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पूर्वांचल में 28 साल बाद माफिया के डर से मुक्त हो रहा चुनाव, लगातार पांच चुनावों में एकतरफा रहा मुख्तार का साम्राज्य

28 साल बाद घोसी लोकसभा का संसदीय चुनाव मुख्तार अंसारी व उसके कुनबे से पूरी तरह से मुक्त है। प्रशासन ने बाहुबली के आर्थिक साम्राज्य को पूरी तरह से जहां ध्वस्त कर दिया है वहीं उसकी अब तक 605 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति जब्त की जा चुकी है। यही नहीं गिरोह के 215 करोड़ रुपये के अवैध कारोबार को बंद कराया गया है।

By Jaiprakash Nishad Edited By: Abhishek Pandey Published: Mon, 27 May 2024 12:37 PM (IST)Updated: Mon, 27 May 2024 12:37 PM (IST)
28 साल बाद मुख्तार व कुनबे से मुक्त हो रहा संसदीय चुनाव

जयप्रकाश निषाद, मऊ। (Ghosi Lok Sabha Election 2024) 28 साल बाद घोसी लोकसभा का संसदीय चुनाव मुख्तार अंसारी व उसके कुनबे से पूरी तरह से मुक्त है। प्रशासन ने बाहुबली के आर्थिक साम्राज्य को पूरी तरह से जहां ध्वस्त कर दिया है वहीं उसकी अब तक 605 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति जब्त की जा चुकी है।

यही नहीं गिरोह के 215 करोड़ रुपये के अवैध कारोबार को बंद कराया गया है। मुख्तार अंसारी की बीते 28 मार्च को बांदा जेल में मौत हो चुकी है। उसका बेटा सदर विधायक अब्बास अंसारी कांसगंज जेल में बंद हैं। पूरी तरह से मुख्तार अंसारी परिवार की गतिविधियां शून्य हैं।

एक जून को होगा घोसी लोकसभा का अंतिम चरण

घोसी लोकसभा में चुनाव अंतिम चरण में 01 जून को है। यहां एनडीए प्रत्याशी के रूप में कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर के पुत्र डा. अरविंद राजभर, आइएनडीआइए प्रत्याशी के रूप में राजीव राय व बसपा प्रत्याशी के रूप में पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान के बीच ही मुख्य मुकबला है। इसके पूर्व के चुनावों पर मुख्तार अंसारी व उनके कुनबे का दबदबा रहता था।

1996 से लगातार अभी तक पांच चुनावों में मुख्तार अंसारी का एकतरफा बिगुल बजता रहा है। योगी सरकार में मुख्तार अंसारी गिरोह के विरुद्ध चल रही धड़ाधड़ कार्रवाई से उसके करीबी व उसका बेटा जेल की सलाखों के पीछे हैं। तमाम लोग उनसे अपना रिश्ता भी तोड़ चुके हैं। कभी उनके इशारों पर नाचने वाले लोग उनके नाम पर कतराने लगे हैं।

1996 में पहली बार मुख्तार ने दर्ज की थी जीत

मुख्तार 1996 में पहली बार विधानसभा चुनाव में बसपा के उम्मीदवार के तौर पर उतरा और जीत हासिल की थी। इसके बाद वह पलटकर नहीं देखा। निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर 2002 और 2007 में चुनाव जीता। इसके बाद 2012 में उन्होंने कौमी एकता दल का गठन करके चुनाव मैदान में उतरा और जीत हासिल कर चौथी बार जीत का रिकार्ड बनाया। 2017 विधानसभा चुनाव में बीएसपी से उतरे और मोदी लहर में भी जीत हासिल की थी।

वर्ष 2022 के चुनाव में अपने बेटे अब्बास अंसारी को मैदान में उतारा और चुनाव जीत गया था।यही नहीं, चाहे लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा, सब में उसकी तूंती बोलती थी। चार दशक से आतंक का पर्याय रहे मुख्तार अंसारी का अंत हो चुका है। ऐसे में अब यह लोकसभा चुनाव पूरी तरह से शांतिप्रिय हो रहा है। कहीं से भी कोई दबंगई की बात सामने नहीं आ रही है। प्रशासन भी पूरी तरह से संजीदगी के साथ मतदान कराने में जुटा हुआ है। मतदान की सारी तैयारियां पूरी की जा रही हैं।

मुख्तार अंसारी का इतिहास

बाहुबली से माननीय बने मुख्तार अंसारी के विरुद्ध सजा का सिलसिला 21 नवंबर, 2022 को शुरू हुआ था। प्रभावी पैरवी के चलते पहली बार पुलिस उसे कानूनी दांवपेंच में पटखनी दे पाई थी। लखनऊ के आलमबाग थाने में वर्ष 2003 में जेलर को धमकाने के जिस मुकदमे में मुख्तार को एडीजे कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया गया था, उसे सरकार ने 27 अप्रैल, 2021 को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी और इसी मामले में उसे पहली बार सात वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी।

इसके बाद 23 सितंबर, 2022 को लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के मामले में पांच वर्ष की सजा सुनाई गई। फिर 15 दिसंबर, 2022 को उसे गाजीपुर में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के मामले में 10 वर्ष और 29 अप्रैल, 2023 को गाजीपुर में ही दर्ज गैंगस्टर एक्ट के मामले में 10 वर्ष कारावास की सजा हुई थी।

मुख्तार को पांच जून, 2023 को पहली बार हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। वाराणसी के बहुचर्चित अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार को कोर्ट ने दोषी ठहराया था। इसके बाद 27 अक्टूबर, 2023 को गाजीपुर में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के ही मामले में 10 वर्ष कारावास की सजा सुनाई गई थी। इंटर स्टेट गैंग 191 का सरगना मुख्तार अंसारी 25 अक्टूबर, 2005 से जेल में निरुद्ध था और बीते 28 मार्च को बांदा जेल में उसकी मौत हो गई।

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