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गैंग के सरगना को नहीं देख पाते नशे के लती

नशा के सामान की तस्करी अपराध संबंधी मुकदमे के दौरान कोर्ट में पेश होने वाली केस डायरी में एक ही वाक्य लिखा होता है। आरोपित से पूछताछ की गई हैं उन्होंने कहा कि सरगना को कभी नहीं देखा है। उसके बाद पुलिस अपनी कार्रवाई से पल्ला झाड़ लेती है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 Oct 2021 09:00 AM (IST)Updated: Thu, 28 Oct 2021 09:00 AM (IST)
गैंग के सरगना को नहीं देख पाते नशे के लती

मेरठ, जेएनएन। नशा के सामान की तस्करी अपराध संबंधी मुकदमे के दौरान कोर्ट में पेश होने वाली केस डायरी में एक ही वाक्य लिखा होता है। आरोपित से पूछताछ की गई हैं, उन्होंने कहा कि सरगना को कभी नहीं देखा है। उसके बाद पुलिस अपनी कार्रवाई से पल्ला झाड़ लेती है।

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जनपद में हर साल भारी मात्रा में गाजा, चरस और स्मैक तथा शराब पकड़ी जाती है। कैरियर को जेल भेजने के बाद पुलिस अपनी पीठ थपथपाकर इतश्री कर लेती है। यही कारण है कि कैरियर बदल जाते हैं और नशे के सामान की तस्करी बदस्तूर जारी रहती है। इस वर्ष भी नशा तस्करी के 40 से ज्यादा मुकदमे में दर्ज हुए है। उनमें सिर्फ कैरियर जेल चले गए, सरगना का कोई पता नहीं चल पाया है। सवाल है कि नशे की इस चेन को तोड़ने के लिए आखिर सरगनाओं को पुलिस कब पकड़कर जेल भेजेगी। 152 आरोपित जा चुके हैं जेल

पुलिस की तरफ से नशे के सौदागरों के खिलाफ समय-समय पर अभियान चलाया जाता है। नौ माह में पुलिस नशे की तस्करी करने वाले 152 लोगों को जेल भेज चुकी है। इनमें ज्यादातर ऐसे आरोपित हैं, जो शहर के अंदर नशे के सामान की सप्लाई करते हैं। शराब बिक्री करने वाले सरगना रमेश प्रधान, टीपीनगर के गणेश को भी पुलिस जेल भेज चुकी है। पुलिस ने इस वर्ष जानी, मवाना और कंकरखेड़ा में शराब बनाने की फैक्ट्री भी पकड़ी थी, जो नकली शराब बनाकर सप्लाई कर रहे थे। हैरत की बात है कि जानी थाना क्षेत्र में तो एक बीएड कालेज में अंदर शराब तैयार कर पूरे वेस्ट यूपी के शराब ठेकों पर सप्लाई दी जा रही थी। शराब तस्करों का साथ देने के लिए हापुड़ पुलिस का एक दारोगा पर भी मुकदमा दर्ज किया गया था। उसके अलावा भी कप्तान की तरफ से समय-समय पर नशे की बिक्री करने वाले लोगों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की जाती है। इन्होंने छोड़ दिया नशा

कालेज समय से सिगरेट की लत लग गई थी। उसके बाद चरस और गाजा तक पीने लगे। चरस नहीं मिलने से शरीर में बैचेनी होने लगती थी। नशे का आदी होने के बाद घर में चोरी करने लगा था। तब तीन साल पहले परिवार के लोगों ने ने मुझे आरएएफ रोड पर नव विजय फाउंडेंशन नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करा दिया था। वहा पर क्लास चलती थी। उसमें अहसास हुआ कि नशा आज ही छोड़ दो। ये मत समझों की आगे क्या होगा। कल छोड़ने की बात करेंगे तो कभी छोड़ नहीं पाएंगे। धीरे धीरे नशे की मात्रा कम करने पर अच्छा महसूस करने लगा था। नशा से मुक्त होकर अब दोबारा से जीवन शुरू किया है। अब एलएलबी कर रहा हूं।

संजू सिंह, रोहटा रोड

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नशे का पूरी तरह से आदी हो गया था। तब परिवार के लोगों ने नव विजय फाउडेंशन नशा मुक्ति केंद्र में वर्ष 2010 में भर्ती कराया। तब मैं नशा नहीं छोड़ पाया। उल्टे नशा मुक्ति केंद्र को छोड़कर आ गया। उसके बाद घर पर ही मेरे मन में इच्छा शक्ति जागी। तब परिवार के सहयोग से दोबारा नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया। तब मेरी इच्छा शक्ति नशा छोड़ने की थी। वहा से मिली कक्षाओं में नशे से दुष्परिणाम और स्वास्थ्य में होने वाले नुकसान के बारे में विस्तार से बताया जाता है। तब मुझे लगा कि नशे के बाहर भी जीवन है। उसके बाद एकदम मैने नशे को छोड़ दिया। तब से अपनी सफल जिंदगी जी रहा हूं।

प्रवीण गुप्ता, शास्त्रीनगर

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कानून व्यवस्था को भी प्रभावित करता है नशा

एसपी सिटी विनीत भटनागर ने बताया कि पुलिस भी नशा छोड़ने के लिए समय समय पर जागरूकता अभियान चलाती है। थाने स्तर पर क्षेत्र में लोगों को बुलाया जाता है। बैठकर शाति व्यवस्था की जानकारी ली जाती है। साथ ही साथ लोगों को नशे से दूर रहने की हिदायत दी जाती है। बताया जाता है कि कानून-व्यवस्था को भी नशा प्रभावित करता है। टीपीनगर और शास्त्रीनगर के लोगों ने किया था विरोध

शराब तस्कर गणेश और उसकी बेटियों के खिलाफ लोगों ने समय- समय पर विरोध किया है। इसी तरह से शास्त्रीनगर में नशे को सौदागरों को पकड़कर कार्रवाई के लिए मकान बिकाऊ के पोस्टर भी लगा दिए थे। उसके अलावा बागपत रोड पर महिलाएं शराब का ठेका बंद कराने के लिए सड़क पर आ गई थीं। इन्होंने कहा-

नशे का अवैध धंधा रोकने के लिए संबंधित थाना प्रभारियों को आदेश दिया गया है। अभियान चलाकर नशे के सौदागरों को पकड़ा भी जाएगा। पुलिस अभी तक हाजी तस्लीम और रमेश प्रधान जैसे सरगना को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा चुकी है। अब उनकी अवैध तरीके से कमाई संपत्ति को जब्त भी कराया जाएगा।

प्रभाकर चौधरी, एसएसपी


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