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सहयोगियों के दबाव में घुट रहे थे हरिओम आनंद, अंत समय में बोले-बेटी,अब तेरी परेशानी भी खत्म हो जाएगी Meerut News

पिछले साल घर की सीढ़ियों से कूदकर आत्महत्या का प्रयास और शनिवार को सल्फास खाकर आत्महत्या। हरिओम आनंद लंबे समय से अवसाद की स्थिति में थे।

By Prem BhattEdited By: Published: Sun, 28 Jun 2020 12:30 PM (IST)Updated: Sun, 28 Jun 2020 02:06 PM (IST)
सहयोगियों के दबाव में घुट रहे थे हरिओम आनंद, अंत समय में बोले-बेटी,अब तेरी परेशानी भी खत्म हो जाएगी Meerut News
सहयोगियों के दबाव में घुट रहे थे हरिओम आनंद, अंत समय में बोले-बेटी,अब तेरी परेशानी भी खत्म हो जाएगी Meerut News

मेरठ, जेएनएन। पिछले साल घर की सीढ़ियों से कूदकर आत्महत्या का प्रयास और शनिवार को सल्फास खाकर आत्महत्या। साफ है कि आनंद अस्पताल के संचालक हरिओम आनंद लंबे समय से अवसाद की स्थिति में थे। भारी भरकम कर्ज और अपनों के दबाव को वह बर्दाश्त नहीं कर पाए। अस्पताल प्रबंधन मानता है कि हरिओम 350 करोड़ के कर्ज में दबे हुए थे। अस्पताल के घाटे में आने के बाद कई डाक्टर अस्पताल छोड़कर जा चुके थे। उनकी मौत के बाद चिकित्सा जगत में सन्नाटा पसर गया।

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अस्पताल की आर्थिक कमर टूटने से थे निराश

हरिओम आनंद नान मेडिको बैकग्राउंड के थे। एक टीम के साथ मिलकर निजी अस्पताल और निजी मेडिकल कालेज बनाने में अहम भूमिका निभाई। वहां से अलग हुए तो गढ़ रोड पर आनंद अस्पताल खोला। अस्पताल से शहर के कई जाने-माने डाक्टर जुड़ गए। दशकभर बेहतर तालमेल के साथ अस्पताल चलने के बाद अचानक आर्थिक स्थिति खराब होने लगी। डाक्टरों की मानें तो नोटबंदी के बाद आनंद अस्पताल की आर्थिक कमर टूटी। अस्पताल प्रबंधन ने 30 फीसद से ज्यादा कर्ज लिया और पैसा फार्म हाउस, जमीनों की खरीद, भवन निर्माण और शेयर बाजार में लगा दिया। अस्पताल पर 352 करोड़ का कर्ज हो गया, जिसमें बैंक का सिर्फ 15 करोड़ के आसपास रहा। बाकी पैसा निवेशकों से भारी भरकम ब्याज पर उठाया गया। हालांकि इस पैसे से अस्पताल के कई महंगे चिकित्सा उपकरण भी खरीदे गए। इस बीच, रियल एस्टेट कारोबार और शेयर बाजार में गिरावट से अस्पताल की आर्थिक रीढ़ टूट गई।

पत्नी मीसा आनंद को डायरेक्टर बनाया

यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुभाष यादव ने संचालन के साथ अस्पताल के एमडी का पद संभाला। हरिओम आनंद की पत्नी मीसा आनंद को डायरेक्टर बनाया गया। इसी बीच शेयरधारकों और अस्पताल में निवेश करने वालों ने धन वापसी का दबाव बढ़ाया। कई बार हंगामा और मारपीट तक हुई। अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ धन वापसी के लिए दायर मुकदमा वापस लेने का दबाव भी बनाया। अस्पताल के निदेशक मंडल के करोड़ों रुपये फंस गए। सभी ने इस्तीफा दे दिया। साथ ही 23 चिकित्सकों ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ अदालत का भी दरवाजा खटखटाया था। इसी बीच अस्पताल संचालक हरिओम आनंद ने आत्महत्या का प्रयास किया। कई बीमा कंपनियों ने अस्पताल को अपने पैनल से हटा दिया। टीडीएस जमा करने के लिए भी प्रबंधन को कर्ज लेना पड़ा। पिछले साल 23 डाक्टरों ने मैनेजमेंट पर 18 करोड़ रुपये हड़पने का आरोप लगाया था। एक साल पहले नई दिल्ली के बीएल कपूर एवं लखानी ग्रुप ने खरीदने का प्रयास किया था। लेकिन सौदा नहीं हो सका।

‘बेटी, अब तेरी परेशानी भी खत्म हो जाएगी’

आनंद अस्पताल में अंतिम सांसे गिन रहे हरिओम आनंद ने अपने परिवार से बातचीत की। मृत्यु से कुछ समय पहले उन्होंने वहां मौजूद सभी लोगों से कहा, बेटी मानसी के साथ रहना। उसे कभी अकेला मत छोड़ना। उन्होंने बेटी से कहा, ‘मानसी मैं जा रहा हूं। अब तेरी परेशानी भी खत्म हो जाएगी।’

आभास नहीं था ऐसा होगा

बेटी मानसी ने बताया कि किसी को इल्म नहीं था, यह सब होने वाला है। पिता सुबह नाश्ता करने के बाद घर से जा रहे थे तभी मां ने कोरोना संक्रमण से बचाव के बारे में सुरक्षित रहने की उन्हें सलाह दी थी। साथ ही मास्क पहनाकर ही घर से बाहर भेजा था। वे साकेत के लिए निकले, लेकिन वहां न जाकर फार्म हाउस चले गए।

आत्महत्या..व्यक्तित्व में होते हैं आत्मघाती कदम के निशान

कुछ समय पहले बालीवुड अभिनेता सुशांत सिंह ने खुदकुशी की थी। शनिवार को मेरठ में आनंद अस्पताल के संचालक हरिओम आनंद ने वित्तीय संकट के चलते खुदकुशी कर ली। क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट डा. सीमा शर्मा कहती हैं कि हताशा, निराशा और उत्तेजना में लोग आत्महत्या करते हैं। इसका कारण व्यक्तित्च में छिपा रहता है। कई बार व्यक्ति की परवरिश में कमी रह जाती है। कई बार लोग जीवन में आई परेशानी व दबाव ङोल नहीं पाते हैं। ऐसे कारणों का जवाब व्यक्तित्व में तलाशने होंगे। 

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