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International Day Of Older Persons: मेरठ का गांधीबाग, यहां उम्र पीछे छूट गई, बुजुर्गों का दिल जवां हो गया

International Day Of Older Persons मेरठ में गांधीबाग में आकर खुद को फिट रखने की बड़ी सीख मिलती है। गांधीबाग में टहलने आए बुजुर्ग बोले ना बुढ़ापा आया है ना कभी आएगा-हर दिन दो घंटे की सैर रख रही चुस्त-दुरुस्त संतुलित खानपान भी अहम।

By dileep patelEdited By: PREM DUTT BHATTPublished: Sat, 01 Oct 2022 09:27 AM (IST)Updated: Sat, 01 Oct 2022 09:27 AM (IST)
International Day Of Older Persons: मेरठ का गांधीबाग, यहां उम्र पीछे छूट गई, बुजुर्गों का दिल जवां हो गया
Meerut News मेरठ के गांधीबाग में हररोज बड़ी संख्‍या में लोग व्‍यायाम और सैर के लिए आते हैं।

मेरठ, दिलीप पटेल। Meerut News इसे गांधीबाग़ की शुद्ध हवा का असर कहें या फिर खुद को चुस्त दुरस्त रखने की लालसा...। बात जो भी हो, यहां सुबह की पहली किरण के साथ कदम रखते ही बुजुर्गों की उम्र पीछे छूट जाती है और उनका दिल जवां हो जाता है। दोस्तों के साथ ठहाके, मौज मस्ती और व्यायाम के साथ प्राकृतिक वातावरण में मिलने वाली भरपूर आक्सीजन हर दिन उमंग, उत्साह और ऊर्जा का रिचार्ज करती है।

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ना बुढ़ापा आया है ना कभी आएगा

यही वजह है कि वृद्धावस्था में भी उनमें बालपन जैसा जोश बरकरार है। शुक्रवार की सुबह छह बजे म्यूजिकल फाउंटेन के चार चक्कर लगाने के बाद ऊर्जा से भरपूर फुर्तीले अंदाज में 63 साल के अतुल मोहन बोले ना बुढ़ापा आया है ना कभी आएगा। उनकी बात सुनते ही सदर के साथियों ने जोर से ठहाके लगाए। 70 साल के शरद जैन मुस्कुराते हुए बोले हमारी फिटनेस के तार ही गांधीबाग से जुड़े हैं।

25 साल से चल रहे पैदल

जैन नगर निवास से पैदल चलते हैं और गांधीबाग में कदम रखते ही उम्र पीछे छूट जाती है और दिल जवां हो जाता है। ये सिलसिला 25 साल पहले शुरू किया था आज भी जारी है। बुजुर्गों की यह टोली केवल अपने लिए ही नहीं सोचती शहर के सांस्कृतिक माहौल का कद भी बढ़ा रही है। देखते ही देखते सदर में होने वाली भरत मिलाप की रुपरेखा भी तैयार कर दी।

यहां का माहौल दिलखुश

योग करते दिलशाद ने कहा कि अभी तो हम जवान हैं। 1988 में शादी हुई थी, तब गांधीबाग आए थे। उस दिन के बाद जब भी शहर में रहे। गांधीबाग की आक्सीजन लेते रहे। यहां का माहौल दिलखुश है। कोई अनजान भी सामने पड़ जाता है तो सभी उसे विश करते हैं। यहां दोस्तों से मिली मोहब्बत हर गमों पर भारी पड़ती है। शिव शंकर गुप्ता, अनिल गुप्ता, भूपेद्र सिंह ने कहा कि हर रोज 108 बार राम नाम की ताली बजाकर खुद के आत्म विश्वास को मजबूत बनाते हैं।

बुढ़ापे की झुर्रिया तो तब आएंगी जब आने देंगे

आगे बढ़ते ही म्यूजिकल फाउंटेन पार्क की बेंच पर अपनी दो सखियों के साथ ओम का जाप कर रहीं सुनीता रस्तोगी 71 साल की उम्र में भी पूरे आत्म विश्वास में नजर आईं। बोलीं, रोज सुबह नीरा जैन सदर से तो मंजू जैन पीएल शर्मा रोड से आ जाती हैं। यह दोस्ती 10 साल पुरानी हो चुकी है। सुबह के दो घंटे योगा करते हैं। खुली हवा में सांस लेते हैं। बुढ़ापे की झुर्रियां तो तब आएंगी जब हम आने देंगे।

नई पीढ़ी को बता रहे फिटनेस के मंत्र

तमाम प्रकार के आसन के जानकार वृद्धावस्था की कतार में शामिल मनोज खत्री न केवल बुजुर्गों को त्रिकोण समेत अन्य आसन कराकर उनमें युवा जैसा जोश हर रोज भरते हैं बल्कि नई पीढ़ी भी उनसे फिटनेस के मंत्र सीख रही है।

वृद्धजनों ने फिटनेस के लिए अपनाए हैं ये तरीके

- हर रोज अपने शरीर के सार्मथ्य के अनुसार पैदल चलते हैं।

- अकेलापन दूर करने के लिए दोस्तों के साथ समय बिताते हैं।

- बाजार के फास्ट फूड के बजाए घर का ताजा व संतुलित भोजन करते हैं।

- नियमित व्यायाम, योग और मेडिटेशन करते हैं जो दिल और लंग्स को स्वस्थ रखता है।

- आहार में कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ लेते हैं जैसे दूध, दही, पनीर व फल।

- बुढ़ापे में प्रतिरक्षा के लिए धनिया, लौंग, दालचीनी, जीरा, हल्दी का सेवन अधिक करते हैं।

- चाय, काफी बहुत कम पीते हैं। धूम्रपान से दूर रहते हैं।

- सुबह हंसना और हंसाना दिनचर्या में शामिल है। 

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