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आरक्षण सूची प्रकाशन के बाद आपत्तियों की भरमार

त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में विभिन्न पदों के लिए हुए आरक्षण प्रकाश के बाद प्रस्तावों व आपत्तियों की भरमार लग गई है। योगी सरकार के आदेश कि जो सीटें कभी आरक्षित नहीं हुई है उन्हें सबसे पहले आरक्षण में लिया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 07:06 PM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 07:06 PM (IST)
आरक्षण सूची प्रकाशन के बाद आपत्तियों की भरमार

जागरण संवाददाता, मऊ : त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में विभिन्न पदों के लिए हुए आरक्षण प्रकाश के बाद प्रस्तावों व आपत्तियों की भरमार लग गई है। योगी सरकार के आदेश कि जो सीटें कभी आरक्षित नहीं हुई है, उन्हें सबसे पहले आरक्षण में लिया जाएगा। इस शासनादेश के तहत हुए आरक्षण में सैकड़ों ग्राम पंचायतों का स्वरूप ही बदल गया। आरक्षण से कई चुनावों से एक ही सीट पर काबिज ग्राम प्रधान, जिला पंचायत सदस्यों व क्षेत्र पंचायत अध्यक्षों का सपना चकनाचूर हो गया। अब उन्हें एक उम्मीद आपत्ति दर्ज कराने पर टिकी है। इसको लेकर ब्लाकों से लेकर विकास भवन तक आपत्तियां व प्रस्ताव डालने की भरमार लग गई। विकास भवन में गुरुवार को आधा दर्जन आपत्तियां दर्ज कराई गई। चार से आठ मार्च तक ब्लाकों व विकास भवन में आपत्तियां ली जाएंगी। 09 मार्च को जिला पंचायत राज विभाग कार्यालय में आपत्तियों का एकत्रीकरण होगा। इसके बाद 10 से 12 मार्च तक जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित कमेटी आपत्तियों का निस्तारण करेगी। 13 व 14 मार्च को अंतिम सूची का प्रकाशन किया जाएगा।

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मुहम्मदाबाद गोहना प्रतिनिधि के अनुसार पंचायत चुनाव की सूची जारी होने से कई का खेल ही बिगड़ गया है। गांव की प्रधानी के लिए चुनाव मैदान में कूदे कई दावेदारों को जैसे ही भनक लगी कि उनके यहां की सीट आरक्षित हो गई है तो मायूसी छा गई। क्योंकि वह वर्षों से इसकी तैयारी कर रहे थे। ब्लाक के कुल 83 ग्राम पंचायतों में 27 अनारक्षित, 12 महिला, 15 पिछडी जाति पुरुष, 08 पिछड़ी महिला, 12 अनुसुचित जाति पुरुष, 07 अनुसुचित जाति महिला तथा एक-एक अनुसुचित जनजाति पुरुष व महिला के लिए आरक्षित हुई है। इस प्रकार पहले से गांव में प्रधानी के लालच में लगे हुए काफी लोग धराशाई हो गए क्योंकि सीटें बदल गई। ब्लाक में सुरहुरपुर, इटौरा, मालव, मडहा कभी भी अनुसूचित नहीं थी जो अब हो गई है। इसी प्रकार बंदीकला, राजापुर, चकसहजा, आरीपुर, भदवा कभी पिछड़ी के लिए आरक्षित नहीं थी, जो अब हो गई है। इस प्रकार गांव सभा के आरक्षण ने काफी लोगों का खेल बिगाड़ दिया है।


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