हाकिमों की चौखट पर बेटियों की अनदेखी, कल्याण की योजनाओं को ठिकाने लगा रहा विभाग
बागपत में 3.41 लाख कामगार हैं लेकिन पंजीकृत 35026 हैं। इनमें 26131 कामगार पंजीकरण नवीनीकरण नहीं होने से श्रम विभाग की तमाम योजनाओं से बाहर हो गए।
बागपत, जेएनएन। जन कल्याण की योजनाओं को ठिकाने लगाने में श्रम विभाग का कोई सानी नहीं है। बालिका मदद योजना को ही लीजिए तो बागपत में लाखों कामगार हैं लेकिन लाभान्वित की महज 11 बेटियां। अधिकांश कामगारों को गरीबी उन्मूलन योजनाओं का पता ही नहीं है। बाकी कसर घर पर बेटियों के जन्म लेने से पूरी हो जाती है। अस्पताल में जन्मी बेटी को ही लाभ देने का नियम है। बालिका मदद योजना के तहत कामगार की बेटी के नाम 25 हजार रुपये की एफडी कराता है। दो बेटियों तक लाभ मिलेगा। बेटी बालिक होने पर एफडी का पैसा एक लाख रुपये होने पर खुद बैंक से निकालेगी। उन कामगारों की बेटियों को योजना का लाभ मिलेगा जिनका श्रम विभाग में पंजीकरण है। यदि बेटी की बालिग होने से पहले मौत हो जाती है तो एफडी का पैसा सरकार के खाते में जाएगा। बागपत में 3.41 लाख कामगार हैं, लेकिन पंजीकृत 35026 हैं। इनमें 26131 कामगार पंजीकरण नवीनीकरण नहीं होने से श्रम विभाग की तमाम योजनाओं से बाहर हो गए। बाकी 8890 कामगार योजनाओं का लाभ उठाने को पात्र हैं। यही कारण है कि बालिका मदद योजना में केवल 11 बेटियों के नाम एफडी हो सकी।
इन्हें मिलेगा लाभ
कामगार पंजीकृत हो। दो बालिका तक लाभ मिलेगा। प्रथम एवं द्वितीय प्रसव में एक से अधिक बालिका जन्म लेती हैं तो सभी को लाभ मिलेगा। बालिका जन्म का पंजीकरण होना अनिवार्य है। प्रदेश सरकार की किसी अन्य योजना में लाभ न लिया हो। आवेदन श्रम विभाग की साइट या दफ्तर से लेकर जमा करा सकते हैं।
इन्होंने कहा
कम कामगार पंजीकृत हैं। उन्हीं बेटियों का लाभ मिलेगा जिनका जन्म अस्पताल में हुआ। गत साल 11 पात्र बेटियों की एफडी कराई है।
- परमानंद बिजल्वाण श्रम प्रवर्तन अधिकारी।