरह से एक लाख से अधिक की आबादी के लिए 478 एकड़ भूमि है। छावनी में कठिन लैंड पालिसी की वजह से संपत्तियों के विभाजन की अनुमति नहीं है। इसकी वजह से छावनी में सिविल क्षेत्र पर दबाव बढ़ा है। इससे खाली भूमि पर भी अतिक्रमण की शिकायत है। मेरठ सहित देश की अन्य छावनियों में भी कमोवेश एक जैसी स्थिति है। इन सभी चीजों को देखते हुए सभी छावनियों में ड्रोन सर्वे कर पता लगाया जाएगा कि छावनी में सिविल क्षेत्र के अलावा अन्य खाली जमीनों पर कितना अतिक्रमण या बसावट हुई है।

मेरठ कैंट में 4600 प्रापर्टीछावनी के जनरल लैंड रिकार्ड (जीएलआर:) में करीब 4600 प्रापर्टी दर्ज है। सब डिविजन होकर यह प्रापर्टी 12 हजार से अधिक हो चुकी है। जीएलआर में नाम दर्ज नहीं होने की वजह से लोगों का नक्शा पास नहीं हो पा रहा है। इसकी वजह से लोग परेशान होकर घूमते रहते हैं। छावनी का बदल सकता है स्वरूप रक्षा मंत्रालय की ओर से देश की छावनी के सिविल आबादी क्षेत्र को नगर निगम में शामिल करने का भी प्रस्ताव है। इसे लेकर मंत्रालय स्तर पर मंथन भी चल रहा है।

ड्रोन सर्वे से छावनी में अतिक्रमण को देखा जाएगा। साथ ही इससे सिविल क्षेत्र की मौजूदा स्थिति का आकलन भी किया जाएगा। भविष्य में सिविल क्षेत्र को नगर निगम में शामिल करने का यह सर्वे आधार भी बन सकता है। कैंट प्रवक्ता एमए जफर का कहना है कि रक्षा संपदा निदेशालय के आदेश पर ड्रोन सर्वे शुरू किया जा रहा है। सर्वे से छावनी के सिविल क्षेत्र की संपत्तियों का भौतिक सत्यापन भी हो जाएगा। जिससे छावनी में अतिक्रमण की स्थिति का भी पता चल जाएगा।


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