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International Day of Older Persons: मेरठ का क्‍लब-60 दे रहा खुश रहने की सीख, पीएम मोदी कर चुके हैं सराहना

International Day for Older Persons मेरठ में शास्त्रीनगर के महेश रस्तोगी और हरि बिश्नोई की पहल पर गठित हुआ था क्लब- 60। इसमें 60 से लेकर 78 साल तक के वृद्ध हैं जो युवाओं जैसा जोश रखते हैं। इनके क्‍लब में कई सदस्‍य हैं।

By pradeep diwediEdited By: PREM DUTT BHATTPublished: Sat, 01 Oct 2022 08:49 AM (IST)Updated: Sat, 01 Oct 2022 08:49 AM (IST)
International Day of Older Persons: मेरठ का क्‍लब-60 दे रहा खुश रहने की सीख, पीएम मोदी कर चुके हैं सराहना
Club 60 Meerut मेरठ में 60 से 78 साल तक के सेवानिवृत्त व वृद्ध सदस्य-सफाई अभियान चलाते हैं।

प्रदीप द्विवेदी, मेरठ। international elders day 2022 वृद्ध यानी हंसने खेलने की उम्र। ठहाके मारकर मजाक करने की उम्र। अपने पोते-नातियों से लेकर अनाथों तक को पढ़ाने की उम्र। समाज को सीख देने की उम्र। यह परिभाषा गढ़ी है शास्त्रीनगर व आसपास के वृद्धजनों ने। ऐसा पढ़कर आश्चर्य होगा क्योंकि हम सब वृद्धजन शब्द सुनते ही यह मान लेते हैं कि इस 60 या 70-80 साल के लोग असहाय हो गए होंगे।

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युवाओं जैसा जोश

उनमें जीवन जीने की क्या तमन्ना बची होगी। लेकिन शास्त्रीनगर के महेश रस्तोगी और हरि बिश्नोई ने नई कहानी लिख दी। उनकी पहल पर गठित हुआ क्लब- 60। इसमें 60 से लेकर 78 साल तक के वृद्ध हैं जो युवाओं जैसा जोश रखते हैं। ये सभी एक साथ पार्क में योग करते हैं। ठहाके लगाते हैं। हास्य आसन को प्रमुखता देते हैं। सामाजिक भागीदारी के लिए बच्चों को निश्शुल्क पुस्तकों का वितरण करते हैं।

खुश रहने की आदत

पार्क का नवाचार द्वारा रखरखाव करते हैं। जल संरक्षण आदि पहल में जुटे रहते हैं। इनके बच्चे विदेश में हैं या दूर शहरों में हैं फिर भी ये व्यस्त रहते हैं और खुश रहते हैं। इन सब बातों से प्रभावित होकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में इस क्लब का जिक्र किया था। दरअसल, सेवानिवृत्ति की आयु के बाद का समय हो या फिर बिना सेवा में रह चुके लोग।

अलग तरह की चुनौतियां

60-70 साल के बाद वृद्धावस्था शुरू होने पर सामाजिक और आर्थिक स्तर पर अलग तरह की चुनौतियां शुरू होती है। सेवा के दौरान व्यस्त रहने वाले लोग अचानक से सूनापन और एकाकी अनुभव करने लगते हैं। परिवार से सामंजस्य बिगड़ने लगता है। शहर का क्लब- 60 एक सीख की तरह है जो जीवन जीने का तरीका बताता है।

70 साल की उम्र में पूरा किया फिल्म बनाने का सपना

शास्त्रीनगर निवासी व सेवानिवृत्त बैंक मैनेजर जितेंद्र आर्या को युवावस्था से ही फिल्मों में अभिनय और निर्माता के रूप में आने का शौक था जो काम की व्यस्तता से संभव नहीं हुआ। लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद वह इस सपने को पूरा करने के प्रयास में जुट गए। लगातार फिल्म निर्माण व निर्देशन, लेखन आदि सीखते रहे। अपनी पेंशन, बचत व बेटे से रुपये लेकर एक करोड़ का इंतजाम किया। 70 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते उन्होंने फिल्म बना डाली नाम है महक-सुगंध। फिल्म एमएक्स प्लेयर समेत कई प्लेटफार्म पर रिलीज की है।  

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